ब्रेकिंग- इसरो जासूसी केस: सुप्रीम कोर्ट ने आरोपी को अग्रिम जमानत देने के केरल हाईकोर्ट के आदेश को रद्द किया, हाईकोर्ट से नए सिरे से फैसला करने को कहा

Dec 05, 2022
Source: https://hindi.livelaw.in/

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने शुक्रवार को 1994 के इसरो जासूसी मामले में इसरो वैज्ञानिक नंबी नारायणन को कथित रूप से फंसाने से जुड़े मामले में पुलिस और आईबी के पांच पूर्व अधिकारियों की अग्रिम जमानत देने के केरल हाईकोर्ट 2021 के आदेश को रद्द कर दिया। अदालत ने जमानत याचिकाओं को उच्च न्यायालय में वापस भेज दिया और उच्च न्यायालय से कहा कि वह जल्द से जल्द, कम से कम चार सप्ताह की अवधि के भीतर इस पर फैसला करे।
सुप्रीम कोर्ट ने आरोपियों को 5 सप्ताह की अवधि के लिए अंतरिम व्यवस्था के रूप में गिरफ्तारी से सुरक्षा भी प्रदान किया जब तक कि उच्च न्यायालय मामले में अंतिम रूप से निर्णय नहीं ले लेता। जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस सीटी रविकुमार की खंडपीठ ने केरल उच्च न्यायालय द्वारा केरल के पूर्व डीजीपी सिबी मैथ्यूज, गुजरात के पूर्व एडीजीपी आरबी श्रीकुमार और गुजरात के पूर्व एडीजीपी आरबी श्रीकुमार, पीएस जयप्रकाश-जो 1994 में आईबी अधिकारी थे- और केरल के दो पूर्व पुलिस अधिकारी एस. विजयन और थम्पी एस. दुर्गा को जमानत देने को चुनौती देने वाली केंद्रीय जांच ब्यूरो की ओर दायर दो याचिकाओं पर 28 नवंबर को फैसला सुरक्षित रख लिया था।
पीठ ने सुनवाई के दौरान कहा, "उच्च न्यायालय ने कुछ गलतियां की हैं। इसने जस्टिस जैन समिति की रिपोर्ट से निपटा नहीं है, व्यक्तिगत आरोपों की जांच नहीं की है। उच्च न्यायालय को व्यक्तिगत मामलों से व्यक्तिगत रूप से निपटना चाहिए।" सीबीआई की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू और कुछ प्रतिवादियों की ओर से सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल पेश हुए। 2018 में, डॉ नंबी नारायणन को उनकी अवैध गिरफ्तारी और हिरासत में यातना के लिए 50 लाख रुपये का मुआवजा देते हुए, सुप्रीम कोर्ट ने इसरो जासूसी मामले में जांचकर्ताओं द्वारा बड़ी साजिश की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश डीके जैन के नेतृत्व में एक आयोग का गठन किया था। अप्रैल 2021 में जस्टिस जैन कमेटी ने सुप्रीम कोर्ट के सामने अपनी रिपोर्ट पेश की। बाद में, सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को बड़े षड्यंत्र में उसके द्वारा की गई प्रारंभिक जांच के आधार पर आरोपी के खिलाफ कार्रवाई करने का निर्देश दिया।
अप्रैल 2021 में जस्टिस जैन कमेटी ने सुप्रीम कोर्ट के सामने एक रिपोर्ट पेश की। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को जस्टिस जैन कमेटी की रिपोर्ट पर कार्रवाई करने का निर्देश दिया था। सीबीआई ने मामले में अन्य आरोपियों को शामिल करते हुए मामला दर्ज किया। अग्रिम जमानत देने के आदेश में, उच्च न्यायालय ने कहा कि जासूसी मामले के बारे में केरल पुलिस की उस समय की चिंताओं को निराधार नहीं कहा जा सकता है। जस्टिस अशोक मेनन ने अपने आदेश में कहा था,
कुछ दस्तावेज जो अवलोकन के लिए प्रस्तुत किए गए हैं, संकेत देते हैं कि कुछ संदिग्ध परिस्थितियां थीं जो इसरो में वैज्ञानिकों के कार्य की ओर इशारा कर रही हैं और यही कारण है कि अधिकारियों ने उनके खिलाफ कार्रवाई करने के लिए प्रेरित किया।" उच्च न्यायालय ने यह भी टिप्पणी की कि मामले में सबूतों का एक टुकड़ा भी नहीं है कि जासूसी मामले में इसरो के पूर्व वैज्ञानिक नंबी नारायणन को फंसाने के आरोपी याचिकाकर्ता विदेशी तत्वों से प्रभावित थे। हाईकोर्ट ने आदेश में कहा था, "याचिकाकर्ताओं के किसी विदेशी शक्ति से प्रभावित होने के बारे में सबूतों का एक अंश भी नहीं है, ताकि उन्हें इसरो की गतिविधियों को रोकने के इरादे से इसरो के वैज्ञानिकों को झूठा फंसाने की साजिश रचने के लिए प्रेरित किया जा सके।"

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