इंडिया बुल्स ने अपने खिलाफ दाखिल याचिका पर जल्द सुनवाई की मांग की, SC ने कहा याचिका में त्रुटियां, जुलाई में होगी सुनवाई
इंडिया बुल्स ने अपने खिलाफ दाखिल याचिका पर जल्द सुनवाई की मांग की, SC ने कहा याचिका में त्रुटियां, जुलाई में होगी सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट इंडिया बुल्स के खिलाफ दाखिल उस याचिका पर जुलाई में सुनवाई करेगा जिसमें एक शेयरहोल्डर ने याचिका दाखिल कर कंपनी पर 98000 करोड़ रुपये का फर्जीवाड़ा करने का आरोप लगाया है। जस्टिस इंदिरा बनर्जी और जस्टिस अजय रस्तोगी की अवकाश पीठ ने इंडिया बुल्स के जल्द सुनवाई के अनुरोध पर कहा कि इंडिया बुल्स के खिलाफ इस याचिका में त्रुटियां हैं जिन्हें ठीक किया जाना जरूरी है। इसमें ऐसे प्रतिवादियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई है जो मामले में पक्षकार नहीं हैं। याचिकाकर्ता के बजाय प्रतिवादी ने सुप्रीम कोर्ट से जल्द सुनवाई का किया आग्रह दरअसल ये ऐसा केस है जिसमें याचिकाकर्ता नहीं बल्कि प्रतिवादी ने सुप्रीम कोर्ट से जल्द सुनवाई का आग्रह किया है। इंडिया बुल्स की ओर से पेश वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने पीठ को बताया कि याचिकाकर्ता सिर्फ 4 शेयरों वाला एक दूध विक्रेता है और ये एक ब्लैकमेल करने की तरकीब है। सिंघवी ने कहा कि याचिका मीडिया को दी गई थी और इसे प्रकाशित किया गया जिससे शेयरों में कमी आई और इंडिया बुल्स को बड़ा नुकसान हुआ है। जानबूझकर ये याचिका गर्मियों की छुट्टियों में दाखिल की गई जिससे कंपनी को नुकसान हो।
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सार्वजनिक धन के कथित दुरुपयोग के लिए कानूनी कार्रवाई की मांग
दरअसल इंडिया बुल्स हाउसिंग लिमिटेड (IHFL) के शेयर धारकों में से एक द्वारा दायर इस याचिका में इंडियाबुल्स हाउसिंग फाइनेंस लिमिटेड (IHFL), इसके अध्यक्ष और निदेशकों के खिलाफ 98,000 करोड़ रुपये के सार्वजनिक धन के कथित दुरुपयोग के लिए कानूनी कार्रवाई की मांग की गई है। याचिका में यह आरोप लगाया गया है कि फर्म के अध्यक्ष समीर गहलौत और इंडिया बुल्स के निदेशकों द्वारा निजी उपयोग के लिए हजारों करोड़ रुपये बहा दिए गए। याचिकाकर्ता और IHFL शेयरधारकों में से एक अभय यादव ने यह आरोप लगाया है कि गहलौत ने स्पेन के एनआरआई हरीश फैबियानी की मदद से कथित रूप से कई "शेल कंपनियों" का निर्माण किया, जिसके लिए आईएचएफएल ने फर्जी तरीके से भारी रकम उधार ली। इन कंपनियों ने ऋण की राशि को अन्य कंपनियों को हस्तांतरित कर दिया जो या तो गहलौत, उनके परिवार के सदस्यों या इंडियाबुल्स के अन्य निदेशकों द्वारा संचालित या निर्देशित थीं।
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याचिकाकर्ता द्वारा की गई मांग
याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट से भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी), केंद्र सरकार, भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई), आयकर विभाग या सक्षम प्राधिकारी को नियमों की अवहेलना और गलत तरीके से निकाले गए निवेशकों के धन की रक्षा और संरक्षण के लिए निर्देश देने की मांग की है।