वर्कफोर्स में महिलाओं की तादाद बढ़ाने के लिए आएगी पॉलिसी!

Jul 09, 2019

वर्कफोर्स में महिलाओं की तादाद बढ़ाने के लिए आएगी पॉलिसी!

उद्योग विहार (जुलाई 2019)- नई दिल्ली।
केंद्र सरकार देश की वर्कफोर्स में महिलाओं की भागीदारी अगले पांच वर्षों में बढ़ाकर कम से कम 30 प्रतिशत तक ले जाने की एक नीति पर काम कर रही है। यह कदम बीजेपी के चुनावी वादे के हिसाब से उठाया जा रहा है। एक सीमा से अधिक
महिला कर्मचारियों को रखने वाली फर्मों को टैक्स इंसेंटिव देने, असंगठित क्षेत्र में मौजूदा कानूनों को लागू करने, महिलाओं को काम पर वापस लौटने में मदद करने वाली उदार नीतियां बनाने जैसे कदमों पर विचार किया जा रहा है। साथ ही प्राइवेसी, मिनिमम वेज और मैटरनिटी बेनेफिट जैसे प्रावधानों को इनफॉर्मल सेक्टर में लागू कराया जाएगा। एक सरकारी अधिकारी ने बताया कि इस योजना पर चर्चा चल रही है और इस संबंध में नीति जल्द बनाई जा सकती है क्योंकि यह सरकार की प्राथमिकता में शामिल मामला है। डेलॉयट की एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार, महिलाओं की वर्कफोर्स में भागीदारी 2005 के 36.7 पर्सेंट से गिरकर 2018 में 26 पर्सेंट पर आ गई थी। इसका मतलब यह है कि 95 पर्सेंट यानी 19.5 करोड़ महिलाएं या तो असंगठित क्षेत्र में नौकरी कर रही हैं या बिना वेतन वाले काम कर रही हैं। सांख्यिकी मंत्रालय की ओर से हाल में जारी पीरियॉडिक लेबर फोर्स सर्वे में बताया गया था कि वित्त वर्ष 2018 में शहरी क्षेत्र की महिलाओं में बेरोजगारी की दर सबसे ज्यादा 10.8 प्रतिशत जबकि ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाओं में 3. 8 प्रतिशत थी। 15-29 वर्ष के ग्रुप में यह रेट शहरी महिलाओं में 27.2 पर्सेंट और गांव की महिलाओं में 13.6 पर्सेंट पर था। यह आंकड़ा शहर के पुरुषों में 18.7 पर्सेंट और गांव के पुरुषों में 17.4 पर्सेंट पर था। नीति आयोग ने अपने इंडिया/75 रोडमैप में सरकार को सुझाव दिया था कि महिलाओं की लेबरफोर्स में भागीदारी को 30 पर्सेंट तक पहुंचाना चाहिए। बीजेपी के 2019 के घोषणापत्र में भी ‘वुमेन इन वर्कफोर्स’ नामक रोडमैप बनाने की बात कही गई थी जिसमें अगले पांच सालों में महिलाओं की वर्कफोर्स में भागीदारी बढ़ाना और इंडस्ट्रीज और कॉरपेारेट्स को महिलाओं के लिए रोजगार के बेहतर अवसर पैदा करने के लिए प्रोत्साहित करना शामिल था। अधिकारी के मुताबिक, यह कई सेक्टरों से जुड़ा काम है और इसे साकार करने के लिए लेबर एंड एंप्लॉयमेंट, वुमेन एंड चाइल्ड डिवलेपमेंट, स्किल डिवेलपमेंट और ह्यूमन रिसोर्स डिवेलपमेंट के साथ तमाम मंत्रालयों को मिल कर काम करना होगा। इंडियन स्टाफिंग फेडरेशन की प्रेसिडेंट ऋतुपर्णा चक्रबर्ती ने कहा, ‘यह जरूरी है कि सरकार सही राय बनाए। यह बात उसके कदमों में साफ दिखनी चाहिए कि महिलाओं पर केंद्रित ऐसे कदम 2017 के मैटरनिटी बेनेफिट (अमेंडमेंट) एक्ट की तरह बैकफायर नहीं कर जाएंगे।’

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