"आपके पास 25 याचिकाएं दायर करने के लिए पैसे है और आर्थिक रूप से कमजारे वर्ग से संबंधित होने का दावा करते हो",बॉम्बे हाईकोर्ट ने आरटीई के तहत दाखिला पाने की मांग वाली याचिका को किया खारिज [निर्णय पढ़े]

Jul 16, 2019

"आपके पास 25 याचिकाएं दायर करने के लिए पैसे है और आर्थिक रूप से कमजारे वर्ग से संबंधित होने का दावा करते हो",बॉम्बे हाईकोर्ट ने आरटीई के तहत दाखिला पाने की मांग वाली याचिका को किया खारिज [निर्णय पढ़े]

बॉम्बे हाईकोर्ट ने पिछले दिनों फर्जी याचिकाएं/जनहित याचिकाओं के खिलाफ कठोर कदम उठाते हुए एक सपन श्रीवास्तव की तरफ से दायर याचिका को खारिज कर दिया है। सपन ने मांग की थी कि उसके बेटे को शिक्षा के अधिकार अधिनियम के तहत दाखिला दिया जाए। सपन,जिसने खुद माना कि वह अब तक हाईकोर्ट के समक्ष 25 याचिकाएं दायर कर चुका है,जबकि उसने खुद को आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग से संबंधित बताने का दावा किया। जस्टिस प्रदीप नंदराजोग और जस्टिस एन.एम जामदार की पीठ ने याचिकाकर्ता से पूछा कि शुरूआत से अब तक कितनी याचिकाएं दायर कर चुका है।

जिस पर याचिकाकर्ता ने बताया कि उसे एकदम सही से संख्या तो नहीं पता,परंतु ''25 से कम तो नहीं होगी''। याचिका में सपन ने दावा किया था कि वह आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग से संबंध रखता है क्योंकि उसकी वार्षिक आय एक लाख रूपए से भी कम है। दलील दी गई कि सपन का बेटा निजी स्कूल में उस 25 प्रतिशत के कोटे के तहत दाखिला पाने का हकदार है,जो उन माता-पिताओं के बच्चों के लिए बनाया गया है,जिनकी वार्षिक आय एक लाख रूपए से कम है।

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पीठ इन दलीलों से संतुष्ट नहीं हुई और कहा कि-

'' ऐसा नहीं हो सकता है कि याचिकाकर्ता के पास सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत जानकारी प्राप्त करने और 25 जनहित याचिकाओं दायर करने के लिए धन का भुगतान करने के साधन है और दूसरी तरफ समाज के आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग से होने का दावा करता है।

यह भी देखा गया है कि याचिकाकर्ता द्वारा दायर की गई सभी जनहित याचिकाओं के दौरान,कोर्ट के नियमों के तहत उसने शपथ लेते हुए बताया था कि सभी जनहित याचिकाओं को दायर करने और केस लड़ने का खर्च उसने खुद वहन किया है। जो उसने अपने आय से स्रोत से दिया है।

ऐसे में हमारा मानना है कि याचिकाकर्ता की आय को एक लाख रूपए वार्षिक से कम नहीं माना जा सकता है,यह गलत है। इसलिए याचिकाकर्ता के बेटे को किसी निजी स्कूल में उस 25 प्रतिशत कोटे के तहत दाखिला नहीं दिया जा सकता है,जो उन माता-पिता के बच्चों के लिए बनाया गया है,जिनकी वार्षिक आय एक लाख रुपए से कम है। ऐसे में याचिका को खारिज किया जाता है।''

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