जयपुर के पूर्व राजघराने ने किया भगवान श्रीराम के वंशज होने का दावा

Aug 13, 2019

जयपुर के पूर्व राजघराने ने किया भगवान श्रीराम के वंशज होने का दावा

सुप्रीम कोर्ट में राम मंदिर के मसले पर चल रही सुनवाई के बीच जयपुर के पूर्व राजपरिवार की ओर से श्रीराम का वंशज होने का दावा किया गया है। पूर्व राजपरिवार की सदस्य और भाजपा सांसद दीया कुमारी ने कहा कि वे भगवान राम के वंशज हैं। उन्होंने पोथीखाना में उपलब्ध दस्तावेजों के आधार पर इसका दावा किया है। उन्होंने कहा कि जयपुर राजपरिवार की गद्दी भगवान राम के पुत्र कुश के वंशजों की राजधानी है।

जयपुर की पूर्व राजमाता पद्मनी देवी ने कहा कि साल 1992 में पूर्व महाराजा स्व. भवानी सिंह ने मानचित्र सहित सभी दस्तावेज कोर्ट को सौंप दिए थे। भगवान राम के पुत्र कुश के वंशज होने से ढूंढाड़ के राजा कछवाहा कहलाने के साथ राम की 309वीं पीढ़ी में मानते हैं। जयपुर के पूर्व राजपरिवार का दावा है कि रामजन्म भूमि को लेकर सिटी पैलेस के कपड़ाद्वारा में सुरक्षित दस्तावेजों आधार पर यह साफ होता है कि अयोध्या में राम मंदिर की भूमि जयपुर रियासत के अधिकार में रही है।

इस बारे में इतिहासकार प्रोफेसर आरनाथ ने शोध ग्रंथ की पुस्तक स्ट्डीज इन मिडीवल इंडियन आर्केटेक्चर में दस्तावेजों के साथ साबित किया गया है कि अयोध्या में कोट राम जन्मस्थान जयपुर के तत्कालीन महाराजा सवाई जय सिंह द्धितीय के अधिकार में रहा था। गौरतलब है कि शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने पूछा था कि क्या भगवना राम का कोई वंशन दुनिया में या अयोध्या में मौजूद है।

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वंशावली और दस्तावेज पोथीखाने में मौजूद है
दीया कुमारी ने ट्वीट कर कहा कि सु्प्रीम कोर्ट में सवाल उठा था कि क्या कोई श्रीराम के वशंज हैं या नहीं। इस पर उन्होंने ट्वीट किया है। दीया कुमारी ने कहा कि हमारा परिवार भी श्रीराम से जुड़ा है, हमारे अलावा भी बहुत सारे हैं, जो श्रीराम के वशंज है। इस दावे के आधार के बारे में दीया कुमारी ने बताया कि इसकी वंशावली और दस्तावेज पोथीखाने में मौजूद हैं। दावे के आधार के तौर पर कोर्ट में प्रमाण उपलब्ध कराने पर दीया कुमारी का कहना है कि सवाई जय सिंह के समय एक मैप था, उसे 1992 में पेश किया गया था। उसके अलावा अभी तक उनसे कुछ नहीं मांगा गया है और दिया भी नहीं गया है।

जयपुर के पूर्व राजपरिवार का दावा है कि उनके भगवान श्रीराम के वंशज होने के पर्याप्त सबूत सिटी पैलेस के पोथीखाने में मौजूद है। पोथीखाने में मौजूद नौ दस्तावेज और दो नक्शे ये साबित करते हैं कि अयोध्या के जय सिंह पुरा और राम जन्म स्थान जयपुर के महाराजा सवाई जय सिंह द्वितीय के अधीन थे। सन् 1776 के एक हुक्म में लिखा है कि जय सिंह पुरा की भूमि कछवाहा वंश के अधिकार क्षेत्र में थी।

औरंगजेबी की मौत के बाद जयपुर के तत्कालीन महाराजा ने खरीदी जमीन
इतिहासकारों के हवाले से जयपुर राजपरिवार ने दावा किया है कि औरंगजेब की मृत्यु के बाद सवाई जय सिंह द्वितीय ने हिंदू धार्मिक इलाकों में जमीनें खरीदी थी और 1717 से 1725 में अयोध्या में राम जन्म स्थान मंदिर बनवाया था। वहीं, पूर्व राजपरिवार ने पोथीखाने में रखी एक वंशावली की बात कही है। इसमें भगवान श्रीराम को कुशवाहा वंश का 63वां वंशज दर्शाया गया है।

वहीं, भगवान श्रीराम के जिन पुत्र कुश के नाम से कुशवाहा वंश का नाम विख्यात हुआ है वे वंशावली में 64वीं पीढ़ी के रूप में दर्शाए गए है। इसी वंशावली में सवाई जय सिंह को 289वें और भवानी सिंह को 309वें वंशज के रूप में दिखाया गया है। दीया कुमारी ने कहा कि दस्तावेज देने से कार्रवाई जल्दी होती है और मंदिर जल्दी बनता है वे देंगे। कानूनी प्रक्रिया है अगर जरूरत नहीं पड़ी तो हम आगे आकर इसमें हस्तक्षेप नहीं करेंगे। लेकिन मंदिर जल्द बनना चाहिए। 

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