‘यूएस’ को कलाम ने दिया था ‘जल ग्राम’ का आइडिया
‘यूएस’ को कलाम ने दिया था ‘जल ग्राम’ का आइडिया
बांदा
सूखे से पस्त जिस बुंदेलखंड में बोरिंग फेल हैं, सूखे कुंए मुंह चिढ़ाते हैं, पानी को लेकर हाहाकार बना रहता है, वहीं बांदा जिला मुख्यालय से 21 किलोमीटर दूर बसा गांव जखनी समस्त संकटों को धता बताकर अचरज का विषय बन गया है। केंद्र ने जखनी को देश का पहला जल ग्राम घोषित किया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ‘मन की बात’ में इस गांव की तारीफ कर चुके हैं। यह संभव हुआ उमाशंकर पांडेय के बूते, जिन्हें जल ग्राम का यह आइडिया किसी और ने नहीं, बल्कि अग्निपुरुष डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम ने दिया था। उमाशंकर गत दो दशक से बुंदेलखंड में सवरेदय आदर्श जल ग्राम स्वराज अभियान चला रहे हैं।
इनका नाम उमाशंकर पांडेय है, लेकिन लोग यूएस पुकारते हैं। बताते हैं, मां ने मुझसे दो ही बातें कहीं थीं। कुछ ऐसा काम करना जिससे कुल का खूब नाम हो। दूसरा, कभी दिव्यांगता का सहारा मत लेना। मां को दिए वचन व्यर्थ नहीं गए..। सेवा कार्यों की बदौलत इनके गांव का नाम देश-दुनिया में कुछ ऐसा गूंजा कि हर जगह उसकी मिसाल दी जाने लगी है। सदियों से उपेक्षित बुंदेलखंड की सबसे बड़ी त्रसदी रही कभी सूखा, कभी अतिवृष्टि तो कभी जलसंकट। सूखा और अतिवृष्टि तो कुदरत की देन है, लेकिन जलसंकट को चुनौती मानकर उमाशंकर कुछ इस तरह जुटे कि आज उनके गांव में मात्र दस से पंद्रह फीट खोदाई करने पर पानी निकल आता है। एक समय ऐसा भी था जब जखनी गांव में बोरिंग भी सफल नहीं हो पाती थी। पूर्व राष्ट्रपति डॉ. कलाम ने उमाशंकर को वाटर विलेज यानी जल ग्राम विकसित करने का आइडिया दिया था। कोई मशीन नहीं। कोई ज्ञान नहीं। कुछ खास शिक्षा नहीं। बस फावड़ा और डलिया के सहारे यूएस ने इस मुहिम को अंजाम तक पहुंचाया। एक ही धुन थी, एक ही नारा था- खेत में मेड़, मेड़ पर पेड़। करीब दो दशक पहले शुरू की गई इस मुहिम का प्रतिफल है कि इस गांव के नौ तालाब, तकरीबन तीस कुंए भीषण गर्मी में भी पानी से लबालब रहते हैं। बांदा और आसपास के क्षेत्रों में हर कहीं जखनी की ही सब्जी मिलती है।
जखनी को भारत का पहला जल ग्राम बनाने के पीछे छिपी सवरेदयी कार्यकर्ता उमाशंकर पांडेय की लगन के सभी कायल हैं। कोई अनुदान, न पुरस्कार, न सलाह। सिर्फ और सिर्फ एक धुन..। जब सूखे से तिलमिलाते बुंदेलखंड के किसान थक-हारकर मौत को गले लगा रहे थे, जखनी में एक भी किसान ने कर्ज के चलते जान नहीं दी।
कम क्षेत्रफल में अधिक पैदावार: जखनी बुंदेलखंड का इकलौता ऐसा मॉडल गांव है, जहां सबसे कम क्षेत्रफल में सर्वाधिक पैदावार होती है। इस साल यहां 21 हजार क्विंटल बासमती हुआ है। उमाशंकर कहते हैं कि सरकार इसके सुखद परिणामों का लाभ ले सकती है।
यह भी पढ़े-