सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या मामले की रोज़ाना सुनवाई हुई शुरू, ये रहीं खास बातें
सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या मामले की रोज़ाना सुनवाई हुई शुरू, ये रहीं खास बातें
निर्मोही अखाड़े के वकील ने कहा कि मुस्लिम लॉ के तहत कोई भी व्यक्ति जमीन पर कब्जे की वैध अनुमति के बिना दूसरे की जमीन पर मस्जिद निर्माण नहीं कर सकता।
संवेदनशील राम जन्मभूमि - बाबरी मस्जिद भूमि विवाद में मंगलवार से सुप्रीम कोर्ट में रोजाना सुनवाई शुरू हुई। सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक बैंच इस मामले की आज से प्रति दिन सुनवाई करेगी। राम जन्मभूमि - बाबरी मस्जिद भूमि विवाद में मध्यस्थता के माध्यम से कोई आसान हल निकलने के सभी प्रयास विफल होने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने मामले की प्रति दिन सुनवाई करने का फैसला किया है। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने मध्यस्थता के पूरे प्रयास किए और सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश एफ एम आई कलीफुल्ला की अध्यक्षता में मध्यस्थता समिति बनाई। पीठ ने कहा था कि करीब चार महीने चली मध्यस्थता प्रक्रिया का अंतत: कोई परिणाम नहीं निकला। 2 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने 6 अगस्त से इस मामले की प्रतिदिन सुनवाई का फैसला सुनाया था। मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान बैंच इस मामले की सुनवाई कर रही है। पीठ में न्यायाधीश एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एस ए नजीर भी शामिल हैं। सुनवाई के पहले दिन वरिष्ठ अधिवक्ता सुशील कुमार जैन ने निर्मोही अखाड़ा की ओर से तर्क पेश किए। निर्मोही अखाड़े के वकील ने कहा कि मुस्लिम लॉ के तहत कोई भी व्यक्ति जमीन पर कब्जे की वैध अनुमति के बिना दूसरे की जमीन पर मस्जिद निर्माण नहीं कर सकता। इस तरह ज़मीन पर जबरन कब्जा करके बनाई गई मस्जिद गैर इस्लामिक है और वहां पर अदा की गई नमाज़ कबूल नहीं होती है। इसके बाद चीफ जस्टिस ने ट्रायल कोर्ट के जज की बात का उल्लेख किया और कहा कि ट्रायल कोर्ट के जज ने कहा कि विवादित स्थल पर मस्जिद से पहले किसी निर्माण के प्रमाण नहीं हैं। चीफ जस्टिस ने इस मामले में सबूत दिखाने की बात कही।
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