यूजीसी शिक्षण संस्थानों में यौन उत्पीड़न के मामलों पर सख्त
यूजीसी शिक्षण संस्थानों में यौन उत्पीड़न के मामलों पर सख्त
-उद्योग विहार (जुलाई 2019)- नई दिल्ली।
उच्च शिक्षण संस्थानों में यौन उत्पीड़न के मामलों पर प्रभावी रोकथाम के लिए विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) कड़े कदम उठाने की तैयारी में है। आयोग ने संस्थानों से यौन उत्पीड़न से जुड़ी शिकायतों का ब्योरा मांगा है। इसमें 90 दिन से ज्यादा पुराने मामलों का अलग से ब्योरा मांगा गया है। यौन उत्पीड़न से जुड़े यूजीसी के 2015 के नियमों के तहत कोई भी संस्थान ऐसी शिकायतों को 90 दिन से ज्यादा लंबित नहीं रख सकता है। नियमों का पालन सुनिश्चित कराने के लिए आयोग सख्त कदम उठा सकता है। यूजीसी के सचिव रजनीश जैन ने देशभर के सभी विश्वविद्यालयों के कुलपतियों को पत्र जारी कर यौन उत्पीड़न की शिकायतों से जुड़ी सारी जानकारी 31 जुलाई से पहले देने को कहा है। इनमें एक अप्रैल 2018 से 31
मार्च 2019 के बीच के लंबित मामलों का ब्योरा देने को कहा गया है। साथ ही इस दौरान कितने मामलों का निपटारा किया गया, इसकी भी जानकारी मांगी गई है। संस्थानों से लैंगिक समानता की दिशा में जागरूकता के उद्देश्य से पिछले वर्षो में आयोजित किए गए कार्यक्रमों का ब्योरा भी देने को कहा गया है। आयोग ने सभी उच्च शिक्षण संस्थानों को आंतरिक शिकायत समिति के अनिवार्य गठन का भी निर्देश दिया है। साथ ही जागरूकता के लिए विशेष कार्यक्रमों के आयोजन पर जोर देने को कहा है। संस्थानों में यौन उत्पीड़न की बढ़ती शिकायतों को ध्यान में रखते हुए यूजीसी ने यह कदम उठाया है। हाल के वर्षो में उच्च शिक्षण संस्थानों में यौन उत्पीड़न की शिकायतों में वृद्धि हुई है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, 2016 में विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में इस तरह की 112 घटनाओं की शिकायत मिली थी। 2017 में यह संख्या बढ़कर 188 हो गई थी।
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