निष्कासित सदस्य के खिलाफ संस्थान के आंतरिक समाचार पत्र में मानहानिकारक कार्टून प्रसारित करना आईपीसी की धारा 500 के तहत अपराध आकर्षित करता है: कर्नाटक हाईकोर्ट
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कर्नाटक हाईकोर्ट ने हाल ही में बॉरिंग इंस्टीट्यूट के अध्यक्ष के खिलाफ लंबित मानहानि की कार्यवाही को रद्द करने से इनकार कर दिया। उन पर आरोप था कि उन्होंने कथित रूप से संस्थान के अन्य सदस्यों को एक न्यूज लेटर भेजा, जिसमें शिकायतकर्ता (संस्थान के एक निष्कासित सदस्य) को बदनाम करने वाले आपत्तिजनक कार्टून प्रसारित किए गए। न्यायमूर्ति के नटराजन की एकल पीठ ने अनूप बजाज द्वारा दायर याचिका को खारिज कर दिया और कहा, "अपमानजनक बयान और ऐसे बयान के माध्यम से सीधे प्रतिवादी का अपमान करने वाले कार्टून भेजना, आईपीसी की धारा 499 को आकर्षित करता है और इसे आईपीसी की धारा 499 के अपवाद 8 को आकर्षित करने के लिए सार्वजनिक प्राधिकरण द्वारा साफ नीयत से नहीं भेजा गया है। जयन्ना ने वर्ष 2014 में याचिकाकर्ता के खिलाफ धारा 500, 501, 504, 505 (2) के साथ आईपीसी की धारा 120-बी के तहत दंडनीय अपराधों के लिए एक निजी शिकायत दर्ज की थी। मजिस्ट्रेट ने शिकायतकर्ता का शपथ पत्र दर्ज करने के बाद याचिकाकर्ता के खिलाफ आईपीसी की धारा 500 के तहत दंडनीय अपराध का संज्ञान लिया। ऐसा आरोप था कि याचिकाकर्ता द्वारा बुलाई गई स्पेशल जनरल बॉडी मीटिंग में, याचिकाकर्ता ने 09-05-2014 को एक पत्र भेजा, जिसमें प्रतिवादी के खिलाफ कुछ तस्वीरें, कार्टून और मानहानिकारक चित्र दिखाए गए थे, जिससे जानबूझकर प्रतिवादी का अपमान किया गया था। पीठ ने याचिकाकर्ता की ओर से अन्य सदस्यों को भेजे गए न्यूज लेटर का अवलोकन किया, जिसमें पहले कार्टून चित्र में, वह प्रतिवादी के साथ अन्य तीन व्यक्तियों का उल्लेख कर रहे हैं, जिन्हें निष्कासित सदस्य कहा जाता है, जो याचिकाकर्ता पर हमला करने की साजिश रच रहे हैं। दूसरी तस्वीर से पता चलता है कि प्रतिवादी ने तख्तियां ले जाने वाली, अपमानजनक नारे लगाने वाली और एक विशेष समुदाय को निशाना बनाने वाली भीड़ को काम पर रखा है। तीसरे कार्टून चित्र से पता चलता है कि प्रतिवादी दूसरों के साथ बाहुबल दिखा रहा है और संस्थान के कर्मचारियों के साथ मारपीट कर रहा है। चौथा चित्र दर्शाता है कि प्रतिवादी गार्डों को रोक रहा है। पांचवी तस्वीर से पता चलता है कि प्रतिवादी याचिकाकर्ता का पैर पकड़कर घुटने टेक कर क्षमा मांग रहा है और याचिकाकर्ता अभियुक्त वाद के साथ खड़ा है। आखिरी कार्टून तस्वीर से पता चलता है कि साजिश और सांप्रदायिक घृणा के कारण, प्रतिवादी को अदालत के अभियुक्त कठघरे में डाल दिया गया है और वह आपराधिक मुकदमे का सामना कर रहे मजिस्ट्रेट के सामने खड़ा है। जिसके बाद पीठ ने कहा, "कार्टून की तस्वीरों के अवलोकन पर, यह स्पष्ट है कि प्रतिवादी-शिकायतकर्ता की छवि खराब करने के इरादे से याचिकाकर्ता-आरोपी नंबर 1 ने इन कार्टून चित्रों को दिखाया है..।" चौथा चित्र दर्शाता है कि प्रतिवादी गार्डों को रोक रहा है। पांचवी तस्वीर से पता चलता है कि प्रतिवादी याचिकाकर्ता का पैर पकड़कर घुटने टेक कर क्षमा मांग रहा है और याचिकाकर्ता अभियुक्त वाद के साथ खड़ा है। आखिरी कार्टून तस्वीर से पता चलता है कि साजिश और सांप्रदायिक घृणा के कारण, प्रतिवादी को अदालत के अभियुक्त कठघरे में डाल दिया गया है और वह आपराधिक मुकदमे का सामना कर रहे मजिस्ट्रेट के सामने खड़ा है। जिसके बाद पीठ ने कहा, "कार्टून की तस्वीरों के अवलोकन पर, यह स्पष्ट है कि प्रतिवादी-शिकायतकर्ता की छवि खराब करने के इरादे से याचिकाकर्ता-आरोपी नंबर 1 ने इन कार्टून चित्रों को दिखाया है..।"