2015 बरगाड़ी बेअदबी | सुप्रीम कोर्ट ने गुरमीत राम रहीम और 7 डेरा अनुयायियों के खिलाफ मुकदमा चंडीगढ़ स्थानांतरित किया

Mar 01, 2023
Source: https://hindi.livelaw.in/

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम और सात अन्य सहयोगियों के खिलाफ 2015 में बरगाड़ी में गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी के तीन मामलों को पंजाब के फरीदकोट से चंडीगढ़ स्थानांतरित करने का निर्देश दिया। यह घटनाक्रम पिछले साल नवंबर में फरीदकोट में बेअदबी के मामलों में आरोपी एक डेरा अनुयायी की हत्या के तुरंत बाद हुई थी। दिसंबर में पांच डेरा अनुयायियों, सुखजिंदर सिंह, उर्फ ​​सनी, शक्ति सिंह, रंजीत सिंह, उर्फ भोला, निशान सिंह और बलजीत सिंह द्वारा स्थानांतरण याचिका दायर की गई थी।तीन मोटरसाइकिलों पर सवार छह अज्ञात हमलावरों ने 10 नवंबर को कथित तौर पर एक अन्य सह-आरोपी प्रदीप सिंह कटारिया उर्फ राजू धोधी की गोली मारकर हत्या कर दी थी। कटारिया की जब हत्या हुई तब वह जमानत पर था। नवंबर 2020 में सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब के बठिंडा, मोगा और फरीदकोट जिलों से लंबित मुकदमे को दिल्ली या पंजाब के बाहर किसी भी नजदीकी राज्य की अदालत में स्थानांतरित करने से इनकार कर दिया था, हालांकि जस्टिस अनिरुद्ध बोस और ज‌स्टिस सुधांशु धूलिया की पीठ ने नवीनतम याचिका को स्वीकार कर लिया।याचिकाकर्ताओं की ओर से तर्क दिया गया था कि उनके जीवन को बड़ा खतरा है। मौजूदा मामले में विवाद के केंद्र में पंजाब राज्य में एक के बाद एक हुई बेअदबी की कई घटनाए हैं, जो जून 2015 में फरीदकोट के बुर्ज जवाहर सिंह वाला गांव में एक गुरुद्वारे से गुरु ग्रंथ साहिब की एक प्रति की चोरी के साथ शुरू हुई थी। इसके बाद सितंबर में, फरीदकोट के जवाहर सिंह वाला और बरगाड़ी गांवों में पवित्र ग्रंथ के खिलाफ हस्तलिखित अपवित्र पोस्टर लगे हुए मिले थे।उसी साल अक्टूबर में बरगाड़ी के एक गुरुद्वारे के पास पवित्र ग्रंथ के कई फटे अंग (पन्ने) बिखरे मिले थे। जिसके बाद पंजाब में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए। राज्य पुलिस ने विरोध प्रदर्शनों को रोकने के लिए गोलियां चलाईं, जिसमें दो आंदोलनकारियों की मौत हो गई, जिससे सामाजिक और राजनीतिक अशांति और बढ़ गई। गुरु ग्रंथ साहिब की बीर (कॉपी) की चोरी और बेअदबी से तीन आपस में जुड़े मामलों में कुल 12 लोगों को नामजद किया गया था। शिरोमणि अकाली दल और भारतीय जनता पार्टी की पिछली गठबंधन सरकार ने मामले की जांच नवंबर में केंद्रीय जांच ब्यूरो को सौंपी थी।जून 2019 में संघीय एजेंसी ने एक क्लोजर रिपोर्ट दायर की, जिसमें खुलासा किया गया कि डेरा सच्चा सौदा पंथ के अनुयायियों के खिलाफ कोई आपत्तिजनक सबूत नहीं मिला, लेकिन सत्तारूढ़ कांग्रेस और विपक्षी शिरोमणि अकाली दल दोनों ने रिपोर्ट को खारिज कर दिया। महीनों भर में पंजाब सरकार सीबीआई को जांच की अनुमति को वापस ले लिया और मामलों को राज्य पुलिस की एक विशेष जांच टीम को सौंप दिया। तीनों मामलों में मुकदमा फरीदकोट की अदालत में आरोप तय करने पर बहस के स्तर पर लंबित है। सीबीआई जांच के नतीजे से पूरी तरह अलग हटकर, एसआईटी ने कई डेरा अनुयायियों, तीन राष्ट्रीय समिति के सदस्यों और संगठन के प्रमुख को बरगाड़ी बेअदबी के मामलों में आरोपी बनाया। मामले में गुरमीत राम रहीम सिंह को पुलिस ने मुख्य साजिशकर्ता के रूप में नामित किया है। मंगलवार को स्थानांतरित होने से पहले तीनों मामलों में मुकदमा फरीदकोट अदालत में लंबित था।

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