जमानत की शर्त के रूप में बैंक गारंटी कानून की नजर में टिकाऊ नहीं: सुप्रीम कोर्ट

Jun 15, 2023
Source: https://hindi.livelaw.in/

सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस अनिरुद्ध बोस और जस्टिस राजेश बिंदल की खंडपीठ ने हाईकोर्ट द्वारा आरोपी की जमानत के लिए शर्त के रूप में 2 करोड़ रुपये की बैंक गारंटी देने के आदेश को रद्द कर दिया। खंडपीठ ने आरोपी को इसके बदले पांच लाख रुपये का जमानत बांड जमा करने का निर्देश देकर शर्त में संशोधन किया। खंडपीठ ने निम्नानुसार आयोजित किया, "बैंक गारंटी प्रस्तुत करने की आवश्यकता के बजाय हम निर्देश देते हैं कि अपीलकर्ता हमारे समक्ष अपील के तहत जमानत के दो आदेशों में से प्रत्येक में पांच लाख रुपये के जमानत बांड प्रस्तुत करेगा। विवादित आदेशों में निहित बाकी शर्तें बनी रहेंगी और अपीलकर्ता को जमानत पर रिहा होने के लिए उनका पालन करना होगा।" हाईकोर्ट ने करणदीप सिंह (अपीलकर्ता/आरोपी) की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए कुछ जमानत शर्तें लगाई थीं, जिसमें जमानत पर रिहा होने से पहले 2 करोड़ रुपये की बैंक गारंटी प्रस्तुत करना भी शामिल था। अपीलकर्ता ने हाईकोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट के समक्ष चुनौती दी और तर्क दिया कि जमानत पूर्व शर्त के रूप में बैंक गारंटी प्रस्तुत करना कठिन है। अन्य जमानत शर्तों को चुनौती नहीं दी गई। अपीलकर्ता ने मखीजानी पुष्पक हरीश बनाम द स्टेट ऑफ़ गुजरात 2023 लाइवलॉ (SC) 345 के फ़ैसले पर भरोसा किया, जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने माना कि ज़मानत देने के लिए बैंक गारंटी प्रस्तुत करने की पूर्व शर्त कानून में टिकाऊ नहीं है। सुप्रीम कोर्ट का आदेश खंडपीठ ने आदेश दिया कि मखीजानी पुष्पक हरीश बनाम गुजरात राज्य, 2023 की आपराधिक अपील नंबर 1193 के फैसले के मद्देनजर, अपीलकर्ता को बैंक गारंटी प्रस्तुत करने की शर्त का पालन करने की आवश्यकता नहीं है। इसके बजाय, अपीलकर्ता को पांच लाख रुपये का जमानत बांड प्रस्तुत करने का निर्देश दिया गया। हाईकोर्ट द्वारा लगाई गई शेष शर्तों में संशोधन नहीं किया गया। खंडपीठ ने कहा, "बैंक गारंटी प्रस्तुत करने की आवश्यकता के बजाय हम निर्देश देते हैं कि अपीलकर्ता हमारे समक्ष अपील के तहत जमानत के दो आदेशों में से प्रत्येक में पांच लाख रुपये के जमानत बांड प्रस्तुत करेगा। विवादित आदेशों में निहित बाकी शर्तें बनी रहेंगी और अपीलकर्ता को जमानत पर रिहा होने के लिए उनका पालन करना होगा।