वैवाहिक बलात्कार पर FIR और तलाक का आधार बनाने की PIL पर SC ने सुनवाई से इनकार किया
वैवाहिक बलात्कार पर FIR और तलाक का आधार बनाने की PIL पर SC ने सुनवाई से इनकार किया
सुप्रीम कोर्ट ने उस जनहित याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया जिसमें केंद्र सरकार से वैवाहिक बलात्कार के मामलों में एफआईआर दर्ज करने के लिए दिशा-निर्देश और इसे तलाक के लिए आधार बनाने के लिए उचित कानून और उपनियम बनाने के दिशा निर्देश जारी करने की मांग की गई थी।
दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की जा सकती है
सोमवार को जस्टिस एस. ए. बोबड़े की अध्यक्षता वाली पीठ ने याचिकाकर्ता अनुजा कपूर को कहा कि वो इस मामले में दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दाखिल कर सकती हैं।
याचिकाकर्ता द्वारा पेश किए गए तर्क
दरअसल याचिकाकर्ता अनुजा कपूर ने यह कहा था कि वैवाहिक बलात्कार से संबंधित मामले के पंजीकरण के लिए स्पष्ट दिशानिर्देशों की आवश्यकता है ताकि विवाहित महिलाओं की सुरक्षा के लिए जवाबदेही, जिम्मेदारी और दायित्व सुनिश्चित हो सके।
4 वर्ष पूर्व दायर हुई थी ऐसी ही एक याचिका
सुप्रीम कोर्ट द्वारा वैवाहिक बलात्कार को अपराध घोषित करने से इनकार करते हुए दिल्ली की MNC अधिकारी की उस याचिका को खारिज करने के 4 वर्ष बाद ये याचिका दाखिल की गई, जिसमें यह कहा गया था कि किसी व्यक्ति के लिए कानून में बदलाव का आदेश देना संभव नहीं है। उसने शिकायत की थी कि उसके पति ने बार-बार यौन हिंसा का सहारा लिया था लेकिन वह वैधानिक स्थिति के कारण असहाय थी जिसने वैवाहिक बलात्कार को अपराध नहीं माना।
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याचिकाकर्ता द्वारा सामने रखे गए NFHS के आंकड़े
राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NFHS) का हवाला देते हुए याचिकाकर्ता ने यह कहा था कि भारत में 15 से 49 वर्ष की आयु की 5% विवाहित महिलाओं ने रिपोर्ट की है कि उनके पति उन्हें शारीरिक रूप से तब भी यौन संबंध बनाने के लिए मजबूर करते थे जब वे ऐसा नहीं चाहती थीं। राज्य स्तर पर बिहार में 11.4% महिलाएं, मणिपुर में 10.6%, त्रिपुरा में 9%, पश्चिम बंगाल में 7.4%, हरियाणा में 7.3% और अरुणाचल प्रदेश में 7.1% ने बताया है कि वे अपने पति द्वारा यौन संबंध बनाने के लिए शारीरिक रूप से मजबूर थीं जबकि वो ऐसा नहीं चाहती थीं, याचिका में NFHS डेटा का हवाला दिया गया था। कपूर ने यह कहा कि भारत में 2.5% महिलाओं ने यह बताया है कि उनके पति उन्हें शारीरिक रूप से किसी भी अन्य यौन कार्य को करने के लिए मजबूर करते हैं जो वे नहीं करना चाहती। राज्य स्तर पर बिहार में 5.1% महिलाएं, कर्नाटक में 3.8% महिलाएं, अरुणाचल प्रदेश में 3.7% महिलाएं, मध्य प्रदेश और तमिलनाडु में 3.3% महिलाएं बताती हैं कि उनके पति ने उन्हें शारीरिक रूप से कोई अन्य यौन कार्य करने के लिए मजबूर किया है जो वे नहीं करना चाहती।
'वैवाहिक बलात्कार' नहीं है तलाक का एक आधार
चूंकि वैवाहिक बलात्कार, हिंदू विवाह अधिनियम, 1955, मुस्लिम पर्सनल लॉ (शरीयत) आवेदन अधिनियम, 1937 और विशेष विवाह अधिनियम, 1954 में तलाक का आधार नहीं है इसलिए इसे तलाक के लिए आधार के रूप में इस्तेमाल नहीं किया जा सकता।
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