ई-कॉमर्स पर मांगे सुझाव
ई-कॉमर्स पर मांगे सुझाव
ऑनलाइन कारोबार को नियमित करने को कई पाबंदियां होंगी
उपभोक्ता संरक्षण विधेयक को संसद की मंजूरी मिलने के साथ ही सरकार ने ई-कॉमर्स और डायरेक्ट सेलिंग पर लगाम लगाने की तैयारियां शुरू कर दी हैं। ऑनलाइन शॉच्पग में उत्पादों के बारे में साइट पर दर्ज फर्जी समीक्षा की नकेल कसी जाएगी। इसके लिए उपभोक्ता मामले मंत्रलय ने ई-कॉमर्स पर दिशा-निर्देश जारी कर दिया है। इसमें उपभोक्ताओं के साथ होने वाली ठगी और बेईमानी पर प्रतिबंध लगाने के प्रावधान किए गए हैं। इसमें राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के साथ अन्य सभी पक्षकारों से सुझाव मांगे गए हैं।
प्रस्तावित दिशा-निर्देश के मुताबिक ई-कॉमर्स कंपनियों को उपभोक्ताओं की शिकायतों के लिए अलग अधिकारी नियुक्त करने होंगे। ऐसे अधिकारियों के बारे में सभी जानकारी अपनी वेबसाइट पर देनी होगी। शिकायतों का निपटारा हर हाल में एक महीने के भीतर करना ही होगा। उपभोक्ता अपनी शिकायत फोन, ई-मेल अथवा वेबसाइट पर कर सकता है, जिसका निपटारा उक्त अधिकारी करेगा।
ई-कॉमर्स के दिशा-निर्देश तय करने के लिए गठित कार्यबल की उप-समिति ने अपनी रिपोर्ट मंत्रलय को पहले ही सौंप दी थी, जिसे अब जारी किया गया है। इसमें वाणिज्य और उपभोक्ता मामले से जुड़े लोग शामिल थे। देश में ई-कॉमर्स कंपनियों को 90 दिनों के भीतर भारतीय नियम कानून के मुताबिक अधिसूचित किया जाएगा, तभी वे कारोबार कर सकेंगी। दिशा-निर्देश की शर्तो पर खरा उतरने के बाद उपभोक्ता मामले विभाग से कारोबार की मंजूरी लेनी होगी। भुगतान के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआइ) के नियमों को पूरा करना होगा।
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उत्पाद अथवा सेवा की गुणवत्ता को लेकर उठने वाले सवाल की जिम्मेदारी कंपनी की होगी। वेबसाइटों पर फर्जी समीक्षा (रिव्यू) देने पर भी दंडात्मक कार्रवाई हो सकती है। उत्पादों की फर्जी रेटिंग करने वालों की नकेल कसी जाएगी। इस पर पाबंदी लगाने के लिए अनफेयर बिजनेस प्रैक्टिस के तहत कानूनी कदम उठाए जाएंगे। दिशा-निर्देश में ई-कॉमर्स कंपनियों की जिम्मेदारी बढ़ा दी गई है। खराब या टूटे-फूटे उत्पादों का दायित्व विक्रेता का होगा। ऐसे सामान को 14 दिनों के भीतर वापस करना होगा। 30 दिनों के अंदर उसकी शिकायत का निवारण करना होगा।
ई-कॉमर्स कंपनियों की शिकायतें लगातार बढ़ रही हैं, जिसे लेकर सरकार बहुत गंभीर है। इसे देखते हुए सरकार ने उन पर शिकंजा कसने की जुगत शुरू कर दी गई है। संसद के दोनों सदनों से उपभोक्ता संरक्षण विधेयक-2019 पहले ही पारित हो चुका है। राष्ट्रपति की सहमति के साथ ही वह कानून में तब्दील हो जाएगा, जिसके नियम व निर्देश तैयार किए जा रहे हैं।
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