प्रहार भ्रष्टाचार पर

Jul 12, 2019

 प्रहार भ्रष्टाचार पर

उत्तर प्रदेश में भ्रष्टाचार में लिप्त अधिकारियों पर लगातार प्रहार के लिए केंद्र और राज्य सरकार के संकल्प की सराहना की जानी चाहिए। बुलंदशहर के जिलाधिकारी अभय सिंह और कौशल विकास निगम के प्रबंध निदेशक विवेक के अलावा कई अन्य बड़े अधिकारियों के ठिकानों पर सीबीआइ की दस्तक इस बात का प्रबल संकेत है कि केंद्र और राज्य सरकार के लिए भ्रष्टाचारी का पद कोई मायने नहीं रखता। अरबों रुपये के खनन घोटाले में इससे पहले गायत्री प्रजापति समेत कई सफेदपोशों और अधिकारियों को जेल भेजा चुका है।

बुलंदशहर के जिलाधिकारी अभय सिंह के आवास पर छापे में बरामद नकदी गिनने के लिए सीबीआइ को कैश गिनने वाली मशीन मंगवानी पड़ी। पिछले दिनों लोकसभा चुनाव नतीजे आने पर जो लोग आश्चर्य जता रहे थे कि नोटबंदी और जीएसटी के कारण कठिनाई के बावजूद मतदाताओं ने भाजपा का इतनी मजबूती से समर्थन क्यों किया, उन्हें भाजपा सरकारों की भ्रष्टाचार विरोधी नीति से शंका का समाधान कर लेना चाहिए। सीबीआइ छापों के जरिये जिस तरह की जानकारियां सामने आ रही हैं, उसके आधार पर यह समझना कठिन नहीं है कि सपा और बसपा के शासनकाल में भ्रष्टाचार किस बुलंदी पर पहुंच गया था। जांच एजेंसियों से यह अपेक्षा जरूर है कि राजनीतिक नेतृत्व की मंशा के अनुरूप भ्रष्टाचार आरोपितों के साथ उसी तरह व्यवहार किया जाना चाहिए, जैसा ऐसे आरोपों में लिप्त किसी साधारण व्यक्ति के साथ अपेक्षित है। भ्रष्टाचार राष्ट्रद्रोह सरीखा अपराध है। यह कृत्य तब और संगीन हो जाता है, जब आरोपित व्यक्ति संवेदनशील पदाधिकारी हो।

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