भारत जोड़ो यात्रा का भविष्य, जमीन पर तो नहीं दिख रहा इसका असर

Oct 11, 2022
Source: https://www.jagran.com/

यात्रा के नाम पर लोगों से जनसंपर्क तो ठीक है लेकिन क्या वह अगले आम चुनाव तक प्रभावी बना रहेगा? कांग्रेस का यह कहना भी गले नहीं उतरता कि इस यात्रा का कोई राजनीतिक उद्देश्य नहीं है क्योंकि हर दल की ऐसी गतिविधियां राजनीतिक लाभ के लिए ही होती हैं।

भारत जोड़ो यात्रा (Bharat Jodo Yatra) के एक माह पूरे होने के बाद कांग्रेस नेताओं की ओर से राहुल गांधी (Rahul Gandhi) की प्रशंसा में जैसे वक्तव्य दिए जा रहे हैं, वैसा कुछ फिलहाल तो जमीन पर होता हुआ नहीं दिखता। निःसंदेह जिन क्षेत्रों से यह यात्रा गुजर रही है, वहां कुछ राजनीतिक हलचल अवश्य नजर आ रही है, लेकिन शेष देश और विशेष रूप से उत्तर भारत में इस यात्रा को लेकर कोई उमंग और उत्साह नहीं दिख रहा है। इसकी अनदेखी नहीं की जा सकती कि उत्तर भारत में कांग्रेस उन अनेक राज्यों में बेहद कमजोर है, जो एक समय उसके गढ़ हुआ करते थे। ऐसे राज्य भारत जोड़ो यात्रा की प्राथमिकता में भी नहीं दिख रहे हैं। आखिर इसका क्या अर्थ कि सबसे अधिक लोकसभा सीटों वाले राज्य उत्तर प्रदेश में इस यात्रा की अवधि चार-पांच दिन ही रखी गई है? इससे तो यही लगता है कि कांग्रेस को उत्तर प्रदेश से कोई आशा नहीं है। इस यात्रा के मार्ग से चुनाव वाले राज्य गुजरात और हिमाचल प्रदेश भी बाहर हैं। जब अन्य दलों के नेता इन राज्यों में सक्रियता बढ़ा रहे हैं, तब कांग्रेस अपना सारा ध्यान भारत जोड़ो यात्रा पर लगाए हुए है। आखिर यह रणनीतिक रूप से कितना सही है? 

कांग्रेस नेता कुछ भी कहें, अभी ऐसा कुछ नहीं दिख रहा है कि देश भर में राहुल गांधी की लोकप्रियता बढ़ रही है और वह लोगों के बीच चर्चा का केंद्र बन गए हैं। इसका कारण यही है कि इस यात्रा का अघोषित रूप से नेतृत्व कर रहे राहुल गांधी न तो कोई विमर्श खड़ा कर पा रहे हैं और न ही ऐसा मुद्दा उठा पा रहे हैं, जो देश का ध्यान अपनी ओर खींच सके। वह बीते एक माह से वही पुरानी बातें दोहरा रहे हैं, जो एक लंबे समय से कहते चले आ रहे हैं। क्या यह किसी से छिपा है कि हर छोटी-बड़ी बात पर मोदी सरकार को कोसने और वीर सावरकर की देशभक्ति पर सवाल उठाने का काम वह न जाने कब से कर रहे हैं?
यात्रा के नाम पर लोगों से जनसंपर्क तो ठीक है, लेकिन क्या वह अगले आम चुनाव तक प्रभावी बना रहेगा? कांग्रेस का यह कहना भी गले नहीं उतरता कि इस यात्रा का कोई राजनीतिक उद्देश्य नहीं है, क्योंकि हर दल की ऐसी गतिविधियां राजनीतिक और चुनावी लाभ के लिए ही होती हैं। इन दिनों कांग्रेस अपने अध्यक्ष पद के चुनाव के लिए भी चर्चा में है, लेकिन ये चुनाव इसीलिए हो रहे हैं, क्योंकि राहुल गांधी ने फिर से पार्टी की कमान संभालने से मना कर दिया। इसके बावजूद इसमें किसी को कोई संशय नहीं कि कांग्रेस में वही होगा, जो गांधी परिवार चाहेगा। यह भी तय है कि राहुल गांधी पहले की तरह पर्दे के पीछे से पार्टी चलाएंगे।

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