सुप्रीम कोर्ट ने उबर से तीन सप्ताह के भीतर महाराष्ट्र सरकार से एग्रीगेटर लाइसेंस के लिए आवेदन करने को कहा

Feb 13, 2023
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सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने सोमवार को उबर को मोटर वाहन संशोधन अधिनियम, 2019 की धारा 93 (1) के तहत महाराष्ट्र राज्य में एग्रीगेटर लाइसेंस के लिए 3 सप्ताह के भीतर (6 मार्च, 2023 को या उससे पहले) आवेदन करने का निर्देश दिया। इसके साथ ही, कोर्ट ने उबर को अपनी शिकायत को व्यक्त करने के लिए महाराष्ट्र राज्य को एक प्रतिनिधित्व करने की भी अनुमति दी। बेंच ने राज्य सरकार से एग्रीगेटर्स के लिए जल्द से जल्द दिशा-निर्देश तैयार करने को कहा।
ये मामला चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस जेबी पारदीवाला की पीठ के समक्ष सूचीबद्ध किया गया था। बेंच बॉम्बे हाईकोर्ट के 7 मार्च, 2022 के आदेश के खिलाफ उबर की चुनौती पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें निर्देश दिया गया था कि कैब एग्रीगेटर्स को मोटर व्हीकल एग्रीगेटर गाइडलाइंस 2020 का पालन करना चाहिए। एग्रीगेटर गाइडलाइंस को केंद्र सरकार ने मोटर वाहन अधिनियम 1988 के सेक्शन 93(1) के तहत अपनी शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए नोटिफाई किया था।
चीफ जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस विनय जोशी की उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने निर्देश दिया था कि एग्रीगेटर्स को महाराष्ट्र राज्य में संचालन के लिए 16 मार्च, 2022 तक लाइसेंस के लिए आवेदन करना होगा। सुप्रीम कोर्ट ने अप्रैल 2022 में इस आदेश के खिलाफ उबर को अंतरिम राहत देते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट के आदेश पर यथास्थिति बनाए रखने का निर्देश दिया था। हालांकि, आज के आदेश में, सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जब तक महाराष्ट्र राज्य अपने मसौदा नियमों को अधिसूचित या संकलित नहीं करता, तब तक केंद्रीय नियम (मोटर वाहन एग्रीगेटर दिशानिर्देश 2020) मान्य रहेंगे।
सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने आदेश को निम्नानुसार निर्धारित किया, "धारा 93(1) के पहले प्रावधान में कहा गया है कि एग्रीगेटर को लाइसेंस जारी करते समय, राज्य सरकार केंद्र सरकार के नियमों का पालन कर सकती है। राज्य सरकार द्वारा कोई नियम अधिसूचित नहीं किए गए हैं। केंद्र सरकार ने 2020 में दिशानिर्देश तैयार किए हैं। इस बीच बॉम्बे हाईकोर्ट की खंडपीठ ने, विवादित आदेश द्वारा, यह देखा कि धारा 93(1) के वैधानिक अधिदेश के मद्देनजर, कोई भी व्यक्ति बिना लाइसेंस के एग्रीगेटर के रूप में जारी नहीं रह सकता है। यह ध्यान में रखते हुए कि नियम सिर्फ मसौदा नियम हैं, जब तक ड्राफ्ट नियम संकलित नहीं हो जाते, तब तक केंद्रीय नियम प्रभावी रहेंगे। एग्रीगेटर बनने की इच्छा रखने वाले किसी भी व्यक्ति को ऐसे नियमों का पालन करना चाहिए।"
यह कंपनी को दोपहिया बाइक टैक्सी एग्रीगेटर लाइसेंस देने से महाराष्ट्र सरकार के इनकार के खिलाफ रैपिडो की याचिका में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुरूप है। कोर्ट ने कहा, "धारा 93 के पहले प्रावधान के अनुसार, राज्य सरकार, एक एग्रीगेटर को लाइसेंस जारी करते समय केंद्र सरकार द्वारा जारी किए गए दिशानिर्देशों का पालन कर सकती है। प्रावधानों को लागू करने के लिए सामान्य नियम बनाने की शक्ति राज्य सरकार को सौंपी गई है।" उबर के इस तर्क के संबंध में कि केंद्रीय दिशानिर्देशों का पालन नहीं किया जा सकता है, अदालत ने कहा, "ये नीति का मामला है जो राज्य सरकार के अधिकार क्षेत्र से संबंधित है। वैधानिक शासन के मद्देनजर, कोई भी व्यक्ति लाइसेंस के अभाव में एग्रीगेटर के रूप में जारी नहीं रह सकता है। हम याचिकाकर्ताओं को लाइसेंस के लिए आवेदन करने का निर्देश देते हैं। वे तीन सप्ताह के भीतर आवेदन कर सकते हैं।" हालांकि, पीठ ने कहा कि राज्य सरकार को एक प्रतिनिधित्व प्रस्तुत करने के लिए यह उबर के लिए खुला होगा। आदेश के अनुसार, "राज्य सरकार अभ्यावेदन प्रस्तुत करने के दो सप्ताह के भीतर शिकायत पर विचार करेगी। राज्य सरकार तब एक उचित निर्णय ले सकती है। किसी भी शिकायत के मामले में, यह याचिकाकर्ताओं के लिए बॉम्बे हाईकोर्ट में जाने के लिए खुला होगा। " आदेश को समाप्त करते हुए सीजेआई डी वाई चंद्रचूड़ ने मौखिक रूप से कहा, "राज्य सरकार को एक उपयुक्त नीति के निर्माण पर शीघ्र निर्णय लेना चाहिए। राज्य सरकार के अनिर्णय से एग्रीगेटर्स के व्यवसाय में अनिश्चितता पैदा होती है, जिससे बचा जाना चाहिए।“ याचिकाकर्ता उबर का प्रतिनिधित्व सीनियर एडवोकेट ध्रुव मेहता ने किया और महाराष्ट्र राज्य का प्रतिनिधित्व एजवोकेट धर्माधिकारी ने किया।

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