देश के नौ अहम उद्योगों पर लंबे समय तक रहेगा संकट

Apr 28, 2020

देश के नौ अहम उद्योगों पर लंबे समय तक रहेगा संकट

कोविड-19 की वजह से लागू राष्ट्रीय लॉकडाउन अगर अगले कुछ हफ्तों में पूरी तरह से खत्म भी हो जाए तो इसकी छाया से तमाम उद्योगों को निकलने में महीनों लग जाएंगे। प्रमुख शोध एजेंसी डन एंड ब्रैडस्ट्रीट ने देश के 16 प्रमुख उद्योगों और इन पर कोरोना वायरस से उपजी स्थिति पर एक विस्तृत रिपोर्ट प्रकाशित की है जो बेहद चिंता जताने वाली है। इसमें कहा गया है कि नौ ऐसे उद्योग हैं जो लॉकडाउन व अंतरराष्ट्रीय हालात से काफी लंबे समय तक प्रभावित रहेंगे। इनमें पर्यटन, ऑटोमोबाइल, मनरंजन, इलेक्ट्ऱॉनिक्स, हॉस्पिटैलिटी, इलेक्ट्रॉनिक्स, बैंकिंग, रत्न-आभूषण और छोटे व मझोले उद्योग सेक्टर हैं। चिंता की बात यह है कि देश में रोजगार के अवसरों को पैदा करने में इन उद्योगों की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण होती है। अब देखना है कि सरकार जब उद्योग जगत के लिए अलग से पैकेज की घोषणा करने की तैयारी में है तो इन उद्योगों के लिए क्या किया जाता है।

रिपोर्ट के मुताबिक ड्रग्स व फार्मास्यूटिकल्स, रिटेल, थोक कारोबार, टेक्सटाइल और लाइवस्टॉक पर फिलहाल तो असर होगा, लेकिन यह असर बहुत दिनों तक नहीं दिखेगा। इनमें स्थिति बहुत ही तेजी से सामान्य हो सकेगी। लॉजिस्टिक्स और मेटल उद्योगों के बारे में कहा गया है कि ये बहुत ज्यादा दिनों तक दबाव में नहीं रहेंगे और अभी जो असर पड़ा है उसे जल्दी दूर करने में सफल होंगे। ज्यादा प्रभावित होने वाले उद्योगों में बैंकिंग के बारे में रिपोर्ट में कहा गया है कि आने वाले महीनों में फंस कर्जे (एनपीए) की समस्या केंद्रीय बैंक के अनुमान से भी ज्यादा रहेगी। आरबीआइ ने कहा है कि सितंबर, 2020 तक एनपीए का स्तर कुल अग्रिम के मुकाबले 10.5 फीसद तक हो सकता है। अभी यह तकरीबन 9.5 फीसद है। रिपोर्ट का कहना है कि वास्तविक स्थिति इससे भी ज्यादा हो सकती है। पर्यटन उद्योग जो सबसे ज्यादा रोजगार देता है, के बारे में कहा गया है कि लंबे समय तक विदेशी पर्यटकों की संख्या बहुत ही सीमित रहेगी। शारीरिक दूरी व दूसरे स्वास्थ्य मानकों का पालन करना भी इस उद्योग के लिए मुश्किल भरा होगा। इलेक्ट्रॉनिक्स उपकरण उद्योग के बारे में कहा गया है कि इकोनॉमी की स्थिति खराब होने की वजह से इसकी मांग और नीचे चली जाएगी। वैसे पिछले दो वर्षो से इस उद्योग में मांग की स्थिति कमजोर बनी हुई है।

