धारा 295-ए आईपीसी | हुकमनामा की कानूनी वैधता की जांच करेगा पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट, आरोपी को अंतरिम अग्रिम जमानत
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पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने कहा है कि वह 'हुकमनामा' की कानूनी वैधता और कानून के किसी भी अन्य प्रावधानों की जांच करेगा, जो किसी व्यक्ति को अनुयायी के रूप में सिख धर्म का प्रचार करने से रोकते हैं। जस्टिस संदीप मौदगिल ने कहा, "हुकमनामा की कानूनी पवित्रता और कानून के किसी भी अन्य प्रावधान के संबंध में सवाल, जो किसी भी व्यक्ति को एक अनुयायी के रूप में सिख धर्म का प्रचार करने से रोकता है, किसी भी तरह से उस विशेष समुदाय की भावनाओं को ठेस पहुंचाना या अपमान करना होगा, इसकी जांच की आवश्यकता है।" उक्त टिप्पणियों के साथ कोर्ट ने आईपीसी की धारा 295-ए के तहत दर्ज एक एफआईआर में एक आरोपी को अंतरिम अग्रिम जमानत दी। अदालत ने नोट किया कि शिकायतकर्ता के वकील ने तर्क दिया कि जारी किए गए हुकमनामा के अनुसार, केवल गुरु ग्रंथ साहिब को ही एकमात्र गुरु के रूप में पूजा जाना चाहिए, और किसी की नहीं। वकील ने कहा कि इसी आधार पर प्राथमिकी दर्ज की गई थी। प्रश्न की जांच में अदालत की सहायता के लिए, पीठ ने वकील बलजिंदर सिंह सरा को एमिकस क्यूरी के रूप में नियुक्त किया। आदेश के अनुसार याचिकाकर्ता का प्रतिनिधित्व कर रहे सीनियर एडवोकेट अतुल लखनपाल भी अदालत की सहायता करेंगे। अदालत सिख समुदाय की धार्मिक भावनाओं को कथित रूप से आहत करने के आरोप में संजय राय के खिलाफ अमृतसर पुलिस स्टेशन में आईपीसी की धारा 295-ए के तहत दर्ज एक एफआईआर में अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई कर रही थी। आरोप था कि याचिकाकर्ता ने खुद को गुरु नानक देव की आत्मा का अवतार होने का दावा किया था। यह भी आरोप लगाया गया कि उन्होंने लोगों को गुमराह करके सिख समुदाय का अपमान किया है और सिख धर्म की धार्मिक भावनाओं, प्रतिष्ठा और सम्मान को ठेस पहुंचाई है। अदालत ने कहा कि इस स्तर पर एफआईआर में दर्ज आरोपों के अलावा, यह बताने के लिए कोई अन्य स्पष्ट सामग्री नहीं है कि सिख समुदाय का अपमान किया गया है। अदालत ने यह कहते हुए याचिकाकर्ता को अंतरिम गिरफ्तारी पूर्व जमानत दे दी कि प्रथम दृष्टया भारतीय दंड संहिता की धारा 295-ए के तहत कोई अपराध नहीं बनता है। अब इस मामले की सुनवाई 4 मई को होगी।