मौसम की मार-सत्येन्द्र सिंह-Satendra Singh

Mar 06, 2019

मौसम की मार

पिछले दो दशक में दुनिया के ऋतु- चक्र में आया बदलाव एक बहुत बड़े खतरे की आहट है। ठंड के मौसम में भी गर्मी का अहसास, बारिश के मौसम में कहीं भयंकर सूखा तो कहीं बाढ़, गर्मी में तेज आंधी और तूफानी बारिश यानी कुल मिलाकर मौसम चक्र गड़बड़ा गया है। गर्मी के मौसम में कश्मीर और हिमाचल में बर्फ पड़ रही है। जो समय उत्तर भारत में लू चलने का होता है, उस वक्त अंधड़, बारिश और ओलावृष्टि हो रही है। देश के ज्यादातर हिस्सों में मौसम का यही आलम है। बारिश का मौसम आएगा तो मालूम चलेगा कि उमस भरी गर्मी पड़ती रही, पर पानी नहीं पड़ा और आखिर में सूखे की मार झेलनी पड़ी। दो दशक पहले अक्तूबर में ठंड पड़नी शुरू हो जाती थी और मार्च तक रहती थी। लेकिन अब पंद्रह दिन भी कड़ाके की सर्दी नहीं पड़ती। मौसम में आ रहे इस तरह के बदलावों से पूरी दुनिया प्रभावित है।

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यूरोप और अमेरिका में सर्दी लंबे समय तक पड़ने लगी है, बर्फबारी होती है तो ऐसी कि पिछले सारे रेकार्ड टूट जाते हैं। अरब के मुल्कों तक से बर्फबारी की खबरें आ जाती हैं। समुद्र गरम होते जा रहे हैं और तटीय शहरों को आंख दिखा रहे हैं। ऐसे में इनसान करे तो क्या करे, कुदरत की मार के आगे बेबस है। बिगड़ते मौसम को लेकर मौसम विभाग आए दिन आगाह कर रहा है। इस बार उत्तरी राज्यों में जिस तरह से अचानक मौसम बदला और तेज आंधी-बारिश से जो तबाही हुई, वह मौसम विज्ञानियों के लिए भी एक चुनौती है। पिछले हμते उत्तर भारत को जिस प्राकृतिक आपदा का सामना करना पड़ा, उसमें मौसम तंत्र से जुड़ी कई घटनाएं ऐसी हुर्इं जो पहले कभी नहीं देखी गर्इं। मौसम विभाग इस तूफान को छोटे-से दायरेतक सीमित मान कर चल रहा था, लेकिन इसका दायरा बढ़ता ही गया और सही अनुमान नहीं लग पाया।

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हालांकि मई की शुरूआत में अंधड़ और बारिश को लेकर चेतावनी जारी हुई थी, लेकिन राजस्थान और उत्तर प्रदेश के बारे में यह नहीं थी। जबकि इन्हीं दो राज्यों में सबसे ज्यादा तबाही हुई। राजस्थान और उत्तर प्रदेश में तबाही का कारण हरियाणा के ऊपर बना चक्रवाती प्रवाह रहा। वैसे मई में ऐसा तूफान और ऐसी बारिश देखने को नहीं मिलती। जलवायु में तेजी से हो रहे छोटे-बड़े बदलाव ऋतु-चक्र को बिगाड़ रहे हैं। उत्तरी पाकिस्तान और राजस्थान में तापमान ज्यादा होने की वजह से गरम हवाएं ऊपर की ओर उठीं और कम दबाव का क्षेत्र बना। इसके साथ ही भूमध्य सागर और अरब सागर से चलने वाली पछुआ हवाओं से इस कम दबाव वाले क्षेत्र में बादल और चक्रवाती तूफान बना। मौसम में इस तरह के बदलावों के पीछे बड़ा कारण जलवायु संकट है। भारत में यह पहला मौका है जब मौसम को लेकर इतने व्यापक स्तर पर चेतावनी जारी की गई है। मौसम विभाग इस तरह के अनुमान उपग्रहों से मिले आंकड़ों और अन्य स्रोतों से हासिल जानकारियों के विश्लेषण के आधार पर व्यक्त करता है। ऐसे में संभव है कई बार अनुमान सटीक नहीं बैठ पाते। मौसम विभाग को देखना होगा कि वह अपने पूवार्नुमानों को और विश्वसनीय कैसे बना सकता है। आपदा से बचाव के लिए सही पूवार्नुमान पहला तकाजा है।

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