Exclusive: GST काउंसिल के एजेंडे में कई इंडस्ट्री पर रेट कट, ऑटो को राहत मुश्किल

Sep 18, 2019

Exclusive: GST काउंसिल के एजेंडे में कई इंडस्ट्री पर रेट कट, ऑटो को राहत मुश्किल

अर्थव्यवस्था की सुस्ती को दूर करने के लिए सरकार हरसंभव कदम उठाने की पुरजोर कोशिश में लगी है. इसलिए जीएसटी काउंसिल की 20 सितंबर को होने वाली बैठक में कई वस्तुओं पर रेट कट की उम्मीद इंडस्ट्री को है. हालांकि आजतक ने जीएसटी काउंसिल बैठक के एजेंडा को देखा है, जिसमें कहा गया है कि उन सेक्टर में रेट कटौती पर विचार किया जाए जिनमें मांग और बिक्री में गिरावट की वजह से काफी परेशानी चल रही है. बिस्किट, होटल जैसी इंडस्ट्री को राहत तो मिल सकती है, लेकिन ऑटो सेक्टर को राहत मिलना मुश्किल लग रहा है.

शुक्रवार को होने वाली जीएसटी काउंसिल की बैठक में ऑटोमोबाइल, बिस्किट, माचिस, आउटडोर कैटरिंग सेगमेंट के जीएसटी रेट में बदलाव की बात एजेंडे में रखी गई है. लेकिन कौंसिल के सूत्र जो जानकारी दे रहे हैं, उससे यह नहीं लगता कि इन सभी सेक्टर की जीएसटी रेट में कटौती हो पाएगी. मंदी से हलकान चल रहे ऑटो सेक्टर के लोग कारों पर जीएसटी 28 से घटाकर 18 फीसदी करने की उम्मीद कर रहे हैं. इस इंडस्ट्री के लोगों का कहना है कि जीएसटी काउंसिल की बैठक ऐसे महत्वपूर्ण समय में हो रही है, जब अगले कुछ ही हफ्तों में त्योहारी सीजन आने वाला है और उन्हें वाहन बेचने के लिए ग्राहकों को आकर्षक ऑफर देने होंगे. ऐसे में अगर जीएसटी रेट में कटौती होती है तो इस सेक्टर के मांग को तेजी मिल सकेगी.

ऑटो में जीएसटी कटौती पर है विरोध

हालांकि केरल जैसे कई राज्य ऑटो में जीएसटी रेट कटौती का विरोध कर रहे हैं. जीएसटी काउंसिल की फिटमेंट कमेटी ने इस पर विचार किया है कि ऑटो सेक्टर में रेट कटौती का क्या असर होगा और उसका यह मानना है कि ऑटो सेक्टर में रेट कटौती से जीएसटी संग्रह को तगड़ी चोट लगेगी, क्योंकि इस सेक्टर से सालाना 50 से 60 हजार करोड़ रुपये का जीएसटी संग्रह होता है.

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थोड़ समय के लिए राहत संभव!

सूत्रों का कहना है कि सरकार का इस मामले में निर्णय राजनीतिक ही होगा. सूत्रों का कहना है कि अगर बहुत हुआ तो कुछ समय के लिए ऑटो सेक्टर को जीएसटी दरों में राहत दी जा सकती है. उनका दावा है कि यदि सरकार ने इस वित्त वर्ष के अंत तक ही रेट में कटौती की घोषणा की तो कीमतें फिर बढ़नी ही हैं, क्योंकि आगे बीएस श्क मानक के पालन से नई टेक्नोलॉजी पर खर्च काफी बढ़ जाएगा. तो कीमतों में तेजी से होने वाली बढ़त की वजह से रेट में कटौती के बावजूद यह सेक्टर संकट से बाहर नहीं निकल पाएगा. इसलिए ऑटो कंपनियां सरकार से लंबे समय तक के लिए भरोसा चाह रही हैं. ऑटो कंपनियां कम इंजन क्षमता वाले दोपहिया वाहनों पर भी टैक्स घटाने की मांग कर रही हैं.

होटल इंडस्ट्री को मिल सकती है राहत

हालांकि होटल इंडस्ट्री को अच्छी खबर मिल सकती है. अभी 7500 रुपये प्रति नाइट स्टे से ज्यादा चार्ज करने वाले लग्जरी होटल पर 28 फीसदी का जीएसटी लगता है, लेकिन जीएसटी काउंसिल से इन्हें राहत मिल सकती है. सूत्रों के अनुसार, टूरिज्म को बढ़ावा देने के पीएम मोदी के आह्वान को देखते हुए 10 से 12 हजार रुपये प्रति नाइट स्टे तक चार्ज करने वाले होटलों के लिए जीएसटी रेट घटाकर 18 फीसदी किया जा सकता है. इसी तरह आउटडोर कैटरर्स पर अभी 18 फीसदी टैक्स लगता है, लेकिन उन्हें भी राहत मिल सकती है. इसी तरह माचिस उद्योग को भी दो तरह की जीएसटी दरों से काफी मुश्किल हो रही है और काउंसिल उसे कुछ राहत दे सकती है. जीएसटी कौंसिल के लिए मुश्किल यह भी है कि जीएसटी कलेक्शन 1 लाख करोड़ रुपये के लक्ष्य से कम हुआ है. ऐसे में उसे यह भी उपाय करना है कि कुछ वस्तुओं पर रेट बढ़ाकर कर संग्रह में बढ़ोतरी की जाए.

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