शाहजहांपुर रेप केस- इलाहाबाद हाईकोर्ट ने चिन्मयानंद सरस्वती को अग्रिम जमानत दी

Dec 22, 2022
Source: https://hindi.livelaw.in/

इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने सोमवार (19 दिसंबर) को शाहजहांपुर रेप केस 2011 के मामले में पूर्व केंद्रीय मंत्री चिन्मयानंद सरस्वती को अंतरिम अग्रिम जमानत दे दी। जस्टिस समित गोपाल की खंडपीठ ने पीड़िता और राज्य सरकार को इस मामले में चार सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने के लिए नोटिस जारी करते हुए छह फरवरी तक अग्रिम जमानत दे दी। कोर्ट ने कहा, "राज्य के वकील ने अग्रिम जमानत की प्रार्थना का विरोध किया, लेकिन जांच के लंबित रहने के दौरान आवेदक को दिए गए संरक्षण के संबंध में तथ्यात्मक स्थिति पर विवाद नहीं कर सके। तथ्य यह है कि राज्य सरकार ने आवेदक के खिलाफ मुकदमा वापस लेने का फैसला किया है और यह भी कि आवेदक की उम्र 75 वर्ष है और वह विभिन्न शैक्षणिक, धार्मिक और चिकित्सा संस्थानों से जुड़ा हुआ है।"
गौरतलब है कि साल 2011 में एक महिला ने आरोप लगाया था कि उसे एक आश्रम में रखा गया और पूर्व केंद्रीय मंत्री ने उसके साथ दुष्कर्म किया। उसने आरोप लगाया था कि जब वह गर्भवती हुई तो स्वामी चिन्मयानंद ने जबरदस्ती उसके बच्चे का गर्भपात करा दिया। पुलिस ने पहले ही आईपीसी की धारा 376 (बलात्कार) और 506 (आपराधिक धमकी) के तहत मामले में आरोप पत्र दायर कर दिया है। इस मामले में शिकायतकर्ता/पीड़ित द्वारा लगाए गए आरोपों के अनुसार, सरस्वती ने उसके साथ जबरदस्ती शारीरिक संबंध स्थापित किया, उसके खाने में कुछ नशीला पदार्थ मिला दिया और उसके बाद उसके साथ क्रूरतापूर्ण व्यवहार किया। कथित तौर पर, स्वामी ने अश्लील ऑडियो-विजुअल वीडियो और अश्लील तस्वीरें भी लीं और इस दौरान उसे दो बार गर्भवती किया गया और पहली बार बरेली में और दूसरी बार लखनऊ में उसका गर्भपात कराया गया। इतना ही नहीं जब वह गर्भवती थी तो प्रार्थी के गुंडों ने उसके साथ बेरहमी से मारपीट की।
इससे पहले, 30 सितंबर को, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट, शाहजहांपुर के उस आदेश को बरकरार रखा था, जिसमें पूर्व केंद्रीय मंत्री चिन्मयानंद सरस्वती के खिलाफ बलात्कार के मामले को वापस लेने की राज्य सरकार की याचिका को स्वीकार करने से इनकार कर दिया था। कोर्ट ने उन्हें 30 अक्टूबर तक ट्रायल कोर्ट के सामने सरेंडर करने को भी कहा था, इस अवधि को सुप्रीम कोर्ट ने 30 नवंबर तक बढ़ा दिया था। हाईकोर्ट का रुख करते हुए उनके वकील ने तर्क दिया कि चूंकि आवेदक को जांच की अवधि के दौरान एक सुरक्षात्मक आदेश दिया गया था। इसलिए अब उसे मुकदमे की समाप्ति तक अग्रिम जमानत दी जा सकती है क्योंकि वह लगभग 75 वर्ष की आयु का एक वृद्ध और अशक्त व्यक्ति है। वर्षों से कई बीमारियां हैं।
यह भी तर्क दिया गया कि उन्हें आत्मसमर्पण करने और जमानत के लिए आवेदन करने के लिए 30 नवंबर तक का समय दिया गया था। हालांकि, यह किसी भी तरह से उन्हें प्रतिबंधित नहीं करेगा। दोनों पक्षों के वकीलों की दलीलों को ध्यान में रखते हुए, अदालत ने निम्नलिखित आदेश देकर उन्हें 6 फरवरी तक राहत दी। कोर्ट ने कहा, "लिस्टिंग की अगली तारीख तक, उपरोक्त मामले में शामिल आवेदक स्वामी चिन्मयानंद सरस्वती की गिरफ्तारी की स्थिति में, 1,00,000/- रुपये (एक लाख रुपये) के निजी बॉन्ड भरने और इतनी ही राशि के दो-दो जमानतदार पेश करने की शर्त पर अंतरिम अग्रिम जमानत पर रिहा किया जाएगा।"

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