केरल हाईकोर्ट ने कहा, न्याय तक पहुंच सुनिश्चित करने के लिए लॉकडाउन के दौरान अधिवक्ताओं के कार्यालयों को छूट देने पर विचार करे केंद्र

Apr 23, 2020

केरल हाईकोर्ट ने कहा, न्याय तक पहुंच सुनिश्चित करने के लिए लॉकडाउन के दौरान अधिवक्ताओं के कार्यालयों को छूट देने पर विचार करे केंद्र

न्याय तक पहुंच के मौलिक अधिकार को सुरक्षित करने के लिए अधिवक्ताओं के कार्यालयों का कामकाज करना आवश्यक है। यह टिप्पणी करते हुए केरल हाईकोर्ट ने मंगलवार को केंद्र सरकार से पूछा है कि कि क्या लॉकडाउन से अधिवक्ताओं को छूट देना संभव है। न्यायमूर्ति देवन रामचंद्रन की अध्यक्षता वाली पीठ ने केंद्र सरकार के वकील से कहा कि वे न्याय के लिए पहुँच के दृष्टिकोण से अधिवक्ताओं को लॉकडाउन के दौरान छूट देने के मामले में गृह मंत्रालय से निर्देश प्राप्त करें।

इस पीठ में न्यायमूर्ति टी. आर. रवि भी शामिल थे। पीठ इस मामले में केरल हाईकोर्ट एडवोकेट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष एडवोकेट लक्ष्मी नारायण की तरफ से किए गए मौखिक अनुरोध पर विचार कर रही थी। एडवोकेट नारायण ने कहा था कि लॉकडाउन के दौरान एर्नाकुलम में अपने कार्यालयों/ चैंबर तक पहुँचने के लिए हाईकोर्ट अधिवक्ताओं को छूट दी जानी चाहिए या प्रतिबंधों में ढील दी जानी चाहिए। केएचसीएए के अध्यक्ष ने बताया कि ई-फाइलिंग की अनुमति दे दी गई है, परंतु एडवोकेट को अध्ययन करने और केस की तैयारी करने के लिए अपने कार्यालयों का उपयोग करना पड़ता है। इसके अलावा, कई अधिवक्ता तकनीक से अच्छी तरह वाकिफ नहीं है और इसलिए उनको याचिकाओं की ड्रैफ्टिंग या आलेखन और ई-फाइलिंग के लिए अपने कर्मचारियों की सहायता की आवश्यकता होती है।

केंद्र सरकार के वकील ने बताया कि गृह मंत्रालय द्वारा जारी दिशानिर्देशों में अधिवक्ताओं के लिए कोई छूट सूचीबद्ध नहीं की गई है या कोई छूट नहीं दी गई है। राज्य सरकार के अतिरिक्त महाधिवक्ता ने बताया कि कोचिन निगम क्षेत्र को 'हॉटस्पॉट' के रूप में अधिसूचित किया गया है। इस पर न्यायमूर्ति देवन रामचंद्रन ने कहा कि ''न्याय तक पहुंच महत्वपूर्ण है और अधिवक्ताओं के बिना यह संभव नहीं है।'' पीठ ने सीजीसी से कहा है कि अगर संभव है तो सख्त शर्तों के साथ अधिवक्ताओं के कार्यालयों में प्रतिदिन कुछ घंटों के लिए प्रतिबंधित कामकाज की अनुमति दी जा सकती है, जिसमें सीमित कर्मचारियों को ही काम करने की अनुमति दी जाए। जब सीजीसी ने अदालत को बताया कि एमएचए के दिशानिर्देशों में अधिवक्ताओं को छूट देने के बारे में उल्लेख नहीं किया गया है। तो इस पर पीठ ने सीजीसी से कहा कि वह न्याय तक पहुंच के दृष्टिकोण से किसी भी संभावित छूट के संबंध में मंत्रालय से निर्देश प्राप्त करें या पूछें। इस मामले में अब 24 अप्रैल को सुनवाई की जाएगी। एडवोकेट्स एसोसिएशन ऑफ बेंगलुरु और दिल्ली बार एसोसिएशन ने भी लॉकडाउन अवधि के दौरान उनके कार्यालयों में आने-जाने की अनुमति मांगी है और इसके लिए अपने ज्ञापन भी प्रस्तुत किए हैं। दिल्ली हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने दिल्ली के सीएम को एक पत्र भेजा था,जिसमें कहा गया था कि गृह मंत्रालय द्वारा जारी किए गए नए दिशानिर्देशों के तहत 20 अप्रैल 2020 से कुछ अतिरिक्त गतिविधियों को अनुमति दी जा रही है।

इनमें इलेक्ट्रिशियन, आईटी रिपेयर, प्लंबर, मोटर मैकेनिक, बढ़ई जैसे ''सेल्फ एम्प्लॉयड पर्सन या स्व-नियोजित व्यक्तियों''द्वारा की जाने वाली गतिविधियाँ शामिल हैं। एसोसिएशन ने कहा कि यह सूची केवल ''उदाहरण स्वरूप'' है और अधिसूचना का उद्देश्य ''सभी स्व-नियोजित व्यक्तियों को गतिविधियों को फिर से शुरू करने'' की अनुमति देना है, बशर्ते सामाजिक दूरी के मानदंडों का सख्ती से पालन किया जाए। एसोसिएशन ने कहा था कि दिल्ली बार एसोसिएशन का स्पष्ट मत है कि सामाजिक दूरी के लिए निर्धारित मानदंडों का सख्ती से पालन करते हुए अधिवक्ताओं की उन गतिविधियों को जारी रखा जा सकताा है जो उनके कार्यालय/चैंबरों तक सीमित है। इस प्रकार, अधिवक्ताओं के कार्यालय/चैंबर की गतिविधियों को नए या रिलैक्स्ट दिशा-निर्देशों के तहत कवर किया गया है और सामाजिक दूरी के मानदंडों का पालन करते हुए इनकी अनुमति दी जानी चाहिए।

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