जलवायु परिवर्तन से निपटने के उपायों में बाधक नहीं होंगे वित्तीय संसाधन, अब हर साल होगा सम्मेलन
Source: https://www.jagran.com/
लखनऊ, राज्य ब्यूरो। नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत ने उत्तर प्रदेश जलवायु परिवर्तन सम्मेलन में कहा कि जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभावों का ही परिणाम है अत्यधिक गर्मी व अनियमित बारिश। विश्व बैंक की रिपोर्ट भी कहती है कि जलवायु परिवर्तन देश के प्राकृतिक इकोसिस्टम को प्रभावित करेगा। वैश्विक तापमान में बढ़ोतरी को डेढ़ डिग्री सेल्सियस तक सीमित रखना बेहद जरूरी है। वे सम्मेलन को वर्चुअली संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि हमें जलवायु परिवर्तन के प्रति और अधिक सतर्क व इसके समाधान की दिशा में काम करना होगा।
करीब 24 करोड़ की आबादी वाला उत्तर प्रदेश इस मामले में व्यापक भागीदारी निभा सकता है। उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए अपनाए जाने वाले नए प्रयासों के लिए वित्त पोषण की कोई समस्या नहीं है। हमें ऐसी कंपनियों की मदद करनी होगी जो प्रदूषण मुक्त बनने की दिशा में काम कर रही हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार से आग्रह है कि वह इलेक्ट्रिक वाहनों के प्रयोग की तरफ बढ़ें। अगले दो सालों में परिवहन क्षेत्र में काफी बड़े बदलाव दिखाई देंगे। नीति आयोग भी इस सिलसिले में प्रदेश सरकार की मदद करेगा।
जलवायु परिवर्तन के बारे में समाज को करें जागरूक: नवनीत सहगल
अपर मुख्य सचिव सूचना नवनीत सहगल ने कहा कि मीडिया को जलवायु परिवर्तन के खतरों से डराने के बजाय उसके बारे में लोगों को जागरुक करना चाहिए। सरकार अकेले बहुत कुछ नहीं कर सकती है। इसमें समाज का जुडऩा बेहद जरूरी है। समाज को जोडऩे में मीडिया की भूमिका बहुत बड़ी है। प्राकृतिक संसाधनों के विवेकपूर्ण उपयोग के जरिए ही पर्यावरण की रक्षा की जा सकती है। अमीर और गरीब दोनों देशों की पृथ्वी के इस प्रबंधन में समान हिस्सेदारी है। हर व्यक्ति, चाहे वह राजनेता हो, नौकरशाह हो या कोई अन्य सभी पर जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभाव समान रूप से पड़ते हैं। सभी एक ही हवा में सांस लेते हैं। जलवायु परिवर्तन की जागरूकता में मीडिया की भूमिका पर आयोजित सत्र में कई पत्रकारों ने भी अपने विचार रखें।
अब हर साल होगा जलवायु परिवर्तन सम्मेलनः उत्तर प्रदेश जलवायु परिवर्तन सम्मेलन अब हर साल होगा। अपर मुख्य सचिव वन एवं पर्यावरण मनोज सिंह ने सम्मेलन के समापन अवसर पर कहा कि अगले साल भी इसी समय यह सम्मेलन किया जाएगा। इसे जलवायु परिवर्तन सम्मेलन लखनऊ चैप्टर के नाम से जाना जाएगा। उन्होंने कहा कि 100 करोड़ पौधों की नर्सरी बनाने की बात मुख्यमंत्री ने कही थी। हमारे पास ये नर्सरी तैयार है। आने वाले समय में हम इनको रोपित भी करेंगे। उन्होंने कहा कि सोलर पावर व इलेक्ट्रिक वाहनों पर तेजी से काम करेंगे। हमारे पास इसके लिए क्षमता भी है। इसे अभियान के तौर पर लेने की जरूरत है। सम्मेलन के अंत में सचिव वन एवं पर्यावरण आशीष तिवारी ने आए सभी अतिथियों का आभार जताया।