समन्वय के सूत्रधार-सत्येन्द्र सिंह-Satendra Singh
समन्वय के सूत्रधार
उनकी अभिलाषा थी कि भारत भय, भूख, निरक्षरता और अभाव से मुक्त हो। इसी को ध्यान में रख कर सरकार में रहते हुए उन्होंने नीतियां बनार्इं। अटल बिहारी वाजपेयी भारतीय राजनीति में अजातशत्रु राजनेता माने जाते थे। वे एक ऐसे नेता थे, जिन्हें दूसरे दलों के लोग भी पसंद करते थे, उनकी वक्तृता और सूझ-बूझ के कायल थे। वे बहुत संतुलित, सधी हुई भाषा, रोचक शैली और तर्कपूर्ण ढंग से अपनी बातें रखते थे। बचपन में ही वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़ गए थे और फिर अपनी पढ़ाई को विराम देकर संघ के पूर्णकालिक कार्यकर्ता बन गए। उन्होंने भारतीय जनसंघ की स्थापना की और संसदीय राजनीति में प्रवेश करने का मंसूबा बांधा। वे पहले दक्षिणपंथी नेता थे, जिन्होंने संसद सदस्य बन कर मुख्यधारा राजनीति में अपने विचार रखने शुरू किए। आपातकाल के बाद जब तमाम राजनीतिक दलों ने एकजुट होकर जनता पार्टी बनाई, तो अटल बिहारी वाजपेयी भी उसमें शामिल हो गए और मोरारजी देसाई सरकार में विदेशमंत्री का दायित्व संभाला। विदेशमंत्री रहते हुए उन्होंने संयुक्त राष्ट्र में हिंदी में अपना भाषण दिया। इस तरह वे पहले नेता थे, जिन्होंने संयुक्त राष्ट्र के मंच से हिंदी को गौरव दिलाया। बाद में जब जनता पार्टी टूटी तो अटलजी ने उससे अलग होकर भारतीय जनता पार्टी बनाने में योगदान किया। उन्होंने भारतीय जनता पार्टी के पहले अध्यक्ष का दायित्व भी संभाला और पार्टी को मजबूत बनाने का प्रयास किया।
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वे पहले गैर-कांग्रेसी नेता थे, जिन्होंने नेहरू-इंदिरा गांधी के बाद सबसे लंबे समय तक प्रधानमंत्री का कार्यकाल तय किया। प्रधानमंत्री रहते हुए उन्होंने देश के आम लोगों की जरूरतों पर अधिक ध्यान केंद्रित किया। अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने के लि उन्होंने कई साहसिक कदम उठाए। स्वर्णिम चतुर्भुज योजना के जरिए भारत के कोने-कोने तक सड़कों का जाल बिछाने और हर घर तक बिजली पहुंचाने संबंधी केंद्रीय विद्युत नियामक आयोग की योजनाओं को गति दी। नदियों को आपस में जोड़ कर जल संबंधी समस्याओं से निपटने का विचार दिया, कावेरी जल विवाद को सुलझाया। सभी को आवास संबंधी सुविधा उपलब्ध कराने के लिए शहरी सीलिंग को समाप्त किया। इन्हीं योजनाओं और उनकी सूझ-बूझ का नतीजा था कि अर्थव्यवस्था अपनी बेहतरी के दौर में प्रवेश कर सकी। सबसे उल्लेखनीय काम उन्होंने भारत को परमाणु शक्ति संपन्न देश बना कर किया। दुनिया के तमाम देशों की कड़ी नजर के बावजूद उनके कार्यकाल में पोकरण परमाणु परीक्षण किया गया। हालांकि उसके बाद भारत को दुनिया के शक्तिशाली देशों की टेढ़ी नजर का सामना करना पड़ा, पर अटल बिहारी वाजपेयी ने उसकी परवाह नहीं की। इस तरह भारत परमाणु शक्ति के रूप में दुनिया में पहचाना जाने लगा। दूसरे देशों के साथ रिश्ते मजबूत बनाने के लिए उन्होंने अनेक व्यापारिक और सांस्कृतिक समझौते किए। पाकिस्तान के साथ लंबे समय से चली आ रही रिश्तों में कड़वाहट को समाप्त करने के लिए उन्होंने दोनों देशों के बीच आम लोगों की आवाजाही बरकरार रखने पर जोर दिया। रेल और बस सेवाएं शुरू कीं और वे खुद भी बस में बैठ कर पाकिस्तान गए। कश्मीर समस्या को सुलझाने के लिए उन्होंने जम्हूरियत, इंसानियत और कश्मीरियत का नारा दिया था।
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