फिर से बहुत बड़ा हो गया है अंटार्कटिका का Ozone Hole, भारत से 8 गुना ज्यादा
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Ozone Hole: ओजोन होल वास्तव में ओजोन परत का पतला होता वह हिस्सा है, जो अंटार्कटिका के ऊपर समताप मंडल में स्थित है. ओजोन परत वायुमंडल की पहली परत क्षोभमंडल के ठीक ऊपर स्थित है. हर साल सितंबर में अंटार्कटिका के ऊपर जब क्लोरीन और ब्रोमीन के सक्रिय रासायनिक रूप उच्च आकाश के ध्रुवीय बादलों में जमा होने लगते हैं. यह दोनों तरह के रसायन मानवजनित गतिविधियों से वायुमंडल में आते हैं. जब अंटार्कटिका में सर्दी का मौसम खत्म होता है और सूर्योदय होता है, तो यहां जमा क्लोरीन और ब्रोमीन ओजोन खत्म करने वाली रासायनिक प्रतिक्रियाएं शुरू कर देते हैं. तीन दिन बाद से ग्लासगो में विश्व जलवायु सम्मेलन शुरु होने वाला है. इस कॉन्फ्रेंस में जलवायु परिवर्तन (Climate Change) से संबंधित कई मुद्दों पर बात होगी, इसमें जिन मुद्दों पर सबसे ज्यादा ध्यान दिया जाएगा, उनमें ग्लोबल वार्मिंग और कार्बन उत्सर्जन जैसे मुद्दे प्रमुख होंगे. वहीं जलवायु परिवर्तन का एक और रूप अंटार्कटिका (Antarctica) में करीब 42 साल पहले दिखाई दिया था, जब दुनिया में पहली बार अंटार्कटिका के ऊपर एक ओजोन छेद (Ozone Hole) देखा गया था, जो अब तक का सबसे बड़ा छेद हो गया है. नासा और नेशनल ओसियानिक एंड एटमॉस्फियरिक एडमिनिस्ट्रेशन नोआ की रिपोर्ट के मुताबिक साल 2021 में यह 13 गुना ज्यादा बड़ा हो गया है. दिसबंर तक बना रह सकता है ये छेद वैज्ञानिकों का कहना है कि दक्षिणी गोलार्द्ध में सामान्य से ज्यादा ठंड होने से ओजोन परत का छेद औसत से ज्यादा बड़ा हो गया है, जिसके इस साल नवंबर से दिसंबर तक बने रहने की उम्मीद है. नासा के अर्थ साइंस के मुख्य वैज्ञानिक पॉल न्यूमैन का कहना है कि यह ओजोन होल बड़ा इसलिए है, क्योंकि इस साल समताप मंडल के हालात औसत से ज्यादा ठंडे हैं. लेकिन मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल के बिना यह और ज्यादा विशाल हो जाता. कितना बड़ा है यह छेद सैटेलाइट अवलोकनों ने दिखाया है कि ओजोन होल अधिकतम 2.48 करोड़ वर्ग किलोमीटर में फैला है, जो अक्टूबर के मध्य में सिमटने से पहले करीब भारत के आकार से आठ गुना ज्यादा था. वैज्ञानिकों का कहना है कि औसत तापमान से ठंडा मौसम और समताप मंडल में अंटार्कटिका को घेरती तेज हवाओं के कारण ओजोन परत का छेद इतना बड़ा हो गया. कैसे बनता है ओजोन परत का ये छेद ओजोन होल वास्तव में ओजोन परत का पतला होता वह हिस्सा है, जो अंटार्कटिका के ऊपर समताप मंडल में स्थित है. ओजोन परत वायुमंडल की पहली परत क्षोभमंडल के ठीक ऊपर स्थित है. हर साल सितंबर में अंटार्कटिका के ऊपर जब क्लोरीन और ब्रोमीन के सक्रिय रासायनिक रूप उच्च आकाश के ध्रुवीय बादलों में जमा होने लगते हैं. यह दोनों तरह के रसायन मानवजनित गतिविधियों से वायुमंडल में आते हैं. कैसे पता चलता है इस छेद के बारे में जब अंटार्कटिका में सर्दी का मौसम खत्म होता है और सूर्योदय होता है, तो यहां जमा क्लोरीन और ब्रोमीन ओजोन खत्म करने वाली रासायनिक प्रतिक्रियाएं शुरू कर देते हैं. एक क्लोरीन या ब्रोमीन का अणु हजारों ओजोन अणुओं को नष्ट कर देता है. इस ओजोन परत के छेद पर वैज्ञानिक दक्षिणी ध्रुव स्टेशन से मौसमी गुब्बारे में ओजोन मापी यंत्र रख कर छोड़ते हैं जो ओजोन की बदलती मात्रा का मापन करते हैं. Climate change समझने में पुरातन संकेत करेंगे मदद, बेहतर होगा पूर्वानुमान उम्मीद से ज्यादा बड़ा होने लगा कोपर्निकस एटमॉस्फियर मॉनिटरिंग सर्विसेस के शोधकर्ता, जो ओजोन परत पर निगरानी रखते हैं, ने बताया कि इस बार यह छेद सामान्य औसत से ज्यादा है. इस साल ओजोन परत का यह छेद उम्मीद के मुताबिक मौसम के शुरू में ही विकसित होने लगा था. ऐसा लग रहा था कि यह पिछले साल के जैसा ही औसत रूप में विकसित होगा. सितबंर तक ऐसा ही लगा, लेकिन इसके बाद वह बड़ा होता गया और सबसे बड़े ओजोन होल में से एक हो गया.