सुप्रीम कोर्ट की सख्ती

Nov 08, 2019

सुप्रीम कोर्ट की सख्ती

दिल्ली और उसके आसपास वायु प्रदूषण के खतरनाक स्तर को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के साथ-साथ दिल्ली सरकार के मुख्य सचिवों को फटकार लगाते हुए यह सही कहा कि करोड़ों लोगों को यूं ही मरने के लिए नहीं छोड़ा जा सकता। उसने इन राज्यों को यह आदेश भी दिया कि वे उन किसानों को सौ रुपये प्रति क्विंटल के हिसाब से प्रोत्साहन राशि दें जिन्होंने पराली नहीं जलाई। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने यह कहा कि वह इस संदर्भ में धन की कमी की बात स्वीकार नहीं करेगा, लेकिन इसकी अनदेखी नहीं की जा सकती कि राज्य सरकारें पैसे की तंगी का रोना रो सकती हैं। वैसे यदि वे सुप्रीम कोर्ट के सख्त रवैये के बाद पराली के बचे-खुचे अवशेष को जलाए जाने से रोकने में सफल रहती हैं तो भी कहना कठिन है कि वायु प्रदूषण पर लगाम लग जाएगी। चूंकि किसान पराली इसलिए जलाते हैं कि उन्हें अपने खेत खाली कर नई फसल की तैयारी करनी होती है इसलिए उसके निस्तारण की कोई ठोस व्यवस्था तो करनी ही होगी। इसमें संदेह है कि राज्यों ने पराली निस्तारण के कोई ठोस उपाय कर रखे हैं। चूंकि उनके पास कोई उपाय नहीं इसीलिए तमाम चिंता के बाद भी पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में पराली जली।

केंद्र सरकार के साथ-साथ सुप्रीम कोर्ट को इससे परिचित होना चाहिए था कि राज्य सरकारों ने पराली दहन रोकने के कोई उपाय नहीं कर रखे हैं। उन्हें इससे भी अवगत होना चाहिए कि असल समस्या दिल्ली के पड़ोसी राज्यों और खासकर हरियाणा और पंजाब में जरूरत से ज्यादा धान की खेती होना है। धान की जरूरत से ज्यादा खेती तब हो रही है जब उसमें पानी का कहीं अधिक इस्तेमाल होता है। क्या यह उचित नहीं होगा कि किसानों को पराली न जलाने के एवज में प्रोत्साहन राशि देने के बजाय उन फसलों को उगाने के लिए प्रोत्साहित किया जाए जिनके अवशेष जलाने की जरूरत नहीं रहती? नि:संदेह यह भी समझा जाना चाहिए कि पराली दहन प्रदूषण का एक मात्र कारण नहीं। पराली दहन रोकने के साथ-साथ दिल्ली और उत्तर भारत के अन्य शहरों में बेहिसाब बढ़ते वाहनों की संख्या को भी थामने की जरूरत है। इसके अतिरिक्त इस पर भी गौर करने की जरूरत है कि यातायात जाम वाहनों के उत्सर्जन को और जहरीला बनाता है। वायु प्रदूषण की एक अन्य बड़ी वजह सड़कों एवं निर्माण स्थलों से उड़ने वाली धूल भी है। आखिर प्रदूषण के इन कारणों का निवारण कब होगा? यदि सुप्रीम कोर्ट वायुमंडल को दूषित करने वाले सभी कारणों के निवारण पर ध्यान नहीं देता तो उसका सख्त रवैया कारगर नहीं होने वाला।

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