सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के फैसलों के लिए 'न्यूट्रल साइटेशन' लॉन्च किया
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लीगल सिस्टम में टेक्नॉलॉजी के उपयोग के संभावित तरीकों का पता लगाने के लिए डिजिटलाइजेशन, पेपरलेस कोर्ट और ई-इनिशिएटिव पर दो दिवसीय नेशनल कॉन्फ्रेंस का आयोजन उड़ीसा हाईकोर्ट द्वारा शनिवार को ओडिशा न्यायिक अकादमी, कटक में किया गया। भारत के मुख्य न्यायाधीश डॉ. न्यायमूर्ति धनंजय वाई. चंद्रचूड़ ने कॉन्फ्रेंस का उद्घाटन किया। इस मौके पर सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस राजेश बिंदल, उड़ीसा हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डॉ. न्यायमूर्ति एस. मुरलीधर भी मौजूद थे। सुप्रीम कोर्ट के ई-कोर्ट प्रोजेक्ट के फेज़-III के लिए कार्य योजना का कार्यान्वयन कॉन्फ्रेंस का केंद्र बिंदु होगा। देश के सभी हाईकोर्ट अपने न्यायाधीशों और न्यायिक अधिकारियों के माध्यम से कॉन्फ्रेंस में भाग ले रहे हैं। साथ ही, न्याय विभाग, भारत सरकार और ई-समिति, सुप्रीम कोर्ट के प्रतिनिधि भी सम्मेलन में भाग ले रहे हैं। इस अवसर पर सीजेआई द्वारा 'भारतीय न्यायपालिका के लिए 'न्यूट्रल साइटेशन' का उद्घाटन किया गया। 'न्यूट्रल साइटेशन' सिसटम सीजेआई चंद्रचूड़ की एक पहल है, जिसका उद्देश्य केस लॉ साइटेशन के मानकीकरण के लिए एक सिस्टम बनाना है। वकील और जज वर्तमान में केस कानूनों तक पहुंचने के लिए कानून की रिपोर्ट और कानूनी वेबसाइटों पर भरोसा करते हैं। अलग-अलग कानून की रिपोर्ट एक केस कानून की पहचान करने के लिए अलग-अलग पैटर्न अपनाती हैं जो अक्सर भ्रम की स्थिति पैदा करता है। न्यूट्रल साइटेशन' सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के आदेशों और निर्णयों की पहचान करने और उनका हवाला देने के लिए एक समान और सुरक्षित पद्धति है। इस प्रणाली में सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के प्रत्येक निर्णय (रिपोर्टेबल और गैर-रिपोर्टेबल दोनों) के पास कानून की रिपोर्ट से स्वतंत्र, संबंधित न्यायालयों द्वारा अनुमोदित अपना स्वयं का उद्धरण होगा। प्रणाली न्यायिक निर्णयों का हवाला देने की एक सुसंगत विधि प्रदान करके न्यायालयों के लिए सार्वजनिक डोमेन में आदेशों और निर्णयों को प्रकाशित करना आसान बनाएगी जिससे उनकी पहचान, संदर्भ और पुनर्प्राप्ति की सुविधा होगी। इस प्रकार, केस लॉ, जो अब तक केवल प्रायवेट लॉ रिपोर्टर के सब्सक्राइबर्स के लिए ही सुलभ थे, अब न्यूट्रल साइटेशन' के माध्यम से सभी के लिए निःशुल्क उपलब्ध होंगे।