चीन के साथ व्यापार घाटा को कम करने का यह अवसर

Apr 22, 2020

चीन के साथ व्यापार घाटा को कम करने का यह अवसर

चीन के लिए प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआइ) नियमों में बदलाव कर भारत अब चीन पर व्यापार घाटा कम करने का दबाव बना सकता है। विशेषज्ञों के मुताबिक कोरोना के इस काल में अपनी संदिग्ध भूमिका की वजह से चीन दुनिया में अलग-थलग पड़ता जा रहा है। कई देशों की ओर से दबाव बनाया जा रहा है। ऐसे में भारत आइटी, फार्मा और ऑटो पार्ट्स क्षेत्र में बाजार खोलने के लिए चीन पर दबाव बना सकता है।

इन क्षेत्रों में भारत चीन में 30 अरब डॉलर यानी दो लाख करोड़ रुपये से अधिक का निर्यात बढ़ा सकता है। वर्ष 2018 में भारत ने चीन से 76.87 अरब डॉलर मूल्य का आयात किया था, जबकि भारत ने चीन को मात्र 18.83 अरब डॉलर का निर्यात किया था। वर्ष 2019 में जनवरी से नवंबर के बीच भारत ने चीन से 68 अरब डॉलर का आयात किया, जबकि भारत ने चीन में सिर्फ 16.32 अरब डॉलर का निर्यात किया। सूत्रों के मुताबिक चीन के लिए एफडीआइ नियम में बदलाव को चीन भले ही विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के नियमों का उल्लंघन बता रहा है, लेकिन भारत के इस फैसले को वह डब्ल्यूटीओ में चुनौती नहीं देगा। वह पहले से ही भारत के साथ व्यापारिक मायने में डब्ल्यूटीओ के नियमों को तोड़ रहा है। भारत वर्षो से अपने आइटी और फार्मा क्षेत्रों के लिए चीन से उसका बाजार खोलने के लिए कह रहा है, जिस पर चीन ने अमल नहीं किया है। एफडीआइ के नए नियमों के तहत चीन के किसी व्यक्ति या कंपनी को भारत में किसी प्रकार के निवेश के लिए सरकार से मंजूरी लेनी होगी। पहले वर्जित क्षेत्रों को छोड़ किसी भी क्षेत्र में चीनी कंपनियां ऑटोमेटिक रूट से निवेश कर सकती थीं।

फार्मा एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल के मुताबिक भारतीय दवा चीन की दवा के मुकाबले काफी सस्ती है, इसलिए चीनी दवा कंपनियां भारतीय निर्यात का विरोध करती हैं। फार्मा सेक्टर में भारत के लिए चीन के बाजार खुलने से कम से कम 10 अरब डॉलर का भारतीय निर्यात बढ़ जाएगा। आइटी सेक्टर को मौका मिलने पर चीन में 20 अरब डॉलर का निर्यात किया जा सकता है।

* एफडीआइ नियमों में बदलाव का मिलेगा फायदा

* फार्मा व ऑटो पार्ट्स के लिए चीन पर बढ़ा सकते हैं दबाव डाइंग टु सर्वाइव से खुली चीनी सरकार की आंख

डाइंग टु सर्वाइव चीन में गरीब किसानों पर बनाई गई सच्ची घटना पर आधारित फिल्म है, जिसमें गरीब किसान ब्लड कैंसर से पीड़ित होते हैं। लेकिन चीन में ब्लड कैंसर की दवा इतनी महंगी थी कि गरीब किसान उसे खरीद नहीं सकते थे। चीन का कोई दवा विक्रेता उन किसानों के लिए स्मगलिंग के जरिये भारत में मिलने वाली ब्लड कैंसर की दवा बेचता है, जो चीनी दवा के मुकाबले चार गुना सस्ती थी। फार्मा एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल के चेयरमैन दिनेश दुआ ने बताया कि इस मूवी के बनने के बाद चीनी सरकार को भारतीय दवा की ताकत का अहसास हुआ और उसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रयास से चीन की सरकार कुछ हद तक भारतीय कंपनियों की दवा की बिक्री खोलने पर विचार कर रही है।

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