चुनाव में 'धन बल' पर अंकुश लगाने के लिए पहले ही कई उपाय अपनाए गए हैं, चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट से कहा

Jan 12, 2023
Source: https://hindi.livelaw.in/

चुनाव आयोग ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट मे हलफनामा दायर कर काह कि उसने चुनावों में 'धन बल' के खतरे को रोकने के लिए कई उपायों को अपनाया है, जैसे कि 2010 के बिहार विधानसभा चुनावों के बाद से चुनाव व्यय निगरानी तंत्र बनाया गया था। आयोग ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि वह राजनीतिक दलों की ओर से चुनावी खर्च में की जा रही बढ़ोतरी पर 'गंभीरता से चिंतित' है। चुनाव संचालन नियमों, 1961 के तहत चुनाव खर्च को निर्धारित वैधानिक सीमा के भीतर रखने के लिए और राजनीतिक दलों या नेताओं की ओर से अधिक या बेहिसाब खर्च पर नियंत्रण रखने के लिए पहले से ही एक 'मजबूत तंत्र' पेश कर चुका है।
सुप्रीम कोर्ट में यह हलफनामा एक जनहित याचिका के जवाब में प्रस्तुत किया गया है, जिसमें अत्यधिक चुनावी खर्च को रोकने के लिए निर्देश मांगे गए थे। हलफनामे में कहा गया है कि मौजूदा निगरानी तंत्र के घटक, जैसा कि हलफनामे में रेखांकित किया गया है, में व्यय पर्यवेक्षकों, सहायक व्यय पर्यवेक्षकों, वीडियो निगरानी टीमों, वीडियो देखने वाली टीमों, लेखा टीमों, शिकायत निगरानी और कॉल सेंटर, मीडिया प्रमाणन और निगरानी समिति, फ्लाइंग स्‍क्वाड और स्थैतिक निगरानी दल शामिल है।
इसके अलावा 'व्यय के प्रति संवेदनशील' निर्वाचन क्षेत्रों और पॉकेट, जहां भ्रष्टाचार और अत्यधिक चुनाव खर्च की आशंका अधिक है, को भी चुनाव आयोग ने 'कड़ी निगरानी' के तहत सीमांकित किया है और रखा है। एकाउं‌टिंग टीम प्रत्येक उम्मीदवार के लिए छाया अवलोकन रजिस्टर बनाती है, और ऐसे प्रत्येक रजिस्टर के साथ साक्ष्य का एक संबंधित फोल्डर होता है। प्रत्येक उम्मीदवार को चुनाव व्यय के एकमात्र उद्देश्य के लिए एक अलग बैंक खाता खोलने और खुद ‌का रजिस्टर मेंटेन करना होता है, जिसमें दैनिक खातों को व्यवस्थित रूप से दिया जाता है।
इसके अलावा, प्रत्येक इच्छुक विधायक के चुनाव व्यय विवरण को चुनाव आयोग या संबंधित राज्य या केंद्र शासित प्रदेश के मुख्य निर्वाचन अधिकारी की वेबसाइट पर भी अपलोड किया जाता है। हलफनामे में यह बताया गया कि केंद्रीय और राज्य कानून प्रवर्तन एजेंसियों की सेवाएं नियमित रूप से लगी हुई हैं, और उनकी टीमों को चुनावी खर्च की निगरानी के लिए मतदान वाले राज्यों में तैनात किया गया है। मामले में याचिकाकर्ता ने चुनाव आयोग को उचित दिशा-निर्देश देने की प्रार्थना की, ताकि चुनावों में अतिरिक्त खर्च को रोकने के लिए कार्रवाई की एक व्यापक योजना तैयार की जा सके, जिसमें दोषी उम्मीदवारों और राजनीतिक दलों के खिलाफ कार्रवाई के कड़े और प्रभावी प्रावधान हों। याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट से आग्रह किया है कि आयोग को 'विश्वसनीयता और लोकतांत्रिक सुधार लाने' के लिए 'ईमानदारी से' चुनावी खर्च की जांच करने का दबाव बनाया जाए। आयोग ने अपने जवाब में प्रार्थनाओं को 'अस्पष्ट और आधा-अधूरा' बताते हुए और याचिकाकर्ता की ईमानदारी पर प्रश्न उठाया है। आयोग ने याचिका को शुरू में ही खारिज करने का आग्रह किया है।

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