FacebooktwitterwpkooEmailaffiliates NCR प्लानिंग बोर्ड की बैठक हरियाणा CM ने उठाया ये मुद्दा, मास्टर प्लान-2041 के लिए सुझाव देगी सरकार
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राज्य ब्यूरो,नई दिल्ली। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) के लिए तैयार किए गए मास्टर प्लान-2041 मसौदे में संशोधन के लिए हरियाणा सरकार अगले सात से 10 दिन में सुझाव देगी। राज्य सरकार चाहती है कि मास्टर प्लान-2041 में हरित और वन क्षेत्र का अंतर स्पष्ट हो जाना चाहिए ताकि प्रतिबंधित वन क्षेत्र को लेकर विकास योजनाओं पर कोई प्रतिकूल असर नहीं पड़े। इतना ही नहीं राज्य सरकार की तरफ से पर्यावरण मंत्रालय को प्रदूषण कम करने वाले नियमों को लेकर भी कुछ सुझाव दिए जाएंगे।
इनमें सबसे अहम यह है कि वाहन स्क्रैप पालिसी के तहत 10 साल पुराने वाहन हरियाणा में भी हटाए जाएंगे। हालांकि इस नियम के कारण बड़ी संख्या में वाहन भी नहीं हटा दिए जाएं, इसकी बाबत पर्यावरण मंत्रालय से विस्तृत चर्चा की जाएगी। इसके लिए नियम बनाने का काम पर्यावरण मंत्रालय ही करेगा मगर हरियाणा की तरफ से यह सुझाव दिया गया है कि वाहनों का उनके निर्मित साल की बजाय मौजूदा फिटनेस के आधार पर भी आकलन किया जाए। इस बैठक में मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव वी.उमाशंकर, नगर एवं ग्राम आयोजना विभाग के प्रधान सचिव अपूर्व कुमार सिंह और महानिदेशक मकरंद पांडुरंग भी शामिल हुए।
जमीनी सच्चाई पर हो एनसीजेड में वन क्षेत्र का मूल्यांकन
हरियाणा सरकार ने प्राकृतिक संरक्षित क्षेत्र (एनसीजेड) में शामिल वन क्षेत्र का मूल्यांकन जमीनी सच्चाई पर करने का मुद्दा भी एनसीआर प्लानिंग बोर्ड की बैठक में उठाया है। राज्य सरकार का कहना है कि वन क्षेत्र और हरित क्षेत्र के बीच अंतर जमीनी स्तर पर देखा जाना चाहिए। एनसीआर में 56 फीसद हिस्सा हरियाणा के 14 जिलों का है। ऐसे में एनसीजेड के लिए हरित क्षेत्र को जिसमें खेती से लेकर कई विकास योजनाओं को क्रियान्वित किया जा चुका है, उसे वन क्षेत्र नहीं माना जाना चाहिए। सरकार का तर्क है कि जिस तरह एनसीआर के नियमों के तहत यमुना नदी में खनन रोकना अप्राकृतिक रहेगा, इसी प्रकार वन क्षेत्र के लिए बनाए नियमों की भी जमीनी सच्चाई देखी जानी चाहिए। यदि आम लोगों द्वारा अपनी निजी जमीन पर पेड़ उगा दिए गए हों तो फिर उसे भी वन क्षेत्र नहीं माना जा सकता।हिमाचल, उत्तराखंड सहित कई राज्यों में जहां पहाड़ हैं, वहां विकास योजना के हिसाब से विकास कार्यों को अंजाम दिया जाता है।
एनसीआर के लिए बने 2021 के मास्टर के क्रियान्वयन को भी यथावत रखा जाना चाहिए। सरकार का तर्क है कि एनसीजेड की जमीनी सच्चाई जानने के लिए बनी राज्य स्तरीय कमेटी की बैठक में अरावली गुरुग्राम और अलवर को ही माना गया है। फरीदाबाद इसमें शामिल नहीं है। ऐसे फरीदाबाद को अरावली वन क्षेत्र घोषित करने से पहले जमीनी सच्चाई सामने आनी चाहिए। वन क्षेत्र को उप क्षेत्रों तक विस्तारित नहीं किया जा सकता।
पराली प्रति एकड़ एक हजार में बिक रही है
हरियाणा में पराली जलाए जाने के मुद्दे पर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को घेरते हुए मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि वे सिर्फ राजनीतिक बयान देते हैं और यह भी नहीं सोचते कि बयान का उनकी राजनीति पर क्या असर पड़ेगा। सीएम ने कहा कि हरियाणा में पराली प्रति एकड़ एक हजार रुपये में बिक रही है। ऐसे में कोई किसान पराली नहीं जलाएगा। सरकार की तरफ से पराली जलाने पर निगरानी भी रखी जा रही है। जिन किसान संगठनों के प्रदर्शन को केजरीवाल समर्थन दे रहे हैं, वे भी यह कह रहे हैं कि हरियाणा में पराली नहीं जल रही है।