महंगाई से दोगुनी रफ्तार से बढ़ रहा हेल्थकेयर का खर्च, जानिए क्यों
महंगाई से दोगुनी रफ्तार से बढ़ रहा हेल्थकेयर का खर्च, जानिए क्यों
लगातार दो साल से औसत खुदरा महंगाई 4 फीसदी से नीचे रही है. हालांकि भारत में स्वास्थ्य पर होने वाला खर्च लगातार बढ़ रहा है. ज्यादा चिंता की बात ये है कि ये महंगाई दर के मुकाबले ये दोगुनी गति से बढ़ रहा है. 2018-19 में भारत में औसत स्वास्थ्य महंगाई दर करीब 7.14 फीसदी रही. पिछले साल के मुकाबले इसमें 4.39 फीसदी की बढ़त दर्ज की गई.
जनवरी 2019 में हेल्थकेयर का खर्च, घर और शिक्षा से भी ज्यादा हो गया. ग्रामीण इलाकों में महंगाई दर में बढ़ोतरी में स्वास्थ्य पर खर्च का बड़ा हाथ है. 2018-19 में औसत खुदरा मुद्रस्फीति में ग्रामीण स्वास्थ्य खर्च का हिस्सा करीब 14 फीसदी था जबकि शहरी इलाके में ये आंकड़ा 8 फीसदी था.
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क्यों बढ़ रही है स्वास्थ्य मुद्रास्फीति?
इकोनॉमी सर्वे 2019 के मुताबिक दवाओं और दूसरे स्वास्थ्य संबंधी उपकरणों का खर्च, डॉक्टर से इलाज के खर्च से कहीं ज्यादा है. औसत मुद्रा स्फीति में हेल्थकेयर का हिस्सा 5.89 फीसदी है जो 7 चीजों पर केंद्रित है. इनमें दवाएं, गर्मनिरोधक, डॉक्टर की फीस और चश्में शामिल हैं. 2018 में इन चीजों के बजाय इलाज का खर्च सामानों के खर्च से कहीं ज्यादा था. लेकिन पिछले कुछ महीनों में ये ट्रेंड बदला है.
2018-19 में अस्पताल और नर्सिंग का खर्च स्वास्थ्य महंगाई में सबसे ज्यादा योगदान देते थे जो करीब 9.4 फीसदी था. पिछले साल यही दर 6.5 फीसदी थी. हेल्थकेयर महंगाई के बढ़ने की एक और वजह दवाइयां हैं, जो 2017-18 में 3.78 फीसदी थी. 2018-19 में यह बढ़कर 7.2 फीसदी हो गई है. स्वास्थ्य महंगाई बढ़ने के पीछे दवाइयों का सबसे ज्यादा रोल है, क्योंकि स्वास्थ्य महंगाई दर में इनकी भागादारी 68 फीसदी की है. यही वजह है कि भारत में इलाज महंगा होता जा रहा है.
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