'अनपढ़ ड्राइवर पैदल यात्रियों के लिए ख़तरा', राजस्थान हाईकोर्ट ने सभी अनपढ़ लोगों को मिले ड्राइविंग लाइसेन्स को रद्द करने का आदेश दिया

Jun 01, 2019

'अनपढ़ ड्राइवर पैदल यात्रियों के लिए ख़तरा', राजस्थान हाईकोर्ट ने सभी अनपढ़ लोगों को मिले ड्राइविंग लाइसेन्स को रद्द करने का आदेश दिया

एक ऐसे फ़ैसले में जिसका व्यापक परिणाम हो सकता है, राजस्थान हाईकोर्ट ने अनपढ़ लोगों को जारी हल्के वाहनों के ड्राइविंग लाइसेन्स को रद्द करने का आदेश दिया। दिलचस्प बात यह है कि यह आदेश एक रिट याचिका पर दी गई है जिसमें एक व्यक्ति ने परिवहन वाहन को चलाने के लिए लाइसेन्स दिए जाने का आदेश देने की माँग की। याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में यह माँग की है कि यहलाइसेन्स उस इस आधार पर दिया जाए कि उसे हल्के वाहनों को चलाने का लाइसेन्स 13 साल पहले जारी किया गया था। इस याचिका पर ग़ौर करते हुए एकल पीठ ने पाया कि यद्यपि याचिकाकर्ता अनपढ़ है, उसे ड्राइविंग लाइसेन्स जारी कर दिया गया। पीठ ने कहा कि मोटर वाहन नियम को इस बात का ध्यान रखते हुए बनाया गया है कि इससे सिर्फ़उन्हें ही न हो जो लाइसेन्स लेना चाहते हैं बल्कि उस पब्लिक का भी ध्यान रखा गया है जो सड़कों का प्रयोग करते हैं।

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"किसी अनपढ़ व्यक्ति को कोई भी वाहन चलाने का लाइसेन्स नहीं जारी किया जा सकता क्योंकि वह पैदल यात्रियों के लिए बड़ा ख़तरा हैं क्योंकि ऐसा व्यक्ति राजमार्गों और शहरों की सड़कों पर लगे संकेतकों और लोगों की सुरक्षा केलिए बोर्डों पर लिखी सूचनाओं को नहीं समझ सकते", यह कहना था न्यायमूर्ति संजीव प्रकाश शर्मा का।

"इसलिए याचिकाकर्ता को हल्के मोटर वाहन चलाने का जो लाइसेन्स जारी किया गया है उसे आवश्यक रूप से रद्द कर दिया जाए", कोर्ट ने अपने आदेश में कहा। राज्य के परिवहन अथॉरिटीज़ को निर्देश दिया गया है कि वह इस बारे में दिशानिर्देश जारी करे। अगर ऐसे व्यक्ति को लाइसेन्स जारी किया जाता है जो न तो पढ़ सकता है और न ही लिख सकता है। सरकार से कहा गया है कि इसबारे में आदेश के पालन के संबंध में एक महीना में वह अदालत में रिपोर्ट दाख़िल करे। यह कहना ज़रूरी होगा कि मोटर वाहन अधिनियम या केंद्रीय मोटर वाहन नियमों में ड्राइविंग लाइसेन्स लेने के लिए किसी न्यूनतम शैक्षिक योग्यता का उल्लेख नहीं किया गया है। सिर्फ़ परिवहन लाइसेन्स के लिए ही न्यूनतम शैक्षिकयोग्यता निर्धारित की गई है और यह है आठवीं कक्षा पास होने की है।

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इसलिए यह आदेश, जो कि भारी संख्या में लोगों के जीवन को प्रभावित करेगा, ऐसा लगता है कि वैधानिक प्रावधानों के ख़िलाफ़ है। अदालत ने इस बारे में अनुभव पर आधारित किसी आँकड़े का भी हवाला नहीं दिया है जिससे यहपता चलता हो कि अधिकांश दुर्घटना में निरक्षर लोग शामिल होते हैं। जुलाई 2017 में, सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि अगर किसी ड्राइवर के पास एलएमवी का लाइसेन्स है तो वह एलएमवी श्रेणी के परिवहन वाहन को भी चला सकते हैं और इसके लिए उन्हें अलग से किसी आदेश की ज़रूरत नहीं है। सभीअनपढ़ ड्राइवरों को जारी एलएमवी लाइसेन्स अगर वापस ले लिया जाता है तो इसका असर उन लोगों पर पड़ेगा जो मोटर वाहन चलाकर अपनी आजीविका चलाते हैं जिसमें ऑटो रिक्शा और कैब आदि शामिल हैं।

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