नए सामाजिक सुरक्षा कोड से बहुरेंगे कर्मचारियों के दिन
नए सामाजिक सुरक्षा कोड से बहुरेंगे कर्मचारियों के दिन
नई दिल्ली : कर्मचारियों के दिन थोड़े बहुरने वाले हैं। संशोधित सामाजिक सुरक्षा कोड में पांच वर्ष से कम अवधि के फिक्स टर्म रोजगार में भी ग्रेच्युटी और खतरनाक उद्योगों में इकलौते कर्मचारी को भी ईएसआइ के दायरे में लाने के प्रावधान प्रमुख हैं। सामाजिक सुरक्षा कोड में कर्मचारियों के घर और दफ्तर के बीच आवागमन के दौरान दुर्घटना की स्थिति में नियोक्ता द्वारा क्षतिपूर्ति दिए जाने का प्रावधान किया गया है। इस संबंध में विधेयक को संसद के शीतकालीन सत्र में पेश किया गया था, लेकिन विपक्षी दलों ने स्टैं¨डग कमेटी के पास भेजने की बात कही। इसके बाद चर्चा आगे नहीं बढ़ सकी। अगले सत्र में विधेयक पुन: पेश होने की उम्मीद है।
विधेयक के प्रावधानों के अनुसार, अब 10 से कम कर्मियों वाले प्रतिष्ठानों पर भी ईएसआइ लागू हो सकेगा। हालांकि, इसे स्वैच्छिक रखा गया है। यदि कोई प्रतिष्ठान किसी कर्मचारी का ईएसआइ में नामांकन नहीं कराता है, तब भी कर्मचारी को ईएसआइ का लाभ मिलेगा। कोड के तहत पहली अनुसूची का विस्तार कर 20 या अधिक कर्मचारियों वाले सभी प्रतिष्ठानों को ईपीएफ, ईपीएस व ईडीएलआइ के दायरे में ला दिया गया है।
असंगठित क्षेत्र के प्रतिष्ठानों को संगठित क्षेत्र में लाने के लिए कोड में सभी प्रतिष्ठानों के पंजीकरण अनिवार्य कर दिया गया है। भले ही उसमें कितने भी कर्मचारी हों। पंजीकरण के लिए स्थानीय निकायों के स्तर पर ‘वर्कर्स फैसिलिटेशन सेंटर’ स्थापित किए जाएंगे। ओला, उबर जैसे टैक्सी एग्रीगेटर्स के साथ अल्पकालिक कांट्रैक्ट पर काम करने वाले ड्राइवर व जोमैटो जैसे ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के जरिये रेस्तरांओं का खाना सप्लाई करने वालों को सामाजिक सुरक्षा प्रदान करने के लिए केंद्र सरकार सामाजिक सुरक्षा योजनाएं तैयार करेगी। ठेका कर्मचारियों के मामले में प्रधान नियोक्ता को अंशदान करना पड़ेगा।
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