कोरोना लॉकडाउन और फ्रैंकलिन टेंपलटन के छह डेट फंड्स बंद होने से पूंजी बाजार, खासकर म्यूचुअल फंड मार्केट में मचे हड़कंप को थामने के लिए रिजर्व बैंक की घोषणा को कांग्रेस ने सही कदम करार दिया है। पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने कहा कि म्यूचुअल फंड सेक्टर को 50,000 करोड़ की लिक्विडिटी देने की रिजर्व बैंक की घोषणा स्वागत योग्य कदम है। प्रवासी व कृषि मजदूरों से लेकर असंगठित क्षेत्र के कामगारों के लिए अभी तक राहत पैकेज घोषित न किए जाने पर चिदंबरम ने चिंता जाहिर करते हुए केंद्र पर सवाल दागे। रिजर्व बैंक के फैसले पर टिप्पणी करते हुए कहा कि दो दिनों से म्यूचुअल फंड सेक्टर को लेकर जताई जा रही गहरी चिंताओं को देखते हुए यह सही कदम है। उन्होंने कहा कि पट्टे पर खेती करने वाले किसानों, भूमिहीन कृषि मजदूर, प्रवासी मजदूर, स्वरोजगार करने वालों के साथ टैक्सी-ऑटो, रेहड़ी-पटरी दुकानदारों को मदद नहीं दी गई है।

कोविड-19 की वजह से पस्त उद्योग जगत की तरफ से पैकेज की मांग पर संभवत: कदम बढ़ रहे हैं। माना जा रहा है कि अभी तक दो अहम औद्योगिक सेक्टर के लिए बड़े राहत पैकेज को लेकर सहमति बनती दिख रही है। जो तैयारी चल रही है, उसके मुताबिक छोटे व मझोले उद्योगों को तीन लाख करोड़ रुपये और एविएशन सेक्टर को तकरीबन 12 हजार करोड़ रुपये की अलग-अलग राहत दी जा सकती है। पैकेज में सरकार की तरफ से सीधे आर्थिक मदद देने की जगह वित्तीय संस्थानों से सस्ते दरों पर कर्ज उपलब्ध कराने व शुल्कों में राहत देने के उपाय शामिल हैं।

लॉकडाउन की वजह से अन्य तमाम उद्योगों की तरफ उक्त दोनों उद्योगों का चक्का पूरी तरह से थमा हुआ है। छोटे व मझोले उद्योगों में बड़े पैमाने पर रोजगार के अवसर जुड़े होने की वजह से उन्हें एक बड़ा पैकेज देने का विचार है जबकि एविएशन सेक्टर पर शारीरिक दूरी संबंधी नियमों को लागू करने से पड़ने वाले बोझ से बचाने के लिए राहत देने की तैयारी है। सूत्रों के मुताबिक छोटे व मझोले उद्योगों के लिए अभी सोच यह है कि जैसे ही लॉकडाउन को लेकर नियमों में ढील मिले, वो काम शुरू कर दें। एमएसएमई मंत्री नितिन गडकरी ने हाल में कहा भी था कि उन्होंने एक पैकेज बनाकर पीएमओ को सौंपा है। एमएसएमई की सबसे बड़ी जरूरत वर्किग कैपिटल की है। दूसरी तरफ बैंकों के पास अभी पर्याप्त तरलता है। इस स्थिति को देखते हुए यह विचार किया जा रहा है कि अभी हर बैंक अपने अपने एसएमई ग्राहकों को उन पर बकाये कर्जे का 20 फीसद राशि तुरंत उपलब्ध करा दें ताकि इनका काम बगैर किसी देरी के शुरू हो सके।

इस पैकेज का दूसरा अहम हिस्सा यह होगा कि सरकारी विभागों को एसएमई के बकाये राशि का जल्दी से भुगतान कराने की भी व्यवस्था होगी। जानकारों के मुताबिक वित्त मंत्रलय ने एविएशन सेक्टर को कई तरह के करों में राहत देने का प्रस्ताव भी तैयार है। इन कंपनियों को अगले कुछ महीनों तक ईंधन पर देय टैक्स के भुगतान से छूट मिल जाएगी। बाद में कर अदायगी पर कोई ब्याज भी नहीं लिया जाएगा। सरकार की उद्योग जगत के साथ भी इस भावी पैकेज को लेकर कई दौर की बैठकें हो चुकी हैं। सीधे मदद के बदले कर्ज, ब्याज, शुल्क आदि में राहत संभव लॉकडाउन की वजह से अन्य उद्योगों की तरफ उक्त दोनों उद्योगों का चक्का पूरी तरह से थमा है |

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