न्यूनतम मज़दूरी अधिनियम: अनुभव के आधार पर अकुशल को अर्धकुशल और अर्धकुशल को कुशल बताना नियमविरुद्ध है : सुप्रीम कोर्ट [निर्णय पढ़े]

May 07, 2019

न्यूनतम मज़दूरी अधिनियम: अनुभव के आधार पर अकुशल को अर्धकुशल और अर्धकुशल को कुशल बताना नियमविरुद्ध है : सुप्रीम कोर्ट [निर्णय पढ़े]

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि न्यूनतम मज़दूरी के निर्धारण/संशोधन के लिए जारी की गई अधिसूचना में अनुभव के आधार पर अकुशल कर्मचारी को अर्धकुशल और अर्धकुशल और अकुशल बताने काअधिकार सरकार को नहीं। न्यूनतम मज़दूरी अधिनियम की धारा 5 के तहत जारी अधिसूचना के तहत हरियाणा के श्रम विभाग ने श्रमिकों की निम्नलिखित श्रेणियों की चर्चा की है : अकुशल कर्मचारी जिनके पास पाँच साल का अनुभव हैउन्हें अर्ध-कुशल और 'A' श्रेणी में माना जाएगा; अर्ध-कुशल 'A' श्रेणी में तीन साल का अनुभव लेने के बाद कर्मचारी को 'B' श्रेणी का अर्ध-कुशल माना जाएगा और कुशल 'A' श्रेणी में तीन साल का अनुभवलेने वालों को 'B' श्रेणी का कुशल माना जाएगा। न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति एमआर शाह की पीठ ने इस बारे में कहा,

 यह भी पढ़े-

ब्रेकिंग : इन-हाउस पैनल ने CJI के खिलाफ यौन उत्पीड़न की शिकायत खारिज की, नहीं होगी रिपोर्ट सार्वजनिक, जानने के लिए लिंक पे क्लिक करे http://uvindianews.com/news/breaking-in-house-panel-rejected-the-complaint-of-sexual-harassment-against-cji-will-not-report-public

सिर्फ़ वे कर्मचारी जो सिर्फ़ ईनाम के लिए नियुक्त किए जाते हैं, वे ही अधिसूचना का हिस्सा हो सकते हैं
पीठ ने या भी कहा कि सभी प्रशिक्षुओं को इस अधिसूचना में शामिल नहीं किया जा सकता। हालाँकि उसने ऐसे प्रशिक्षुओं के लिए निर्धारित न्यूनतम मज़दूरी को उचित बताया जिन्हें ईनाम के लिए नियुक्तिमिली है। पीठ ने कहा कि ऐसे प्रशिक्षु जिन्हें मज़दूरी नहीं मिलती है, उन्हें इस अधिसूचना में शामिल नहीं किया जा सकता है। पीठ ने यह भी कहा कि अधिनियम के अनुसार सरकार को प्रशिक्षण की अवधिया प्रशिक्षण के बारे में कोई नियम निर्धारण का कोई अधिकार नहीं है। कोर्ट ने कहा कि 'कर्मचारी' ठेकेदारों द्वारा नियुक्त किए गए कामगारों को अधिनियम के अधीन लाएँगे।

 यह भी पढ़े-

किसी भी पार्टी के मैनिफेस्टो में फौजियों के बारे में कुछ भी नहीं लिखा है: मृणालिनी सिंह, जानने के लिए लिंक पे क्लिक करे http://uvindianews.com/news/about-the-troops-of-any-partys-manifesto-nothing-written-in-mrinalini-singh

मज़दूरी के वर्गीकरण की अनुमति नहीं
पीठ ने अपील को स्वीकार करत हुए कहा,

  • अधिसूचना में मज़दूरी को भत्ते में बाँटने की इजाज़त नहीं है;
  • सिक्योरिटी इन्स्पेक्टर/सिक्योरिटी ऑफ़िसर/सिक्योरिटी सुपरवाइज़र को इस अधिसूचना में शामिल नहीं किया जा सकता;
  • जिन प्रशिक्षुओं को नियुक्ति दी गई है पर उन्हें किसी तरह के लाभ का कोई भुगतान नहीं किया जा रहा है तो उसे इस अधिसूचना का हिस्सा नहीं बनाया जा सकता;
  • अकुशल कर्मचारियों को अनुभव के आधार पर अर्धकुशल बताना नियमविरुद्ध है;
  •  प्रशिक्षण की अवधि को एक साल निर्धारित करना सरकार के अधिकार के बाहर है।

 यह भी पढ़े-

सुप्रीम कोर्ट ने फइक को दी चेतावनी, डिफॉल्टर्स की सूची करो सार्वजनिक नहीं तो अवमानना का केस, जानने के लिए लिंक पे क्लिक करे http://uvindianews.com/news/supreme-court-warns-fike-list-defaulters-if-not-public-contempt-case

आपकी राय !

अग्निवीर योजना से कितने युवा खुश... और कितने नहीं वोट करे और कमेंट में हमे वजह बातए ? #agniveer #agniveeryojana #opinionpoll

मौसम