देश में अभिनंदन-सत्येन्द्र सिंह-Satendra Singh

May 05, 2019

देश में अभिनंदन

भारतीय वायुसेना के विंग कमांडर अभिनंदन वर्धमान की भारत वापसी मौजूदा घटनाक्रम के दौर में एक अहम अध्याय है। पिछले कुछ दिनों से भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव के जो हालात बने हुए हैं, उनमें पाकिस्तान के कब्जे में फंसे अभिनंदन की स्थिति को लेकर चिंता होना स्वाभाविक ही था। लेकिन इस बीच भारत ने लगातार कूटनीतिक दबाव बनाए रखा और इसी का नतीजा यह हुआ कि पाकिस्तान ने अभिनंदन को वापस करने का फैसला किया। हालांकि यह भी सही है कि इस मसले पर पाकिस्तान ने भारत और यहां के नागरिकों की इच्छाओं का ध्यान रखा और विंग कमांडर अभिनंदन को भारत को लौटाने को लेकर सकारात्मक रुख दिखाया। वहां के प्रधानमंत्री इमरान खान ने बाकायदा असेंबली में शांति भावना के तहत भारतीय पालयट अभिनंदन की रिहाई का एलान किया। गौरतलब है कि बुधवार को जब पाकिस्तान ने भारत के सीमा क्षेत्र में हवाई बमबारी की थी तब भारतीय वायुसेना के विमानों ने इसका करारा जवाब दिया था। लेकिन इसी क्रम में भारत का एक लड़ाकू विमान पाकिस्तान की सीमा के इलाके में जा गिरा। इस बीच विमान के पायलट विंग कमांडर अभिनंदन किसी तरह पैराशूट के जरिए सुरक्षित उतर तो गए, मगर वहां पाकिस्तान की सेना ने उन्हें कब्जे में ले लिया। इसके बाद भारत के सामने बड़ी चुनौती यही थी कि वह कौन-सा रास्ता अपनाए कि कमांडर अभिनंदन की सुरक्षित वापसी सुनिश्चित हो सके। जाहिर है, भारत ने लंबे समय में दुनिया भर में जो साख बनाई है और ताजा संकट में भी कूटनीतिक स्तर पर जिस तरह की पहलकदमी की, उसकी वजह से कई देशों ने भारत के पक्ष में साफ राय जाहिर की और इससे पाकिस्तान पर दबाव बना।

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अंदाजा इससे भी लगाया जा सकता है कि कमांडर अभिनंदन को वापस करने के लिए पाकिस्तान ने दबे-ढके शब्दों में शर्त की तरह बातचीत का जो प्रस्ताव रखा था, उससे भी उसे पीछे हटना पड़ा। इस बीच भारत की ओर से लगातार दबाव बनाए रखा गया और इसी का हासिल है कि पाकिस्तान से कमांडर अभिनंदन की सुरक्षित वापसी संभव हो सकी। वरना यह किसी से छिपा नहीं है कि भारत के सैनिकों के प्रति पाकिस्तान का क्या रवैया रहा है। अनेक फौजी आज भी पाकिस्तान की कैद में अपनी रिहाई का इंतजार कर रहे हैं और उनके मामले में पाकिस्तान ने कोई सकारात्मक रुख नहीं दिखाया है। निश्चित रूप से विंग कमांडर अभिनंदन की भारत वापसी हमारे देश के लिए एक शानदार उपलब्धि है। मगर यह ध्यान रखने की जरूरत है कि आखिर हालात यहां तक क्यों पहुंचे। पुलवामा में हुए आतंकी हमले में सीआरपीएफ के बयालीस जवानों की जान चली गई। उस हमले के पीछे कौन है, अब यह समझना कोई बहुत मुश्किल काम नहीं है। जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा जैसे आतंकवादी संगठनों के पाकिस्तान स्थित ठिकानों से अपनी गतिविधियां संचालित करने की खबरें अब पुष्ट हो चुकी हैं। भारत की जरूरत और मांग सिर्फ इतनी है कि आतंकी संगठनों को पाकिस्तान अपनी जमीन का इस्तेमाल करने की इजाजत नहीं दे। मगर बार-बार के आश्वासनों के बावजूद पाकिस्तान ने इस ओर कोई ठोस कदम नहीं उठाया है।

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