Ambedkar Jayanti 2022: पीएम मोदी ने कहा-आज देश के लिए बाबा साहब अंबेडकर के सपनों को पूरा करने की हमारी प्रतिबद्धता को दोहराने का दिन

Apr 14, 2022
Source: https://hindi.livelaw.in

Dr. BR Ambedkar Jayanti दलितों के मसीहा माने जाने वाले और भारत के संविधान के निर्माता अंबेडकर को आज देशभर में श्रद्धांजलि दी जा रही है। केंद्र सरकार ने भी आज के दिन को पूरे भारत में अवकाश की घोषणा की है।

नई दिल्ली, जेएनएन Dr Babasaheb Ambedkar Jayanti। देशभर में आज बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर की जयंती मनाई जाती है। आज 14 अप्रैल को ही उनका जन्म मध्य प्रदेश के महू के एक गांव में हुआ था। दलितों के मसीहा माने जाने वाले और संविधान निर्माता अंबेडकर को आज देशभर में श्रद्धांजलि दी जा रही है। केंद्र सरकार ने भी आज के दिन को पूरे भारत में अवकाश की घोषणा की है। इस बीच प्रधानमंत्री मोदी ने अंबेडकर को ट्वीट कर श्रद्धांजलि दी है। उन्होंने ट्वीट कर कहा कि अंबेडकर ने भारत की प्रगति में अमिट योगदान दिया है। यह हमारे देश के लिए उनके सपनों को पूरा करने की हमारी प्रतिबद्धता को दोहराने का दिन है।

वीडियो भी किया शेयर

पीएम ने अपने ट्वीट में एक वीडियो भी साझा किया। इस वीडियो में अंबेडकर के पूरे जीवनकाल में उनके द्वारा दी गई सीख को बताया गया है और लोगों को उनके संदेशों के बारे में बताया गया है। वीडियो में बताया गया है कि अंबेडकर जी का सपना केवल यही था कि कैसे हमारा देश स्मृद्ध बने और देश के बच्चे शिक्षित बने।

इस अवसर पर आज राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने डॉ. भीमराव अंबेडकर की जयंती पर उन्हें संसद में श्रद्धांजलि दी। इस दौरान कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला और अन्य लोगों ने भी श्रद्धासुमन अर्पित किए।

अंबेडकर जयंती क्यों है खास (Ambedkar Jayanti 2022)

बता दें कि आज के दिन को भारत में समानता दिवस और ज्ञान दिवस के रूप में भी जाना जाता है। आज ही ब्रिटिश कोलंबिया, कनाडा में 'अंबेडकर समानता दिवस' मनाया जाता है। अंबेडकर को भारतीय संविधान के पिता भी कहा जाता है, ऐसा इसलिए है क्योंकि उनकी अध्यक्षता में ही दुनिया का सबसे लंबा लिखित संविधान तैयार किया गया था। बाबासाहेब ने जाति व्यवस्था का कड़ा विरोध किया था और दलितों के उत्थान के लिए भी कई कदम उठाए थे। इसी के चलते उन्हें दलितों का मसीहा भी कहा जाता है।

 

 

 

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