मुफ्त इलाज की मांग सुप्रीम कोर्ट से खारिज

Apr 22, 2020

मुफ्त इलाज की मांग सुप्रीम कोर्ट से खारिज

उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को केंद्र, सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को कोरोना महामारी का मुफ्त इलाज करने का निर्देश देने की मांग वाली याचिका खारिज कर दी। न्यायमूर्ति एनवी रमना की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा, सरकार को यह तय करना है कि किसे मुफ्त इलाज दिया जाए। हमारे पास कोई फंड नहीं है। न्यायमूर्ति एसके कौल और बीआर गवई खंडपीठ के अन्य न्यायाधीश थे। अदालत ने कहा कि प्रचार के लिए याचिका दायर न करें। वीडियो-कांफ्रेंसिंग के माध्यम से मामले की सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने कहा कि देशभर के सरकारी अस्पताल कोरोना वायरस संक्रमित रोगियों का मुफ्त इलाज कर रहे हैं। हमें लगता है कि इस मामले को बंद कर देना चाहिए।

शीर्ष अदालत वकील अमित द्विवेदी की याचिका पर सुनवाई कर रही थी। उन्होंने याचिका दायर कर देश के सभी नागरिकों की कोरोना की मुफ्त जांच और इलाज का निर्देश देने की मांग की थी। केंद्र ने पहले शीर्ष अदालत को बताया था कि सरकार ने सभी नागरिकों को पर्याप्त स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान करने के लिए उचित कदम उठाया है। याचिका में कहा गया था कि भारत के पास कोरोना से निपटने के लिए पर्याप्त सार्वजनिक स्वास्थ्य देखभाल का बुनियादी ढांचा नहीं है। भारत को निजी स्वास्थ्य क्षेत्र की मदद लेने की जरूरत है।

उच्चतम न्यायालय ने कोरोना महामारी के दौरान गैर कोरोना मरीजों के मेडकिल खर्चे में कमी लाने के लिए तत्काल कदम उठाने का केंद्र और राज्यों को निर्देश देने के लिए दायर याचिका खारिज कर दी है। न्यायमूर्ति एनवी रमना, एसके कौल और बीआर गवई की पीठ ने अधिवक्ता एस दास की याचिका खारिज कर दी। पीठ ने इसके अलावा मास्क और सैनिटाइजर को वस्तु और सेवा कर (जीएसटी) से मुक्त करने के लिए दायर याचिका भी खारिज कर दी। याचिका में यह अनुरोध भी किया गया था कि केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा इस मामले में कार्रवाई किए जाने तक सभी मेडिकल और स्वास्थ्य सेवाओं के बिलों पर रोक लगाई जाए।

सुप्रीम कोर्ट ने अमेरिका में फंसे लोगों को विशेष विमान से वापस लाए जाने के मामले में मंगलवार को कोई भी आदेश देने से इन्कार कर दिया। कोर्ट ने याचिकाकर्ता से कहा कि वह इस संबंध में सरकार को ज्ञापन दे सकते हैं और सरकार हर मामले के हिसाब से उस पर विचार कर सकती है। ये आदेश न्यायमूर्ति एनवी रमना की अध्यक्षता वाली पीठ ने मामले पर वीडियो कांफ्रेंंसिंग के जरिये अर्जेट सुनवाई में जारी किए। इससे पहले याचिकाकर्ता की ओर से पेश विभा दत्त मखीजा ने कहा कि अमेरिका में काफी लोग फंसे हैं, उन्हें वापस लाने का इंतजाम किया जाना चाहिए। कोर्ट ने कोई भी आदेश देने से इन्कार करते हुए कहा कि सरकार को एक निश्चित तरीके से काम करने का निर्देश नहीं दिया जा सकता। यह विश्वव्यापी महामारी है। हर देश अपनी तरफ से बेहतर प्रयास कर रहा है। ये ऐसा मामला नहीं है जिसमें कोर्ट को दखल देना चाहिए। सरकार खुद रोडमैप तय करेगी। सर्वोच्च अदालत ने कहा कि अमेरिकी सरकार ने वहां फंसे भारतीयों का वीजा कुछ अवधि के लिए बढ़ाया है। ऐसे में उन्हें वापस लाने के आदेश देना उचित नहीं होगा। इसके अलावा, कोर्ट ने ईरान में फंसे मछुआरों के बारे में दाखिल याचिका पर भी कोई आदेश देने से इन्कार कर दिया। हालांकि सरकार की ओर से बताया गया था कि मछुआरों के मामले में भारतीय दूतावास उनके संपर्क में है और उन्हें जरूरी मदद मुहैया कराई जा रही है।
अमेरिका में फंसे लोगों को वापस लाने पर कोर्ट ने नहीं दिया आदेश सुप्रीम कोर्ट की कार्यकारी परिषद के ऑन रिकार्ड एसोसिएशन (एससीएओआरए) के सदस्य दो वकीलों ने सर्वोच्च अदालत में याचिका दायर करके लॉकडाउन के दौरान वकीलों के ऑफिस और अन्य व्यावसायिक प्रतिष्ठानों के दफ्तरों के किराए में छूट की अपील की है। याचिकाकर्ता एल्जोके जोसेफ ने वकील सचिव शर्मा के जरिये याचिका में कहा है कि लॉकडाउन के कारण सुप्रीम कोर्ट की कार्यकारी परिषद के इन दोनों सदस्यों को दफ्तरों का किराया भरने में दिक्कत हो रही है। किराये में राहत को वकीलों ने दायर की याचिका सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से बाल गृहों में कोरोना वायरस का संक्रमण रोकने के लिए जारी गाइडलाइंस का विस्तार महिला आश्रय गृहों या नारी निकेतनों तक करने पर विचार करने को कहा है। इसमें वहां क्षमता से अधिक संख्या में रह रहीं महिलाओं को रिहा करने की संभावनाएं तलाशना शामिल है। जस्टिस एनवी रमना, जस्टिस एसके कौल व जस्टिस बीआर गवई की पीठ ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि केंद्र व राज्य सरकारों को जमीनी हालात का आकलन करना चाहिए व महिला आश्रय गृहों में संक्रमण का प्रसार रोकने के लिए उचित कदम उठाने चाहिए। कोरोना गाइडलाइंस में महिला आश्रय गृहों को शामिल करने पर विचार करे केंद्र |

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