महत्वपूर्ण रूप से, आवेदक ने आगे कहा कि आवेदक-चंदन कुमार द्वारा संगठन के संस्थापक (भगवान चंद्र मोहन) की अवैध गतिविधियों से संबंधित एक व्हाट्सएप ग्रुप में कई मैसेज पोस्ट करने के तुरंत बाद आवेदक के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई थी। यह भी कहा गया कि घटना का कथित

Feb 24, 2023
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बॉम्बे हाईकोर्ट ने हाल ही में कहा कि नटराज सांस्कृतिक कला केंद्र, नासिक के कलाकारों का लाइसेंस मालिक के खिलाफ दर्ज अपराध के आधार पर रद्द नहीं किया जा सकता, क्योंकि कथित अपराध कला केंद्र के परिसर में नहीं किया गया। जस्टिस आरजी अवाचट ने कहा कि चूंकि मालिक को अपराध से बरी कर दिया गया है, इसलिए रद्द करने का आधार अब मौजूद नहीं है। अदालत ने कहा, "यह अधिकारियों का मामला नहीं है कि उक्त अपराध कला केंद्र के परिसर में किया गया। चूंकि जिस आधार पर याचिकाकर्ता का लाइसेंस रद्द किया जाना है, वह अब मौजूद नहीं है और उक्त आधार पर लाइसेंस रद्द नहीं किया जा सकता है, यहां पर लगाए गए आदेश रद्द किए जाने के लिए उत्तरदायी हैं।"नटराज सांस्कृतिक कला केंद्र के मालिक विशाल गंगावणे के पास स्थापित कला केंद्र को 16 जून, 2017 से 31 मार्च, 2018 तक चलाने का लाइसेंस है। लाइसेंस का नवीनीकरण 31 मार्च, 2021 तक किया गया। 2017 में उन्हें अनैतिक तस्करी (रोकथाम) अधिनियम, 1956 की धारा 5 (वेश्यावृत्ति के लिए व्यक्ति की खरीद) और धारा 6 और भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की विभिन्न धाराओं और यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण अधिनियम, 2012 के तहत आरोपित किया गया।2020 में उन्हें अपना लाइसेंस रद्द करने के लिए दो कारण बताओ नोटिस मिले। उनके खिलाफ दर्ज अपराध के कारण उनका लाइसेंस 25 अक्टूबर, 2020 को स्थायी रूप से रद्द कर दिया गया। गृह विभाग के समक्ष उनकी अपील खारिज कर दी गई। इसलिए वर्तमान रिट याचिका दायर की गई। याचिका में याचिकाकर्ता ने दावा किया कि वह तमाशा से संबंधित गैरकानूनी गतिविधियों में कभी शामिल नहीं हुआ। जिला कलक्टर ने कारण बताओ नोटिस के उनके जवाब को नजरअंदाज कर दिया और लाइसेंस रद्द कर दिया।सार्वजनिक मनोरंजन के लाइसेंसिंग और नियंत्रण स्थल (सिनेमा के अलावा) और मेला और तमाशा सहित सार्वजनिक मनोरंजन के लिए प्रदर्शन नियम, 1960 के नियम 238 में नियमों के उल्लंघन के कारण लाइसेंस रद्द करने का प्रावधान है। अदालत ने कहा कि कारण बताओ नोटिस और रद्द करने का आदेश यह नहीं दर्शाता है कि शर्तों के उल्लंघन के कारण लाइसेंस रद्द कर दिया गया। इस तरह जिलाधिकारी के लाइसेंस रद्द करने के आदेश रद्द कर दिया। चूंकि लाइसेंस की अवधि पहले ही समाप्त हो चुकी है, इसलिए अदालत ने जिला मजिस्ट्रेट को 1960 के नियमों के अनुसार लाइसेंस के नवीनीकरण के लिए याचिकाकर्ता के आवेदन (यदि वह फाइल करता है) पर विचार करने का निर्देश दिया। इसके अलावा, अदालत ने डीएम को उसी आधार पर नवीनीकरण से इनकार नहीं करने का निर्देश दिया, जिस आधार पर उनके लाइसेंस को रद्द करने के लिए आवेदन किया गया।एडवोकेट श्रीरंग कटनेश्वरकर ने याचिकाकर्ता का प्रतिनिधित्व किया, जबकि एपीपी ए.आर. पाटिल ने राज्य का प्रतिनिधित्व किया।

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