‘लखीमपुर खीरी केस ट्रायल पूरा करने में कम-से-कम 5 साल लगेंगे’: सेशन कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट को बताया
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अक्टूबर 2021 में किसानों की हत्या से संबंधित लखीमपुर खीरी मामले को देख रही उत्तर प्रदेश की ट्रायल कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) को बताया कि मुकदमे को पूरा करने में कम से कम 5 साल लगेंगे। सुप्रीम कोर्ट ने दिसंबर 2022 में केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा के बेटे आरोपी आशीष मिश्रा की जमानत अर्जी पर विचार करते हुए ट्रायल कोर्ट से रिपोर्ट मांगी थी। आशीष मिश्रा पर अक्टूबर 2021 की लखीमपुर खीरी हिंसा में लोगों की कथित रूप से हत्या करने का आरोप है, क्योंकि उनकी गाड़ी कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसानों पर कथित रूप से चढ़ गया था।
जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस वी रामासुब्रमण्यन की पीठ ने कहा, "ट्रायल कोर्ट की रिपोर्ट कहती है कि मुकदमे को समाप्त होने में 5 साल लगेंगे। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश की रिपोर्ट कहती है कि 208 गवाह हैं, 171 दस्तावेज और 27 एफएसएल रिपोर्ट हैं।" पीड़ितों की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट प्रशांत भूषण ने स्थगन का अनुरोध किया क्योंकि मुख्य वकील सीनियर एडवोकेट दुष्यंत दवे आज अस्वस्थ थे। पीठ ने तब यूपी के अतिरिक्त महाधिवक्ता गरिमा प्रसाद से पूछा,
दो प्राथमिकी हैं। हम जानना चाहते हैं कि क्या उस दूसरे मामले में भी आरोपी हैं जिन्हें गिरफ्तार किया गया है? क्या आप उस मामले की औपचारिक स्थिति रिपोर्ट भी ला सकते हैं।“ पीठ किसानों द्वारा कथित तौर पर पीट-पीट कर कार चालक और दो अन्य की मौत के मामले में दर्ज की गई क्रॉस-एफआईआर का जिक्र कर रही थी। जैसा कि पीठ ने वकीलों को लखीमपुर में प्रथम अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश द्वारा दायर की गई स्टेटस रिपोर्ट के बारे में बताया, भूषण ने सुझाव दिया कि महत्वपूर्ण गवाहों की जांच के लिए दिन-प्रतिदिन के आधार पर आदेश हो सकता है।
पीठ ने टिप्पणी की, ''इसमें व्यावहारिक कठिनाइयां होंगी। अगर आप इसे तेज करते हैं तो अन्य सभी मामलों की कीमत पर इस अदालत में मुकदमा चलाना होगा। इसलिए हमने ट्रायल कोर्ट से पूछा।” भूषण ने तब प्रस्तुत किया, "यह एक ऐसा मामला है जिसे दिन-प्रतिदिन ट्रायल की आवश्यकता है। यह एक ऐसा मामला है जहां इस अदालत के कहने पर एसआईटी का गठन किया गया था। वह MoS (होम) का बेटा है। ऐसे में ट्रायल रोजाना होना चाहिए।" मिश्रा की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट मुकुल रोहतगी ने भूषण के आरोपों को पूरी तरह से झूठा बताया।
उन्होंने कहा, "हम यहां अपील में हैं। हम जमानत पर सुनवाई कर रहे हैं। वह शिकायतकर्ता हैं।" पीठ ने तब यूपी एएजी से कहा, “हम अन्य प्राथमिकी में अभियुक्तों का विवरण जानना चाहते हैं। कितने गिरफ्तार हुए, क्या स्थिति है, सब कुछ। हम जानना चाहते हैं कि उनमें से कितने हिरासत में हैं?” रोहतगी ने हस्तक्षेप किया और प्रस्तुत किया, "यह हमारा मामला है। यह भीड़ की हिंसा का मामला है कि हमारी जीप पर हमला किया गया।” बेंच ने तब मौखिक रूप से टिप्पणी की, "भूषण क्या आप बहस करने के लिए तैयार हैं।“ भूषण ने जवाब दिया और कहा, "यौर लार्डशिप ट्रायल कोर्ट को दो काम करने के लिए कह सकती है। पहला, दिन-प्रतिदिन का ट्रायल करें और दूसरा, पहले भौतिक गवाहों की जांच करें। ऐसा कोई प्रभावशाली व्यक्ति नहीं हो सकता है जो इस कृत्य को करने का दुस्साहस करता हो और फिर भौतिक गवाहों आदि को पीटता हो।" रोहतगी ने विरोध किया, ''यह क्या है। मेरा दोस्त जमानत पर बहस क्यों नहीं कर रहा है। उसे जमानत पर बहस करने दो। आप कुछ समय चाहते हैं, ले लो। भूषण ने जवाब दिया, “वे चार्जशीट दायर किए बिना इस अदालत में आए हैं। हमने अपने जवाबी हलफनामे में चार्जशीट दायर की है। मैं केवल यौर लॉर्डशिप से अनुरोध कर रहा हूं कि यह अगले सप्ताह हो। दवे बहस करेंगे।“ बेंच ने तब आदेश दिया, “दवे की तबीयत खराब बताई जा रही है। मामले को 19-01-2023 को सुनवाई के लिए पोस्ट करें। यूपी के लिए एएजी यह पुष्टि करने के लिए कि क्या 2021 के सी. नंबर 02 में आरोपी अभी भी हिरासत में हैं।” इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 10 फरवरी को मिश्रा को जमानत दे दी थी, लेकिन अप्रैल 2022 में तत्कालीन सीजेआई एनवी रमना, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस हेमा कोहली की सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने इसे खारिज कर दिया था।इसके बाद जमानत अर्जी हाईकोर्ट में भेज दी गई। सुप्रीम कोर्ट का यह आदेश अपराध में मारे गए किसानों के परिजनों की अपील पर आया था। 26 जुलाई को हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा रिमांड पर लिए जाने के बाद मामले की दोबारा सुनवाई के बाद जमानत अर्जी खारिज कर दी थी।