लॉकडाउन के दौरान पूरा वेतन देने के ख़िलाफ़ 11 एमएसएमई गए सुप्रीम कोर्ट, कहा- पीएम केयर्स फंड से 70% सब्सिडी दी जाए

Apr 29, 2020

लॉकडाउन के दौरान पूरा वेतन देने के ख़िलाफ़ 11 एमएसएमई गए सुप्रीम कोर्ट, कहा- पीएम केयर्स फंड से 70% सब्सिडी दी जाए

सुप्रीम कोर्ट में एक और याचिका दायर कर सरकार की उस एडवाइज़री को चुनौती दी गई है जिसमें कहा गया था कि निजी नियोक्ता अपने कर्मचारियों को काम से नहीं निकालें और देशव्यापी लॉकडाउन के दौरान उन्हें पूरा वेतन दें। सचिव (श्रम एवं रोज़गार) ने 20 मार्च को जो एडवाइज़री जारी की और गृह मंत्रालय ने 29 मार्च को जो अधिसूचना जारी की उसके ख़िलाफ़ 11 एमएसएमई कंपनियों ने यह याचिका दायर की है। याचिका में कहा गया है कि ये एडवाइज़री संविधान के अनुच्छेद 14 और 19(1) का उल्लंघन करती हैं।

याचिका में कहा गया है कि निजी कंपनियों को अपने कर्मचारियों को 70% वेतन देने से छूट दी जाए और यह राशि सरकार कर्मचारी राज्य बीमा निगम या पीएम केयर्स फंड से दी जाए। याचिकाकर्ताओं के वकील जीतेंदर गुप्ता ने कहा कि सरकार को निजी कंपनियों पर किसी भी तरह का वित्तीय भार लादने का अधिकार नहीं है और इसके लिए वह आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 का सहारा नहीं ले सकती। यह कहा गया है कि सरकार DMA की धारा 46, 47, 65 और 66 के तहत अपने अधिकारों का प्रयोग कर सकती है और आपातकाल से निपटने के लिए संसाधन जुटा सकती है। यह ज़िम्मेदारी सरकार की है और इसे निजी क्षेत्र पर नहीं लादा जा सकता। याचिका में कहा गया कि "याचिकाकर्ताओं को अपने कर्मचारियों की संख्या में कटौती करने से रोका जा रहा है, विशेषकर अस्थाई और ठेके या प्रवासी मज़दूरों के संदर्भ में। याचिकाकर्ताओं को इन अधिसूचनाओं के कारण तीव्र वित्तीय और मानसिक तनाव झेलना पड़ रहा है।

इन अधिसूचनाओं का प्रभाव ऐसा है कि विशेषकर एमएसएमई क्षेत्र के उद्योग जिसमें कि स्थायित्व था, अब इसकी वजह से उन्हें दिवालिया होने और व्यवसाय से उनका नियंत्रण समाप्त करने के लिए बाध्य किया जा रहा है।" याचिकाकर्ताओं ने कहा है कि ये अधिसूचनाएं मनमानी, ग़ैरक़ानूनी और अतार्किक हैं और इन्हें संविधान के अनुच्छेद 14 और 19(1) के तहत ग़ैरक़ानूनी माना जाए। इन अधिसूचनाओं के ख़िलाफ़ महाराष्ट्र, पंजाब और कर्नाटक में भी याचिकाएं दायर की जा चुकी हैं।

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