कदम-कदम पर सांसों में जहर घोल रहा प्रदूषण

May 30, 2022
Source: https://www.jagran.com

शाहजहांपुर : ज्यादा दिन नही हुए जब दिल्ली व एनसीआर में छायी धुंध पूरे देश में बहस का मुद्दा

शाहजहांपुर : ज्यादा दिन नही हुए जब दिल्ली व एनसीआर में छायी धुंध पूरे देश में बहस का मुद्दा बनी थी। सुप्रीम कोर्ट को भी दखल देना पड़ा था। नरई व पराली को जलाने पर रोक लगाने के आदेश दिये गए थे। उम्र पूरी कर चुके वाहनों के संचालन पर रोक लगा दी गई थी, लेकिन इन सबका असर ज्यादा दिन तक नहीं रहा। अगर जिले की बात करें तो यहां कदम-कदम पर वायु प्रदूषण के कारण मौजूद हैं। चाहें पुराने वाहन हों या आबादी से सटे ईट भट्टे, बेकरी व फैक्ट्रियों की चिमनियों से निकलने वाला धुआं न सिर्फ पर्यावरण के लिए खतरा बना है बल्कि लोगों में सांस की बीमारी व कैंसर समेत तमाम रोगों को जन्म दे रहा है।

कूड़ा जलाने का सिलसिला जारी

पिछले दिनों कूड़ा जलाने पर रोक लगा दी गई थी। ऐसा करते हुए पाये जाने पर जुर्माने का प्रावधान किया गया था, लेकिन यहां आये दिन कूड़े के ढेर जलते हुए नजर आ जाएंगे। सड़क किनारे कूड़ा जलाये जाने से राहगीरों व आसपास के लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है।

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नहीं कर रहे मानकों का पालन

जिले में करीब छह सौ बड़े, लघु व कुटीर उद्योग हैं। इनमें वे ईंट भट्टे भी शामिल हैं, जो कहने को शहरों व गांवों के बाहर हैं, लेकिन आबादी उनसे दूर नहीं है। इनसे निकलने वाला धुआं हवा के साथ घुलकर स्वास्थ्य को काफी नुकसान पहुंचाता है। हालांकि चिमनियों में जिगजैग तकनीकी से कुछ भट्टा स्वामियों ने इस दिशा में प्रयास शुरू किये है, लेकिन अभी संख्या कम है। तमाम फैक्ट्रियां भी प्रदूषण बोर्ड के नियमों का पालन नहीं कर रही हैं।

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आबादी में धधक रहीं भट्ठियां

जिले में घनी आबादी के बीच बेकरियां चल रही हैं। अकेले शहर में ही में लगभग 40 छोटी व बड़ी बेकरी हैं। जिनमें रोजाना कुंतलों के हिसाब से लकड़ी व कोयला फूंका जाता है। भट्ठियों से उठने वाला धुआं आसपास रहने वालों के स्वास्थ्य पर प्रभाव डालता है, लेकिन प्रशासन इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रहा।

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पराली व नरई जलाने का सिलिसला जारी

पराली व नरई जलाने पर पूरी तरह प्रतिबंध लगा हुआ है, लेकिन अब भी किसान बाज नहीं नहीं आ रहे हैं। यह जानते हुए भी ऐसा करना आसपास खड़ी फसलों के साथ ही उनके खेतों की उर्वरा शक्ति के लिये भी नुकसानदेय है, लेकिन वह इसे जला रहे हैं। यही कारण है कि ग्रामीण क्षेत्रों में भी प्रदूषण का स्तर बढ़ रहा है।

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वाहनों की स्थिति :

- जिले में करीब डेढ़ लाख दो पहिया व चौपहिया वाहन हैं।

- इनमें गैर जनपदों से पंजीकृत करीब बीस हजार वाहन हैं

- वाहनों की परिवहन विभाग से नियमित फिटनेस नहीं होती है।

- वाहनों से निकलने जहरीला धुआं स्वास्थ्य को पहुंचाता है नुकसान।

- 15 साल से अधिक उम्र पूरी कर चुके करीब 1099 वाहन भी चल रहे।

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पौधरोपण का हाल :

- 2016 में छह लाख 80 हजार पौधे लगाए जाने का था दावा

- 2017 में भी छह लाख 80 हजार पौधे लगाने का था लक्ष्य

- 95 प्रतिशत पौधे जीवित रहने का वन विभाग का दावा।

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फोटो 14 एसएचएन : 25

प्रदूषण का सबसे बड़ा कारण वाहनों से निकलने वाला धुआं है जो स्वास्थ्य के लिये काफी हानिकारक होता है। डीजल व पेट्रोल के वाहनों से धुएं में कैंसरकारक तत्व जो सांस के साथ हमारे शरीर के अंदर जाते हैं। जो लोग इस तरह के धुएं के संपर्क में ज्यादा आता हैं, वह धीरे-धीरे गंभीर बीमारियों की चपेट में आ जाते हैं। इसी तरह फैक्ट्रियों व भट्टों से निकलने वाला धुआं भी स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। इससे त्वचा संबंधी रोगों से लेकर कैंसर तक की बीमारी हो सकती है।

डॉ. राजीव ¨सह, वरिष्ठ फिजिशियन।

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