25 करोड़ लीटर से अधिक भूजल का रोज हो रहा दोहन, सूख रही धरती की कोख

May 21, 2022
Source: https://www.jagran.com

धनंजय वर्मा साहिबाबाद कहते हैं जल ही जीवन है लेकिन गाजियाबाद के लोग इस जीवन का लगातार द

धनंजय वर्मा, साहिबाबाद : कहते हैं जल ही जीवन है लेकिन गाजियाबाद के लोग इस जीवन का लगातार दोहन कर रहे हैं। शहरी क्षेत्र में भूजल दोहन पर प्रतिबंध के बावजूद भी रोजाना 25 करोड़ लीटर से अधिक भूजल निकाला जा रहा है। जहां गंगाजल की आपूर्ति है वहां पर भी भूजल का खूब दोहन हो रहा है। रोक के बावजूद भी धड़ल्ले से जगह - जगह सबमर्सिबल लग रहे हैं। इससे धरती की कोख सूखने लगी है। विशेषज्ञों को डर सता रहा है कि ऐसे ही अवैध दोहन होता रहा तो गाजियाबाद की धरती पूरी तरह सूख जाएगी और लोग बूंद-बूंद पानी के लिए तरसेंगे।

औद्योगिक इकाइयों में हो रही पानी की बर्बादी : जिले में छोटी - बड़ी मिलाकर कुल 30 हजार औद्योगिक इकाइयां हैं। औद्योगिक इकाइयों में सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) से शोधित पानी की आपूर्ति करने का नियम है। जिन इकाइयों में खाने - पीने के सामान बनते हैं। सिर्फ उन्हीं को भूजल निकालने की अनुमति है। गाजियाबाद में एसटीपी से औद्योगिक इकाइयों को पानी देने का प्रस्ताव सिर्फ फाइलों में ही दबकर रह गया है। अधिकारियों के मुताबिक, औद्योगिक इकाइयों में रोजाना 15 करोड़ लीटर से अधिक भूजल निकाला जा रहा है। इससे विभिन्न औद्योगिक क्षेत्र के रिहायशी इलाकों में लगे हैंडपंप से कई साल पहले ही पानी आना बंद हो चुका है।

गंगाजल मिलने के बाद भी भूजल दोहन :

जिले में 500 से अधिक आवासीय सोसायटीज हैं, जिनमें लाखों लोग रहते हैं। सभी सोसायटीज में सबमर्सिबल लगे हुए हैं। इंदिरापुरम कौशांबी, वसुंधरा, वैशाली, डेल्टा कालोनी में गंगाजल की आपूर्ति होती है। वहीं, गाजियाबाद और मोहन नगर जोन में नलकूप से भी गंगाजल की आपूर्ति की जाती है। इसके बावजूद भी सबमर्सिबल से भूजल निकाला जाता है। इंदिरापुरम के अहिसा खंड - दो की ज्यादातर सोसायटियों में सबमर्सिबल चलाकर भूजल से टंकी भरी जाती है। जिले में रोजाना सोसायटियों में लोग 10 करोड़ से अधिक लीटर भूजल बर्बाद कर रहे हैं।

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हर साल करीब आठ फुट नीचे जा रहा भूजल स्तर :

जिले में हर साल पांच से आठ फुट भूजल स्तर नीचे जा रहा है। गिरते भूजल स्तर को देखते हुए भूजल स्तर से करीब करीब 50 फुट नीचे तक बोरिग कर रहे हैं, जिससे सबमर्सिबल से लंबे समय तक पानी आना न बंद हो। इंदिरापुरम में गाजियाबाद विकास प्राधिकरण (जीडीए) के नलकूप ने पानी देना बंद कर दिया था। एक साल पहले जीडीए ने 500 फुट नीचे तक बोरिग कराई। वहीं, पर्यावरणविद डा. जितेंद्र नागर का कहना है कि यदि इसी तरह भूजल स्तर गिरता रहा तो गाजियाबाद में भूजल खत्म हो जाएगा।

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फाइलों में सिर्फ 437 स्थानों पर बोरिग की अनुमति :

जिला भूगर्भ जल प्रबंधन परिषद के अधिकारियों से मिले आंकड़े देखें तो उनकी फाइलों में सिर्फ जिले में 437 बोरिग हैं। ये बोरिग औद्योगिक इकाइयों की हैं। आवासीय परिसर में बोरिग का आंकड़ा नहीं है, जिले में धड़ल्ले से जगह - जगह स्थानीय नगर निकाय के कुछ कर्मचारियों की मिलीभगत से सबमर्सिबल लगाए जा रहे हैं लेकिन विभाग इन सबसे अंजान बना हुआ है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि अधिकारी गहराते भूजल संकट को लेकर कितने गंभीर हैं। खोड़ा समेत जिले में जगह - जगह अवैध तरीके से आरओ प्लांट चल रहे हैं, जिनसे रोजाना लाखों लीटर पानी निकालकर बेचा जा रहा है।

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बयान :

भूजल दोहन रोकने के लिए जल्द ही जिले में चेकिग अभियान चलाया जाएगा। बिना अनुमति चल रहे आरओ प्लांट भी बंद कराए जाएंगे। भूजल रीचार्ज के लिए जिले में जल्द ही 75 तालाब (अमृत सरोवर) बनाने की योजना भी है। - हरिओम सिंह, नोडल अधिकारी, जिला भूगर्भ जल प्रबंधन परिसर

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कितने फीट पर मिलता है भूजल

इंदिरापुरम :

वसुंधरा: 220

वैशाली: 250

शालीमार गार्डन: 300

लाजपत नगर: 300

राजनगर एक्सटेंशन: 250

कविनगर: 300

राजनगर: 300

चिरंजीव विहार: 190

नूर नगर : 200

विजय नगर : 190

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