कालेधन का सच
कालेधन का सच
आखिरकार स्विस बैंक में जमा भारतीय नागरिकों के कालेधन की जानकारी साझा करने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। विदेशी बैंकों में खाता खोल कर गैरकानूनी तरीके से धन जमा कराने वालों के नामों का पता लगाने और वह धन वापस भारत लाने की मांग उठती रही है। इसे लेकर बाबा रामदेव ने व्यापक आंदोलन भी चलाया था। भाजपा ने भी पिछले लोकसभा चुनावमें विदेशी बैंकों में जमा काले धन को वापस लाने का मुद्दा उठाया था। मगर अभी तक इस दिशा में कोई बड़ी कामयाबी नहीं मिल पाई थी। अब स्विट्जरलैंड और भारत के बीच हुए समझौतों के तहत दोनों देशों के बीच बैंक सूचनाओं के आदान- प्रदान की प्रक्रिया इस महीने से शुरू हो गई है। केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड यानी सीबीडीटी ने इसे अहम कामयाबी बताया है। हालांकि स्विस बैंक में भारतीय नागरिकों के खातों की जानकारी हासिल करने के लिए लंबे समय से प्रयास किया जा रहा था, पर इस बैंक के नियमों के मुताबिक इसके खाताधारकों के बारे में जानकारी साझा नहीं की जा सकती। यहां तक कि वहां की सरकार भी उस पर ऐसा करने का दबाव नहीं डाल सकती थी। पर स्विट्जरलैंड सरकार ने कालेधन के मुद्दे को गंभीर मानते हुए नियमों में बदलाव कर बैंक सूचनाओं के आदान-प्रदान की परक्रिया का रास्ता खोल दिया। दरअसल, स्विट्जरलैंड सहित कई देशों के बैंकों में खाता खोलना बहुत आसान है। किसी भी देश का कोई भी नागरिक आनलाइन अपना खाता खोल सकता है। ये बैंक अपने ग्राहकों के नाम-पते वगैरह को गोपनीय रखते हैं। वहां की सरकारों ने ही इन बैंकों को यह स्वायत्तता दी है। इसलिए दुनिया के तमाम देशों के ऐसे लोगों के लिए ये बैंक अपना कालाधान छिपाने के सबसे मुफीद ठिकाने बनते गए। इन बैंकों का कारोबार भी इसी तरह के धन से चलता है। भारत के भ्रष्ट अधिकारियों, राजनेताओं और कारोबारियों आदि के लिए भी ये बैंक एक प्रकार से सुरक्षित तिजोरी साबित होते रहे हैं। यह छिपी बात नहीं है कि भारत अन्य मामलों में भले निचले पायदान पर रहता आया हो, पर भ्रष्टाचार के मामले में कुछ अव्वल देशों में शुमार है। रिश्वत और कर चोरी करके जमा काले धन को लोग स्विस बैंक जैसे विदेशी बैंकों में जमा कराते रहे हैं। स्विस बैंक में जमा कुल धन का 0.07 फीसद पैसा अकेले भारतीय नागरिकों का है। इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि दूसरे विदेशी बैंकों में कितना भारतीय काला धन जमा होगा। हालांकि स्विस बैंक इससे पहले भी सौ भारतीय नागरिकों की पहचान साझा कर चुका है, जिनके स्विस बैंक में खाते हैं। अब इस बैंक के सभी भारतीय खाता धारकों के बारे में जानकारी मिल सकेगी। जिन लोगों ने पिछले साल अपने बैंक खाते बंद करा दिए, उनके बारे में भी जानकारी मिल सकेगी। लंबे समय से इस पर परदा पड़ा हुआ था, अब वह उठ जाएगा। मगर अभी सरकार के सामने बड़ी चुनौती यह है कि स्विस बैंक में जमा काले धन को वापस कैसे लाया जाए। स्विट्जरलैंड सरकार बैंकों पर शायद ही दबाव बनाए कि वे भारतीय नागरिकों के पैसे भारत सरकार को सौंप दें। फिर भी केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड को स्विस बैंक से प्राप्त सूचनाओं के आधार पर उन लोगों के खिलाफ कार्रवाई का आधार तो बनेगा। वर्तमान सरकार भ्रष्टाचार पर पूरी तरह रोक लगाने को प्रतिबद्ध है, इसलिए कर चोरी और रिश्वत आदि से जमा धन विदेश भेजने वालों पर कड़े कदम उठाने की उम्मीद स्वाभाविक है।
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