पर्यावरण को लेकर गंभीर हैं मतदाता: कनाडा और जर्मनी में अब खास चुनावी मुद्दा बन गया है जलवायु परिवर्तन
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जर्मनी और कनाडा में आम चुनाव उस समय हो रहे हैं, जब दुनिया के कई हिस्सों में लोगों को हाल में जलवायु परिवर्तन के खतरनाक अनुभव हुए हैं। जर्मनी में लगभग दो महीने पहले आई अभूतपूर्व बाढ़ में तकरीबन 200 लोगों की मौत हो गई। उधर कनाडा में इस साल अभूतपूर्व गर्मी पड़ी है। कनाडा के पड़ोसी देश अमेरिका को हाल में कई चक्रवात, असहनीय गर्मी और असामान्य मौसम झेलना पड़ा है।
पर्यवेक्षकों के मुताबिक इसी का नतीजा है कि अब पश्चिमी देशों में हो रहे चुनावों में जलवायु परिवर्तन एक बड़ा मुद्दा बन कर उभर रहा है। कनाडा के आम चुनाव में इस बार हुई बहसों में जलवायु परिवर्तन एक अहम मसले के रूप में छाया रहा। उधर जर्मनी में भी नेताओं से बार-बार ये पूछा गया है कि उनके पास जलवायु परिवर्तन रोकने की क्या योजना है। नॉर्वे में हाल में हुए आम चुनाव में वामपंथी पार्टियों की जीत के पीछे जलवायु परिवर्तन रोकने की उनकी कार्ययोजना की बड़ी भूमिका मानी गई है।
पर्यवेक्षकों का कहना है कि कनाडा और जर्मनी के चुनाव नतीजों से जाहिर होगा कि इन देशों में जलवायु परिवर्तन राजनीतिक रूप से अब कितना निर्णायक मुद्दा बन चुका है। कनाडा की ब्रिटिश कोलंबिया यूनिवर्सिटी में जन-संचार के प्रोफेसर शेन गुन्स्टर ने अमेरिकी टीवी चैनल सीएनएन से कहा- ‘निश्चित रूप से कनाडा के लोग जलवायु परिवर्तन को महसूस कर रहे हैं। उन्होंने इसे उस रूप में महसूस किया है, जैसा पहले कभी नहीं किया था। इसलिए ये पहला मौका है, जब कनाडा के संसदीय चुनाव में सभी बड़ी पार्टियों एक गंभीर जलवायु कार्ययोजना जनता के सामने पेश की है।’
अमेरिका की येल यूनिवर्सिटी में जलवायु परिवर्तन संचार कार्यक्रम के निदेशक एंथनी लीजरविट्ज के मुताबिक दुनिया भर में जलवायु संकट बढ़ रहा है। इसलिए इस मुद्दे का मतदाताओं की निगाह में महत्त्व भी बढ़ रहा है। इसकी एक वजह तो यह है कि विज्ञान ने अब बारे में ठोस जानकारी दी है, जो खतरनाक तस्वीर पेश करती है।
राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक कनाडा के चुनाव में जलवायु परिवर्तन मुद्दे से सबसे ज्यादा लाभ न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी (एनडीपी) को हुआ है। उसके नेता जगमीत सिंह ने लंबे समय से जलवायु परिवर्तन रोकने को एक बड़ा मुद्दा बनाए रखा है। इसी का नतीजा है कि इस बार के चुनाव में उनकी पार्टी को जनमत सर्वेक्षणों में लगातार 20 फीसदी से ज्यादा वोट मिलने की संभावना जताई गई है।
जर्मनी में जलवायु परिवर्तन रोकना ग्रीन पार्टी का प्रमुख मुद्दा रहा है। इससे उसे पहले के चुनावों में ज्यादा लाभ मिलता दिखा है, लेकिन कनाडा की एनडीपी की तरह ही उसके भी अपने दम पर जीतने की संभावना नहीं है। लेकिन इसे उसकी कामयाबी समझा गया है कि बाकी दोनों प्रमुख पार्टियां- सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी और क्रिश्चियन डेमोक्रेटिक यूनियन- भी इस बार अपने घोषणापत्र में जलवायु परिवर्तन रोकने के उपायों को प्रमुखता देने पर मजबूर हुई हैं।
रिसर्च ग्रुप मोर इन कॉमन में सीनियर एसोसिएट जरमाइन गैगने ने सीएनएन से कहा- ‘पहले के चुनावों से अलग इस बार हमने देखा है कि जलवायु परिवर्तन जर्मनी में आरंभ से ही एक मुख्य मुद्दा बना हुआ है। सभी पार्टियों ने अपने प्रचार में इसे एक प्रमुख बिंदु बनाया है।’