फिलहाल किसी के काम नहीं आएगा सस्ता क्रूड

Apr 22, 2020

फिलहाल किसी के काम नहीं आएगा सस्ता क्रूड

अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंच गई हैं। सोमवार को मई के लिए अमेरिकी क्रूड (वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट-डब्ल्यूटीआइ) का वायदा भाव प्रति बैरल शून्य से भी 37 डॉलर नीचे चला गया। ब्रेंट क्रूड भी 2002 के बाद पहली बार 20 डॉलर प्रति बैरल के नीचे है। लेकिन, जरूरत का 85 फीसद क्रूड आयात करने वाला भारत इस हालात का फायदा उठाने की स्थिति में नहीं है।
मांग में कमी के कारण जहां केंद्र व राज्य सरकारों की हालत पतली है, वहीं ऑयल सेक्टर की सभी कंपनियां हलकान हैं। अगर घरेलू बाजार में जल्द ही पेट्रोल व डीजल की मांग में वृद्धि नहीं हुई तो केंद्र व राज्यों के राजस्व को भी झटका लगेगा व तेल रिफाइनरियों की मुसीबत भी बढ़ेगी।

देश की सबसे बड़ी तेल कंपनी ओएनजीसी के पूर्व सीएमडी आरएस शर्मा के मुताबिक, अभी रिफाइनरियां तेल ज्यादा खरीद नहीं रही हैं, क्योंकि घरेलू मांग घट गई है और उनके पास भंडारण क्षमता नहीं है। देश की सबसे बड़ी तेल रिफाइनरी व मार्केटिंग कंपनी इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन (आइओसी) की तमाम रिफाइनरियां क्षमता का 30 फीसद इस्तेमाल कर रही हैं। पिछले एक माह में पेट्रोल की बिक्री में 61 फीसद व डीजल में 65 फीसद की कमी आई है। सरकार की तरफ से निर्मित रणनीतिक भंडारण व्यवस्था की क्षमता 53 लाख टन की है, जो तकरीबन भरी जा चुकी है। इसलिए भारत ज्यादा क्रूड खरीदने की स्थिति में नहीं है। घरेलू बाजार में पेट्रोल-डीजल की कीमतें 16 मार्च से एक ही स्तर (दिल्ली में पेट्रोल 69.59 रुपये प्रति लीटर, डीजल 62.29 रुपये) पर है। पेट्रोलियम मंत्रलय का आंकड़ा बताता है कि मार्च में भारत ने औसतन 33.26 डॉलर प्रति बैरल पर तेल खरीदा है जो फरवरी में औसत कीमत 54.63 डॉलर प्रति बैरल से काफी कम थी।

कई देशों की इकोनॉमी पर खतरा

क्रूड पर निर्भर देशों जैसे मेक्सिको, वेनेजुएला, रूस, नाइजीरिया जैसे देशों की इकोनॉमी और खराब हो सकती है। क्रूड से इकोनॉमी को मजबूती देने की अमेरिकी कोशिशों को भी झटका लगा है। अमेरिका भारत पर ज्यादा क्रूड खरीदने का दबाव बढ़ा सकता है। शर्मा के मुताबिक, तेल कंपनियों का 16 करोड़ बैरल क्रूड समुद्री मार्ग में है, जिसका सौदा नहीं हुआ है। ऐसे में अभी क्रूड कीमतों में गिरावट का ही रुख रह सकता है। डब्ल्यूटीआइ अमेरिका में उत्पादित तेल की कीमत है, जबकि ब्रेंट तेल उत्पादक देशों के संगठन (ओपेक) की तरफ से उत्पादित तेल की कीमत है। भंडारण की व्यवस्था नहीं होने के कारण कंपनियां नहीं खरीद पा रहीं कच्चा तेल, मांग में गिरावट से केंद्र एवं राज्य सरकारों के राजस्व पर संकट मई के लिए फ्यूचर ट्रेडिंग में सोमवार को शून्य से भी नीचे चला गया था अमेरिका का डब्ल्यूटीआइ क्रूड मंगलवार को शुरुआती कारोबार में शून्य से ऊपर आया, लेकिन भाव अब भी बहुत नीचे मांग गिरने से अमेरिका में रिफाइनरियों के सामने भंडारण की समस्या खड़ी हो गई है ब्रेंट क्रूड भी 20 डॉलर प्रति बैरल के आसपास चल रहा

राजस्व में बड़ी हिस्सेदारी कई राज्यों के कुल राजस्व में पेट्रो उत्पादों का राजस्व 25 से 50 फीसद है। अप्रैल-दिसंबर, 2019 में केंद्र ने 1,47,975 करोड़ रुपये का उत्पाद शुल्क व 15,917 करोड़ का सीमा शुल्क पेट्रो उत्पादों से वसूला था। सभी राज्यों ने संयुक्त तौर पर पेट्रोल व डीजल पर स्थानीय शुल्क के तौर पर 1,43,952 करोड़ वसूले थे।

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