दुनिया में भारतीय अप्रवासी सबसे ज्यादा पैसा भेजते हैं स्वदेश, 2018 में 55,10,64,50,00,000 रुपए भेजे
दुनिया में भारतीय अप्रवासी सबसे ज्यादा पैसा भेजते हैं स्वदेश, 2018 में 55,10,64,50,00,000 रुपए भेजे
बदलते वक्त में ऐसे लोगों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है जो अपनी आजीविका के लिए देश से बाहर जाते हैं और वहां पर कमाई करने के बाद स्वदेश में अपने परिजनों के लिए पैसे भेजते हैं. इन पैसों से न सिर्फ परिवार को आर्थिक तौर पर राहत मिलती है बल्कि देश की अर्थव्यवस्था भी सुधरती है.
बदलते वक्त में ऐसे लोगों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है जो अपनी आजीविका के लिए देश से बाहर जाते हैं और वहां पर कमाई करने के बाद स्वदेश में अपने परिजनों के लिए पैसे भेजते हैं. इन पैसों से न सिर्फ परिवार को आर्थिक तौर पर राहत मिलती है बल्कि देश की अर्थव्यवस्था भी सुधरती है. 16 जून को इंटरनेशनल डे ऑफ फैमिली रीमिटन्स (कऊऋफ) मनाया जाता है और इस दिवस पर एक नजर डालते हैं कि विदेश में बसे अप्रवासियों की ओर से सबसे ज्यादा पैसा किस देश के नागरिक भेजते हैं.
संयुक्त राष्ट्र (यूएन) के अनुसार दुनियाभर में करीब 20 करोड़ लोग आजीविका के लिए दूसरे देशों में जाते हैं और उनकी ओर से की गई कमाई से उनके परिजनों में शामिल करीब 80 करोड़ लोगों को फायदा होता है. इनमें से आधे से ज्यादा की आबादी ग्रामीण क्षेत्रों में रहती है जो इन पैसों के आने से अपना जीवन स्तर सुधारती है. बच्चों का भविष्य सुधरता है, साथ ही गरीबी और भुखमरी कम होती है. यह दिन इन्हीं 20 करोड़ आबादी को सम्मान देने के मकसद से 16 जून को मनाया जाता है.
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2018 में भेजे गए 4,80,8 अरब रुपये
फरवरी, 2015 में इंटरनेशनल फंड ऑफ एग्रीकल्चर डेवलपमेंट (कऋअऊ) में शामिल सभी 176 देशों की ओर से इंटरनेशनल डे ऑफ फैमिली रीमिटन्स (कऊऋफ) मनाने का फैसला लिया गया और इसे पास कराने के लिए 2016 में संयुक्त राष्ट्र महासभा के पास भेजा गया. 13 मई 2018 को संयुक्त राष्ट्र ने इस अंतरराष्ट्रीय दिवस पर अपनी रजामंदी दे दी और इसके लिए 16 जून का दिन मुकर्रर किया गया.
वर्ल्ड बैंक की तरफ से इसी साल अप्रैल में जारी रिपोर्ट के अनुसार अप्रवासियों की ओर से दुनियाभर में भेजा जाने वाला धन 2018 में 689 अरब डॉलर (आज की तारीख में करीब 4,80,81,45,16,00,000 रुपये) पर पहुंच गया जबकि 2017 में यह 633 अरब डॉलर (4,41,73,52,52,00,000 रुपये) पर था. विकासशील देश ही नहीं बल्कि इसमें विकसित देशों में उनके नागरिकों की ओर से भेजा जाने वाली राशि भी शामिल है.
इससे पहले 2017 में 20 करोड़ अप्रवासियों ने कमाई कर करीब 481 बिलियन डॉलर (3,35,62,97,75,00,000 रुपये) अपने परिजनों के पास भेजा, जिसमें अकेले विकासशील देशों के पास 466 बिलियन डॉलर (3,25,16,31,50,00,000 रुपये) भेजे गए. इस समय अप्रवासियों की ओर से सबसे ज्यादा पैसा भारत में ही भेजा जाता है.
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भारत फिर से नंबर वन
विश्व बैंक की रिपोर्ट के अनुसार, विदेश में बसे भारतीयों की ओर से प्रेषित धन को रिसीव करने के मामले में भारत ने 2018 में भी अपना पहला स्थान पर बरकरार रखा है. विश्व बैंक की यह रिपोर्ट कहती है कि अप्रवासी भारतीयों की ओर से पिछले साल 79 बिलियन डॉलर (आज की तारीख में करीब 55,10,64,50,00,000 रुपए) भारत भेजे गए थे.
