उड़ीसा HC वकीलों ने जजों की नियुक्ति के लिए 'अवैध सिफारिशों' पर CJ व कॉलेजियम जजों की अदालतों का बहिष्कार किया
उड़ीसा HC वकीलों ने जजों की नियुक्ति के लिए 'अवैध सिफारिशों' पर CJ व कॉलेजियम जजों की अदालतों का बहिष्कार किया
जजों की नियुक्ति के लिए उड़ीसा उच्च न्यायालय कॉलेजियम द्वारा की गई सिफारिशों पर असंतोष व्यक्त करते हुए उड़ीसा हाई कोर्ट एडवोकेट एसोसिएशन ने सोमवार को मुख्य न्यायाधीश और कॉलेजियम में शामिल 2 जजों की अदालतों का बहिष्कार किया। एसोसिएशन ने 26 जून तक ये बहिष्कार जारी रखने का प्रस्ताव पारित किया है। दरअसल ये विवाद कॉलेजियम द्वारा वकीलों को जजों के तौर पर नियुक्ति के लिए की गई सिफारिशों से संबंधित है। एसोसिएशन के अनुसार जिनकी सिफारिश की गई है वो उच्च न्यायालय में नियमित वकालत नहीं करते हैं। एसोसिएशन ने उड़ीसा के राज्यपाल, भारत के मुख्य न्यायाधीश, केंद्रीय कानून मंत्री और प्रधान मंत्री से मिलने का भी प्रस्ताव पारित किया है ताकि "अवैध सिफारिशों" को स्वीकार न किया जाए। बीते 16 मई को एसोसिएशन के अध्यक्ष वरिष्ठ वकील गोपाल कृष्ण मोहंती के नेतृत्व में वकीलों के एक प्रतिनिधिमंडल ने प्रस्तावों पर अस्वीकृति व्यक्त करने के लिए CJ और कॉलेजियम के 2 न्यायाधीशों से मुलाकात की थी। मुख्य न्यायाधीश ने प्रतिनिधिमंडल को यह सूचित किया कि अनुशंसित व्यक्ति पात्रता मानदंडों को पूरा करते हैं और अदालत में उनकी पर्याप्त उपस्थिति और फाइलिंग दर्ज है। हालांकि एसोसिएशन ने CJ द्वारा किए गए दावे से असहमती जताई और 17 मई को विरोध दिवस के रूप में मनाया। 16 मई को यह भी निर्णय लिया गया कि वकील 17 जून को CJ और कॉलेजियम के 2 अन्य न्यायाधीशों की अदालतों में उपस्थित होने से परहेज करेंगे |
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