दिल्ली ‌शराब नी‌ति: राजनीतिक दल को आरोपी क्यों नहीं बनाया, जबकि वह क‌‌‌थित लाभार्थी है? सुप्रीम कोर्ट ने मनीष सिसौदिया की जमानत पर ईडी से पूछा

Oct 04, 2023
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सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को आम आदमी पार्टी नेता और दिल्‍ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसौदिया की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई की। ‌सिसोदिया के खिलाफ दिल्ली शराब नीति संबंध‌ित कथित घोटोले में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबाआई) और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने दो मामले दर्ज किए हैं। बुधवार को जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस एसवीएन भट्टी की पीठ ने याचिका पर सुनवाई करते हुए सीबाआई और ईडी ने पूछा कि कथित तौर पर लाभार्थी होने के बाद भी राजनीतिक दल को पीएमएलए के तहत मामले में आरोपी क्यों नहीं बनाया गया है? जस्टिस संजीव खन्ना और जसिटस एसवीएन भट्टी की पीठ सिसौदिया द्वारा दायर दो याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें सीबीआई और ईडी द्वारा जांच किए जा रहे मामलों में सिसौदिया को जमानत देने से इनकार करने के दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दी गई थी। जैसे ही पीठ आज सुनवाई पूरी करने के बाद उठने वाली थी, जस्टिस खन्ना ने ईडी और सीबीआई की ओर से पेश हो रहे अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू से पूछा, "जहां तक पीएमएलए का सवाल है, आपका पूरा मामला यह है कि यह एक राजनीतिक दल के पास गया था। वह राजनीतिक दल अभी भी आरोपी नहीं है। आप इसका उत्तर कैसे देंगे? वह लाभार्थी नहीं है, राजनीतिक दल लाभार्थी है।" एएसजी ने कहा कि वह इस सवाल का जवाब कल देंगे। जस्टिस खन्ना ने आज की सुनवाई का समापन करते हुए कहा,"जो कुछ भी है, आप इसका उत्तर दें। मैंने सिर्फ सवाल रखा है। यह वह मुद्दा नहीं है, जिसे उन्होंने (सिसोदिया की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट एएम सिंघवी) ने सीधे तौर पर उठाया है। मैंने इसे सीधे तौर पर रखा है।" इससे पहले, सिंघवी ने दोनों मामलों में सिसोदिया के लिए जमानत की मांग करते हुए दो घंटे से अधिक समय तक पीठ को संबोधित किया। जहां सीबीआई भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत आरोपों की जांच कर रही है, वहीं ईडी धन शोधन निवारण अधिनियम के तहत मनी लॉन्ड्रिंग मामले को देख रही है। आरोप राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली सरकार द्वारा 2021 में बनाई गई उत्पाद शुल्क नीति से संबंधित हैं, जिसे बाद में कार्यान्वयन में अनियमितताओं के आरोप लगने के बाद वापस ले लिया गया था। उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना की शिकायत पर केंद्रीय गृह मंत्रालय के संदर्भ के बाद केंद्रीय जांच ब्यूरो ने शराब नीति की जांच शुरू की थी। मनीष सिसौदिया को पहली बार केंद्रीय जांच ब्यूरो ने 26 फरवरी को गिरफ्तार किया था और तब से वह सलाखों के पीछे हैं। बाद में प्रवर्तन निदेशालय ने उन्हें इसी साल 9 मार्च को गिरफ्तार कर लिया।