भारत के बाद चीन का नंबर आया और यहां पर 67 बिलियन डॉलर (46,75,09,25,00,000 रुपये) अप्रवासी चीनियों की ओर से अपने देश भेजा गया था. दक्षिण अमेरिकी देश मैक्सिको (36 बिलियन डॉलर), फिलीपींस (34 बिलियन डॉलर) और मिस्र (29 बिलियन डॉलर) के साथ शीर्ष 5 देशों की सूची में शामिल रहा.
4 देशों में GDP का 30 फीसदी
सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के आधार पर नजर डालें तो भारत में भेजी गई कुल राशि देश की जीडीपी का 2.9 फीसदी है. 4 देश ऐसे हैं जहां पर बाहर से भेजे जानी वाली राशि उस देश की जीडीपी का 30 फीसदी या उससे ज्यादा का शेयर है. हालांकि ये देश बेहद छोटे देश हैं.
टोंगा में जीडीपी के हिसाब से सबसे ज्यादा 35.2 फीसदी पैसा भेजा जाता है. जबकि इसके बाद किर्गिज गणराज्य (33.6 फीसदी), ताजिकिस्तान (31 फीसदी) और हैती (30.7 फीसदी) का स्थान है.
इसी तरह कम से कम 13 ऐसे देश हैं जहां पर बाहर से पैसे भेजे जाने के मामले में इन देशों में कुल जीडीपी का 0.0% है. इनमें कई देश खाड़ी देशों के हैं जिसमें कुवैत, ओमान और सऊदी अरब जैसे देश भी शामिल हैं.
भारत में हर साल बढ़ रही राशि
इस संबंध में देखा जाए तो पिछले 3 सालों में भारत की स्थिति (विदेश से धन भेजने के मामले में) मजबूत होती जा रही है. 2016 में रैमिटेंस की स्थिति 62.7 बिलियन डॉलर थी जो 2017 में बढ़कर 65.3 बिलियन डॉलर हो गई थी और अब 2018 में 79 बिलियन डॉलर हो गई.
2017 की एक रिपोर्ट के अनुसार 1.7 करोड़ से अधिक भारतीय विदेश में नौकरी के लिए अप्रवास करते हैं. भारतीय विदेश मंत्रालय की वेबसाइट एमईए डॉट जीओवी डॉट इन के मुताबिक 30,995,729 भारतीय विदेश में रहते हैं जिसमें 13,113,360 एनआरआई हैं और जबकि 17,882,369 पीआईओ (पर्सन्स ऑफ इंडियन ओरिजन) कार्डधारक हैं.
2018 में विदेश से धन आने के मामले में भारत में 14 फीसदी का इजाफा देखा गया क्योंकि पिछले साल केरल ने बाढ़ से भीषण तबाही देखी और इस प्राकृतिक आपदा की मार झेल रहे राज्य की आर्थिक मदद के लिए विदेश में बसे भारतीयों ने खुलकर पैसा भेजा जिस कारण इस बार यह राशि बढ़ गई.
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दक्षिण एशिया में ज्यादा आए पैसे
विश्व बैंक की रिपोर्ट कहती है कि दक्षिण एशिया में धन प्रेषित करने के मामले में 2018 में 12 फीसदी की बढ़ोतरी हुई जबकि 2017 में यह वृद्धि दर 6 फीसदी थी. 2018 में यह रकम बढ़कर 131 बिलियन डॉलर हो गई जो दुनिया के अन्य देशों में बसे अप्रवासियों की ओर से दक्षिण एशिया में भेजे गए.
भारत के पड़ोसी देश पाकिस्तान में सऊदी अरब से पूंजी प्रवाह में कमी के कारण उसके अप्रवासियों की ओर से पैसे भेजे जाने के मामले में गिरावट आई. पाक को सऊदी अरब से होने वाली आय में 2017 में 7 फीसदी की गिरावट आई थी. जबकि एक अन्य पड़ोसी देश बांग्लादेश में इस मामले में 2018 में 15 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई. वर्ल्ड बैंक की इसी रिपोर्ट के अनुसार विकासशील देशों में भेजा गई राशि 2018 में 9.6 प्रतिशत बढ़कर रिकॉर्ड 529 अरब डॉलर के स्तर पर पहुंच गया जबकि 2017 में यह 483 अरब डॉलर था.
विदेश में अप्रवासियों के जाने और फिर वहां कमाई कर अपने परिजनों को धन भेजने का सिलसिला जारी है और इसमें लगातार इजाफा होता जा रहा है. जो इस मामले में सुखद है कि इससे करोड़ों घरों की जिंदगी बेहतर हो रही है, लेकिन हर देश की सरकार को कोशिश यह करनी चाहिए कि कामगारों के शोषण को रोका जाए. विदेश जाकर नौकरी करने वालों में बड़ी संख्या अकुशल कामगारों की होती है जिनके साथ वहां कई स्तर पर शोषण किया जाता है. इसमें कमी लाने की जरूरत है और इस पर ध्यान दिया जाना चाहिए.
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