बिना मुहर लगे समझौते में मध्यस्थता खंड लागू किया जा सकता है या नहीं? सुप्रीम कोर्ट ने 'एनएन ग्लोबल' मामले को सात जजों की बेंच को रेफर किया

Sep 26, 2023
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सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार (26 सितंबर) को यह मुद्दा कि क्या बिना मुहर लगे/अपर्याप्त मुहर लगे मध्यस्थता समझौते अप्रवर्तनीय हैं, सात जजों की बेंच के पास भेज दिया। चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली 5-जजों की पीठ ने अपने 2020 के फैसले के खिलाफ दायर एक क्यूरेटिव पीटिशन पर सुनवाई करते हुए यह संदर्भ दिया। उस फैसले में कहा गया था कि अपर्याप्त रूप से मुहर लगे समझौते में मध्यस्थता खंड पर अदालत द्वारा कार्रवाई नहीं की जा सकती है। पीठ में शामिल अन्य जज जस्टिस संजय किशन कौल, जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस बी आर गवई और जस्टिस सूर्यकांत हैं। इस साल अप्रैल में 5 जजों की बेंच ने क्यूरेटिव पीटिशन पर सुनवाई करते हुए मैसर्स एनएन ग्लोबल मर्केंटाइल प्रा लिमिटेड बनाम मैसर्स इंडो यूनिक फ्लेम लिमिटेड और अन्य के मामले में दिए गए फैसले की वैधता पर विचार का प्रश्‍न उठा था। एनएन ग्लोबल में जस्टिस केएम जोसेफ, जस्टिस अजय रस्तोगी, जस्टिस अनिरुद्ध बोस, जस्टिस हृषिकेश रॉय और जस्टिस सीटी रविकुमार की पीठ ने 3:2 के बहुमत से संदर्भ का उत्तर दिया था। बहुमत ने फैसला किया था कि जिस दस्तावेज पर मुहर नहीं लगी है, उसे अनुबंध अधिनियम की धारा 2 (एच) के अर्थ के तहत कानून में लागू करने योग्य अनुबंध नहीं कहा जा सकता है। पीठ ने आज की कार्यवाही में कहा कि यह "बहुत महत्वपूर्ण मुद्दा" है और इसने मध्यस्थता कानून के क्षेत्र में "असीमित अनिश्चितता पैदा कर दी" है ओर इस पर एक बड़ी पीठ द्वारा विचार किया जाना चाहिए। ऐसा इसलिए क्योंकि अब बिना मुहर लगे पुराने समझौते भी खोले जा रहे थे। पीठ ने कहा- "बड़े प्रभाव और एनएन ग्लोबल में बहुमत के दृष्टिकोण को ध्यान में रखते हुए, हमारा विचार है कि कार्यवाही को सात जजों की पीठ के समक्ष रखा जाना चाहिए। कार्यवाही 11 अक्टूबर 2023 को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध की जाएगी।" इस मामले में श्री देवेश पांडे और सुश्री पृथा श्रीकुमार को नोडल काउंसल के रूप में नियुक्त किया गया था। सभी दस्तावेजों को 6 अक्टूबर, 2023 को या उससे पहले दाखिल करने का निर्देश दिया गया था। 7 जजों की पीठ 11 अक्टूबर को मामले की सुनवाई करेगी।