दिल्ली-एनसीआर प्रदूषण सुप्रीम कोर्ट करेगा EPCA की प्रदूषण नियंत्रण रिपोर्ट पर विचार
दिल्ली-एनसीआर प्रदूषण सुप्रीम कोर्ट करेगा EPCA की प्रदूषण नियंत्रण रिपोर्ट पर विचार
दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण के कारण सांस लेना मुश्किल हो रहा है। वायु गुणवत्ता में गंभीर गिरावट के कारण लोगों के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। सुप्रीम कोर्ट पर्यावरण प्रदूषण (रोकथाम और नियंत्रण) प्राधिकरण (ईपीसीए) की विशेष प्रदूषण नियंत्रण रिपोर्ट सहित अन्य संबंधित मुद्दों पर सोमवार को विचार करेगा। पर्यावरण प्रदूषण (रोकथाम और नियंत्रण) प्राधिकरण (ईपीसीए) ने अपनी रिपोर्ट में एनसीआर राज्यों को कचरा के जलाने से रोकने, निर्माण स्थलों से जहरीले उत्सर्जन और निर्माण कार्य से पैदा होने वाली धूल को रोकने के निर्देश देने की मांग की गई है। ईपीसीए के चेयरपर्सन ने उत्तर प्रदेश, हरियाणा और दिल्ली के मुख्य सचिवों को पत्र भी लिखा है। ईपीसीए ने शुक्रवार को दिल्ली-एनसीआर में सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल घोषित किया और प्रदूषण के स्तर को "बेहद गंभीर" श्रेणी का बताते हुए 5 नवंबर तक निर्माण गतिविधियों पर प्रतिबंध लगा दिया। रिपोर्ट के अलावा, शीर्ष अदालत अन्य मुद्दों पर भी विचार करेगी, जिसमें पड़ोसी राज्यों में कचरा जलने से उत्पन्न प्रदूषण का मुद्दा भी शामिल है। ईपीसीए की रिपोर्ट पर न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ विचार करेगी। ईपीसीए ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि "हालांकि दिल्ली 2010 से अब तक शहर पर वार्षिक वायु प्रदूषण भार में सुधार कर रही है, लेकिन "शहर को अभी भी राष्ट्रीय वायु गुणवत्ता मानकों को पूरा करने के लिए 65 प्रतिशत प्रदूषण के स्तर को कम करने की आवश्यकता है।" ईपीसीए ने एनसीआर में "प्रदूषण हॉटस्पॉट पर विशेष रिपोर्ट" में 14 प्रदूषण हॉटस्पॉट - ओखला फेस 2, द्वारका, अशोक विहार, बवाना, नरेला, मुंडका, पंजाबी बाग, वजीरपुर, रोहिणी, विवेक विहार, आनंद विहार (मंडोली सहित), आरके पुरम, जहांगीर पुरी और मायापुरी की पहचान की है। रिपोर्ट में कहा गया है कि एढउअ ने हरियाणा में तीन प्रदूषण फैलाने वाले स्थानों की पहचान की है - फरीदाबाद 1 और 2, बहादुरगढ़ और गुड़गांव (उद्योग विहार सहित) - और उत्तर प्रदेश (साहिबाबाद) और राजस्थान (भिवाड़ी) में एक-एक स्पॉट की पहचान की गई है।
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